शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

हनुमान मंत्र से करें कालसर्प दोष शांति

जिंदगी सुख और दु:ख का सिलसिला है। कोई हमेशा सुखी जिंदगी नहीं बीता सकता है, न ही हमेशा दु:ख के साये में रहता है। शास्त्रों में ऐसे उतार-चढ़ाव भरे मानव जीवन को सहज बनाने के लिए ही कर्म के साथ धर्म का पालन भी जरूरी माना गया है। खासतौर पर कष्ट और संकट की घड़ी में व्यावहारिक उपायों के साथ धार्मिक तरीके भी प्रभावी माने जाते हैं, जो निश्चित तौर पर मनोबल और विश्वास को मजबूती भी देते हैं।
ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक कालसर्प योग भी जिंदगी में परेशानियां और पीड़ा देने वाले योग बनाता है। किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में यह योग दो छायाग्रहों राहु और केतु के कारण बनाता है। दोनों ग्रह क्रूर स्वभाव के भी माने जाते हैं। इन दोनों ग्रहों की चाल भी टेढ़ी होती है। इसलिए यह किसी व्यक्ति की कुण्डली में शत्रु राशियों में होने पर अन्य ग्रहों के शुभ फल पर भी बुरा असर डालते हैं।
राहु और केतु के योग से बने कालसर्प दोष शांति के अनेक शास्त्रोक्त विधि विधान है। किंतु समयाभाव या आर्थिक परेशानियों के कारण अगर आप इन उपायों को न कर सके तो देव उपासना के ऐसे भी उपाय हैं, जो न केवल आपके समय की बचत करते है, बल्कि बिना किसी व्यय के अधिक से अधिक शुभ फल देते हैं।
हिन्दू धर्म में अनगिनत देवी-देवताओं को पूजा जाता है। किंतु जब भी इंसान संकट या कष्ट से गुजरता है तो रामभक्त हनुमान को ही स्मरण किया जाता है। श्री हनुमान संकटमोचक भी कहलाते हैं। इसलिए कालसर्प दोष शांति के लिए भी हनुमान उपासना बहुत ही शुभ मानी गई है। श्री हनुमान के कुछ ऐसे दिव्य मंत्र माने गए हैं, जिनके जप से कालसर्प दोष से मिल रहे तमाम दु:खों की काट होती है। इनमें से ही एक मंत्र है -

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