शनिवार, 13 नवंबर 2010

परिवार की खुशी के लिए ऐसे भी बने

धर्मशास्त्रों में वर्ण व्यवस्था बताई गई है यानि काम और कर्तव्यों के आधार पर समाज में चार तरह के मनुष्य होते हैं। यह है ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इनमें ब्राह्मण का समाज की भलाई के लिए शिक्षा प्राप्त करने, क्षत्रिय का युद्ध कला सीखकर रक्षा करने, वैश्य का उचित अर्थव्यवस्था बनाने और शूद्र का तीनों की सेवा करने का धर्म बताया गया है।
युगों और समय के बदलाव के बावजूद भी इस वर्ण व्यवस्था का असर समाज पर हावी है। कई मौकों पर यह कटुता, बिखराव और बैर का कारण बन जाती है।

असल में वर्ण व्यवस्था मनुष्य को एक-दूसरे से बांटने के बजाय मानव के व्यक्तित्व और व्यावहारिक जीवन का विकास करती है। हर व्यक्ति स्वयं को एक वर्ण का मानकर अन्य तीन वर्णों के धर्म को भूल जाता है। जबकि सच यह है कि सुखी और सफल जिंदगी के लिए हर व्यक्ति को इन चारों वर्णों के धर्म और कर्तव्यों को कहीं न कही अपनाना जरूरी होता है यानि वर्ण व्यवस्था समाज में ही नहीं बल्कि परिवार में भी लागू होती है। यहां बताया जा रहा है कि कैसी स्थिति में किस खास वर्ण के कर्तव्यों का पालन अहम है?
खुशहाल जीवन की बात करें तो उसके लिए सबसे पहले यही विचार आता है कि दौलत की कोई कमी न हो। इसके लिए जरूरी है परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हो। इस तरह जब धन या अर्थ की बात आती है तो यहां वैश्य धर्म और कर्तव्यों का पालन सुखी परिवार की जरूरत बन जाता है। किंतु वैश्य धर्म के पालन का संबंध धन के नजरिए से हीं नहीं बल्कि अन्य स्वाभाविक गुणों को व्यवहार में उतारने से है।
वैश्य धर्म के पालन से पहले यह जानना भी जरूरी है कि असल में वर्ण व्यवस्था के मुताबिक वैश्य के गुण क्या होते हैं?
- वैश्य की खूबी होती है - जरूरत के मुताबिक खर्च करना यानि मितव्ययता और धन का सही जगह उपयोग करना यानि सदुपयोग।
- वह दूसरों को नुकसान पहुंचाए बगैर बुद्धि के सदुपयोग से लाभ पाने की मानसिकता रखता है यानि व्यापारिक स्वभाव।
- स्वभाव की बात करें तो वह बहुत ही सभ्य, व्यावहारिक और मिलनसार होता है।
- उसकी बातचीत इतनी मिठास से भरी होती है कि सुनने वाला और देखने वाला मंत्रमुग्ध हो जाए।
- उसके व्यवहार में विनम्रता होती है। वह दूसरों को पूरा सम्मान देता है।
- वह सच बोलता है।
व्यावहारिक जीवन में हम लक्ष्मी की प्रसन्नता चाहते हैं, लेकिन वास्तव में लक्ष्मी तभी खुश होगी, जब आप परिवार के हितों के लिए धन की बचत करने के साथ वैश्य के स्वाभाविक गुणों को भी जिंदगी में उतारें। हर गृहस्थ को वैश्य गुणों को भी अपनाना चाहिए। ताकि परिवार की जरूरतों को बिना किसी अभाव के पूरा किया जा सके।

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