सोमवार, 15 नवंबर 2010

खूबियों के बूते देवता बनने का सबक

हिन्दू धर्म में कार्तिक माह की शुक्लपक्ष की एकादशी पर देवउठनी, देवोत्थान या देवप्रबोधिनी एकादशी (17 नवम्बर) का व्रत रखा जाता है। यह लोक परंपराओं में देव दिवाली के रूप में प्रसिद्ध है। असल में यह शुभ दिन चातुर्मास यानि बारिश के मौसम की समाप्ति का अवसर होता है। जिसके साथ ही चार माह के दौरान सभी तरह के खान-पान, व्यवहार के बताए गए खास संयम-नियमों से जनसामान्य मुक्त होता है। देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का संदेश भी बंधनों से मुक्ति के बाद जिंदगी को जीने के तरीकों से जुड़ा है।

असल में व्यावहारिक जीवन में अक्सर धर्म-ज्ञान की बातें करते समय यह बात की जाती है कि हर व्यक्ति में भगवान बसा है। हर धर्म इंसानों में ईश्वर के अस्तित्व को मानता है। वास्तव में इंसान में भगवान तभी दिखाई देता है, जब वह व्यवहार और आचरण से सच्चा और ईमानदार हो। किंतु इसके उल्टे दुष्ट और बुरे स्वभाव का व्यक्ति शैतान की भांति नजर आता है। सार यह है कि जिंदगी में गुणी बने, जिसके लिए बुरी लतों को छोडऩा जरुरी है। तभी आप में बसा भगवान जागेगा, आप जागेगें। यह सूत्र छुपा है देव उठनी एकादशी के विधानों में।
देवप्रबोधिनी के शब्दों का सार ढूंढे तो प्रबोधन का मतलब - जागना और देव प्रबोधन का मतलब है- देवताओं का जागना। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं में देवता के भी सोने और जागने का नियत समय बताया गया हैं। इसी कड़ी में माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के दिन क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर सो रहे भगवान विष्णु जाग जाते हैं। मानवीय जिंदगी के पहलू से इस का गुढ़ संदेश यही है कि इंसानी जिंदगी में ही अपने गुणों से देवत्व पाएं।
इस तरह धार्मिक नजरिए से देवप्रबोधिनी एकादशी यही सीख है कि धर्म ही नहीं अपने अच्छे कर्म से देवता का स्वागत करे। मन को जगाने से ही सही मायनों में भगवान जागेगें। क्योंकि देवता कभी नहीं सोते, बल्कि हम सोए रहते हैं। भाव यह है कि किसी के लिए बुरी भावना न रखें। हमेशा सच को अपनाएं। ऐसा पक्का इरादा करना ही प्रबोधन है। ऐसा संकल्प ले कि मन प्रसन्न रहें। दीपक की तरह जल कर दूसरों को राह बताना ही वास्तविक प्रबोधन है।
भगवान की उपस्थिति में हम कर्म करें, ऐसी आस्था और संकल्प के साथ हिन्दू धर्म में सभी मंगल कार्य विवाह, संस्कार इस दिन से ही शुरू हो जाते हैं। ईश्वर के प्रति श्रद्धा भाव से पैदा हुए आत्मविश्चास ही कर्म को सफल बना देता है।

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