सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

रिश्तों का आदर्श ग्रंथ है रामचरितमानस

रामचरित मानस 17वी शताब्दी में महाकवि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखा गया एक महाकाव्य है। रामचरितमानस वाल्मिकी रामायण से प्रेरित है। रामचरित मानस त्रैता युग की कहानी है जिसके नायक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है। तुलसीदास ने सवंत् 1631 के प्रारंभ में रामनवमी के दिन रामचरित मानस की रचना प्रारंभ की।

तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना उस समय की जब चारों ओर कृष्ण भक्ति का माहौल था। कृष्ण भक्ति का रंग संपूर्ण भारत पर छाया हुआ था। ऐसे समय में तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना कर समाज को भक्ति के एक नए रंग में रंग दिया। वह रंग था रामभक्ति का।
रामचरितमानस के बहुत अधिक लोकप्रिय होने का मुख्य कारण इस काव्य का अवधि में होना था। अवधि में होने के कारण इसका प्रसार बहुत तेजी से जनसामान्य में हुआ। इसकी रचना मूल रुप से चौपाई और दोहे के रूप में की गई है। रामचरित मानस में राम जैसा एक आदर्श नायक हैं जो पूरी तरह से आदर्श पति, राजा, पुत्र व भाई हैं। राम की पत्नी सीता एक आदर्श नारी, पतिव्रता स्त्री और बहु है। लक्ष्मण और भरत जैसे निष्ठावान भाई हैं। रामचरित मानस का हर एक किरदार समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है। रामचरित मानस में कुल सात कांड यानी अध्याय है पहला बाल कांड, दूसरा अयोध्या कांड, अरण्य कांड, किष्किधां कांड, सुन्दर कांड, लंका कांड, और उत्तर कांड।

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