गुरुवार, 4 फ़रवरी 2010

क्या तुम जानते हो?

कैलकुलेटर का विकास....!

'प्राचीन समय में आदमी के पास गिनती का सिस्टम था ही नहीं। अगर उसको यह बताना होता था कि उसके पास कितने जानवर हैं, तो वह जानवर के एवज में एक पत्थर झोले में डाल देता था। जितने जानवर उतने पत्थर झोले में। यही कारण है कि शब्द कैलकुलेट लातिन शब्द कैलकुलस से लिया गया है जिसका अर्थ है पत्थर।'
'फिर मानव ने गिनती का सिस्टम किस तरह से विकसित किया?'
'नंबर के लिए उसके पास शब्द तो थे नहीं। इसलिए हर वस्तु जिसे गिनना होता था वह उसके एवज में एक लकीर खींचने लगा। फिर वह गिनने के लिए उँगलियों का प्रयोग करने लगा। डिजिट शब्द लातिन शब्द डिजिटस से बना है जिसका अर्थ होता है उँगली। अब दोनों हाथों में दस उँगलियाँ होती हैं, इसलिए नंबर सिस्टम में दस का आम इस्तेमाल होने लगा।'
'क्या प्राचीन समय में दुनिया भर में एक ही नंबर सिस्टम प्रयोग होता था?'
'नहीं। कुछ सिस्टम 12 पर आधारित थे, कुछ 60 और 20 पर और बहुत से 2, 5 और 8 पर। 2000 वर्ष पहले रोमनों ने एक सिस्टम विकसित किया। योरप में 16वीं शताब्दी तक इसी का प्रयोग किया जाता था। घड़ियों और कुछ पुस्तकों में पाठों को नंबर देने के लिए इसका इस्तेमाल आज भी किया जाता है। लेकिन यह बहुत ही जटिल सिस्टम है।'
'आज जो हम नंबर सिस्टम प्रयोग करते हैं उसका आविष्कार कहाँ हुआ?'
'हजारों वर्ष पहले भारत में। इसे दशमलव सिस्टम कहते हैं क्योंकि इसे दस के आधार पर विकसित किया गया है। इस सिस्टम में सारे नंबर नौ डिजिटों 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 में लिखे जाते हैं और फिर शून्य होता है। सन्‌ 900 में इस सिस्टम को अरब व्यापारी भारत से योरप ले गए।'


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