बुधवार, 2 मार्च 2011

यह दृश्य देखकर दोनों रानियां कांप उठी...

युधिष्ठिर और कृष्ण की जरासंध के बारे में बातचीत अब आगे...युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण की बात सुनकर उनसे कहा आप मुझे बताएं? जरासंध कौन है? यह इतना पराक्रमी क्यों है? भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कुछ समय पहले मगधदेश में बृहद्रथ नाम के राजा थे। उन्होंने कशिराज की दो कन्याओं से शादी की और ऐसी प्रतिज्ञा की कि मैं दोनों से समान प्रेम करूंगा। शादी के बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन उनके राज्य में एक महात्मा आए।
वे एक पेड़ के नीचे ठहरे हुए थे।राजा बृहद्रथ उनका आर्शीवाद लेने उनके पास गए और उनसे प्रार्थना करने लगे राजा ने उन्हें बताया कि वे संतानहीन है। तब महात्मा ने उन्हें एक फल दिया और कहा कि यह फल आप अपनी पत्नी को दें। वे इसे ग्रहण करेंगी तब आपको निश्चित ही पुत्र की प्राप्ति होगी। उनसे वह फल प्रसाद के रूप में लेकर वह फल उन्होंने दोनों रानियों को दिया।
दोनों ने उसके दो टुकड़े करके फल ग्रहण कर लिया। कुछ दिनों बाद ही रानियों ने गर्भ धारण कर लिया। राजा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। समय आने पर दोनों के गर्भ से शरीर का एक-एक टुकड़ा पैदा हुआ। उन्हें देखकर रानियां कांप उठी। उन्होंने घबराकर यही सलाह की कि इन दोनों टुकड़ो को फेंक दिया जाए। दोनों की दासियों ने वे टुकड़े रानिवास के नीचे फेंक दिए।

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