मंगलवार, 7 जून 2011

भागवत २७२

लक्ष्य को पाना है तो...
पं.विजयशंकर मेहता
पाण्डव तो भगवान के रिश्तेदार ही हैं लेकिन भगवान ने सिर्फ उनका साथ निभाया लक्ष्य प्राप्ति का प्रयास उन्होंने ने ही किया इसीलिए उन्हें लक्ष्य प्राप्त हुआ। कृष्ण ने पाण्डवों को भी कभी नहीं कहा कि तुम कुछ मत करो मैं सब ठीक कर दूंगा। इसीलिए कर्म तो जरूरी है। कथा आती है कि पाण्डव घर आए तो दाऊजी से कृष्ण ने कहा इनके पीछे चुपचाप चलो।
दाऊ ने कहा-यह तुम क्या करते हो और सोचते हो पीछे चलने की क्या आवश्यकता है? कृष्ण ने कहा-ये पांडव हैं। जैसे ही पाण्डव जंगल में अपनी कुटिया में पहुंचे अचानक कृष्ण का प्रवेश हुआ। कुन्ती ने देखा, वह एकदम दौड़ी। कृष्ण ने पहचान लिया, कृष्ण ने बुआ कहकर प्रणाम किया तो कुन्ती कृष्ण के कंधे पर सिर रखकर रोने लग गई।
कुन्ती रोते हुए कहती हैं कि कृष्ण तुम कहां चले गए थे। तुम देखो इन बच्चों की तरफ, मैंने कैसे पाला है इनको। राजा पाण्डु के जाने के बाद मैंने जंगल में इनको तैयार किया, इनको हर तरह की शिक्षा दी। हम भी कुरूवंश की संतान हैं, राजा तो पाण्डु ही थे वो तो चले गए, इसलिए अन्धे धृतराष्ट्र को बैठाया। हम कुछ नहीं चाहते पर हमें जीवन तो दे दो। हमें राज्य नहीं चाहिए। युधिष्ठिर ने तय कर लिया मुझे राजकुमार नहीं बनना, कहीं भी रहेंगे। हमारा कौन सहारा है। इन पांच बच्चों को देखो तुम।
कुन्ती का कृष्ण से बहुत गहरा स्नेह था। कुन्ती कृष्ण की बुआ थीं लेकिन उसने कृष्ण को परमात्मा के रूप में ही भेजा। यह कुन्ती का ही प्रताप था जो कृष्ण पाण्डवों के साथ हर दम खड़े रहे। विश्व की सर्वशक्तिमान हस्ती जिनके लिए हमने बचपन, यौवन तैयार किया वो आज सामने उपस्थित है, देख रहे हैं उनको। भगवान् से पूछते हैं क्या करें हम इस जंगल में कब तक पड़े रहें।
भगवान् बोलते हैं नहीं-नहीं अब तो आकाश की यात्रा आरम्भ करना है। आओ कुछ योजना बनाते हैं, विचार करते है। कुछ पुरूषार्थ करते हैं। एक बार भगवान हमारे जीवन में आए तो आप मानकर चलिए कि सारी कमियां पूरी हो जाएंगी। भगवान यह कहते हैं कि मैं साथ हूं करना तुम्हें है।
काम सारे पांडवों से कराए कृष्ण ने कभी ये नही कहा कि मैं पीठ पर हूं तुम जाकर सो जाओ।
करना तुम्हें है लेकिन अब मैं तुम्हारी योजना में शामिल हूं, तुम्हारे विचार में, तुम्हारे लक्ष्य में और तुम्हारी सफलता में हिस्सेदारी अब मेरी होगी चलो आगे चलते हैं। यहां से भगवान् के जीवन में पाण्डव युग का आरम्भ हो रहा है। भगवान् को चलते समय सूचना दी गई थी कि जरासन्ध बहुत अत्याचार कर रहा है, बहुत परेशान कर रहा है।

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