मंगलवार, 7 जून 2011

अपने जन्मदिन पर ये बात कभी न भूलें...

पं. विजयशंकर मेहता
जन्मदिन पर ज्यादातर लोग तारीख को याद रखते हैं कि हम इस दिन पैदा हुए। थोड़े बहुत लोग इससे आगे जाकर उनको याद कर लेते हैं जिनके कारण पैदा हुए, यानी अपने माता-पिता के प्रति आभारी होना। पर बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपने जन्मदिन पर एक और बात याद रखते होंगे।
दरअसल हमें पैदा किया है परमात्मा ने और केवल उन्होंने जन्म दिया है ऐसा नहीं है। उस दिन हमारे भीतर परमात्मा भी पैदा हुआ। इस बात को अपने हर जन्मदिन पर जरूर याद रखें। हमारे साथ वह भी उतरा है इस संसार में। गंगा की लहरों को देखते हुए हम महसूस कर सकते हैं कि पानी और लहर अलग-अलग हैं, लेकिन फिर भी दोनों एक हैं।
ऐसे ही हम और परमात्मा हैं। भीतर के परमात्मा से परिचित होने के लिए हमें बाहर एक सुविधा दी गई है जिसका नाम है प्रकृति। बाहर जितना हम प्रकृति से परिचित होंगे, भीतर हमें परमात्मा से मिलने में उतनी ही सुविधा होगी। यह शरीर पंच तत्वों से बना है। आज अग्नि तत्व की बात करें। हमारी संस्कृति में यज्ञ का विधान इसीलिए है कि समूचे जीवन को यज्ञमय बना दें।
इसका अर्थ है अनुशासनमय जीवन। यज्ञ में जब समिधा डाली जाती है तो अग्नि अपने व्यवहार में पूरी तरह से निष्पक्ष रहती है। यज्ञ से गुजरकर हम प्रकृति के प्रति अत्यधिक अनुशासित हो जाएंगे और यहीं से हम परमात्मा के सही स्वरूप को जान सकेंगे। गौतमबुद्ध ने यही कहा था कि जिस दिन मैं आध्यात्मिक अनुशासन से भीतर उतरा उसी दिन मुझे पता लगा कि दृष्टि निर्मल हो चुकी है। अब परमात्मा दिख नहीं रहा, अनुभव हो रहा है और इस अनुभव का नाम समाधि है।
तो वापस अच्छी तरह समझ लें अपने जन्मदिन पर हमारे भीतर, हमारे साथ जिसने जन्म लिया है उसकी अनुभूति का सुंदर अवसर गंवाए न। भीतर उतरने की एक सीढ़ी ऐसी भी है जरा मुस्कराइए...।

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