शनिवार, 16 जनवरी 2016

छत्तीसगढ के भीष्म पितामह मोहन

छत्तीसगढ़ी फिल्मों के भीष्म पितामह एवं गुलशन कुमार के नाम से मशहूर मोहनचंद सुंदरानी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। छत्तीसगढ़ के कलाकारों को खोज-खोजकर तराशना और आगे बढ़ाना उनके जीवन का मकसद है। वे कहते हैं कि छोटे-छोटे कलाकारों को आगे बढ़ाने में उन्हें एक सुखद अनुभूति का एहसास होता है। आज भी वे गांव-गांव, गली-गली में कलाकारों की तलाश में भटकते रहते हैं। उन्हें मंच देते है उनका उत्साह बढ़ाते है। इसी कड़ी में मोहन सुंदरानी ने 2006, 10 अगस्त से 2008 दिसम्बर तक लगभग 6000 गांवों से अधिक गांवों में लोक कलाकार रथयात्रा का आयोजन कर भ्रमण किया। सुंदरानी हमेशा गरीब व जरुरत मंद लोक कलाकारों की समय-समय पर आर्थिक मदद करने में भी कभी संकोच नहीं करते। वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए चिंतित भी नजर आते है। इसी तारतम्य में मोहन सुंदरानी ने राज्य में हरियाली को बढ़ावा देने और प्रदूषण मुक्ति के लिए प्रदेश भर में 1 लाख से अधिक वृक्षारोपण किये हैं। ऐसी कोई जगह नहीं है जहां सेवा की जरूरत हो और वे न पहुंचे। ''हो जिनका हौसला बुलंद, भला कौन रोक सकता है उनको बुलंदियों से कुछ इन्हीं पंक्तियों के साथ छत्तीसगढ़ के इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने वाले श्री सुंदरानी जो अपने धर्म, कर्म और सेवा के बलबूतों पर प्रेरणा के उदाहरण बन गये हैं। जो बिना रूके, बिना थके लगातार अपने कदम अनवरत रूप से गांव-गांव, शहर-शहर और गली-गली में बढ़ा रहे हैं। चाहे लोक कला का क्षेत्र हो, फिल्म हो, सार्वजनिक समारोह हो, कोई सामाजिक गतिविधियां हो, किसी कलाकार की सहायता हो, किसी गिरते हुए को उठाना हो, किसी प्रतिभा सम्पन्न कलाकार को मंच देना हो या फिर वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध बेटी बटाओ अभियान हो। हर जगह पूरी तन्मता और कर्तव्य निष्ठता के साथ दृढ़ता पूर्वक बढ़ते नजर आते हैं। पर्यावरण की पीड़ा तो मानो उनके रग-रग में है। जो माटी की समस्या से जुड़कर माटी का सोंधी महक को सहसूस करता हो भला कौन ऐसे व्यक्तित्व के बार में जानना नहीं चाहेगा। 
कला के पुरोधा है
मोहन सुंदरानी ने, उन्होंने सिर्फ नाचा गम्मत को उठाने का काम किया बल्कि  उसमें अभिनय भी किया। नाचा गम्मत के साथ-साथ फिल्मों व रंग मंचों में भी अभिनय किया। मोहन सुंदरानी ने सदैव कला और आस्था से पूरी निष्पक्षता के साथ गीत-संगीत भजनों का निर्माण भी किया है। इसी कड़ी में उन्होंने 200 से अधिक सतनाम समाज के गुरूघासी दास बाबा के जीवन पर कथाएं, पंथी गीत भजनों के ऑडियों कैसेट का निर्माण किया है। जिसमें सतनाम समाज के कलाकारों को प्रोत्साहन व मंच मिला है। वहीं साहू समाज की पूज्यनीय संत माता कर्मा व राजीम माता के ऑडियो कैसेट का निर्माण कर इन भक्ति गीतों को जन-जन तक पहुंचाया है। 500 वर्ष पुरानी छत्तीसगढ़ी की लोक कथा लोरिक चंदा का निर्माण कर पारम्परिक बिहाव गीत जो रितिरिवाजों पर आधारित है उनको वीडियो सीडी के माध्यम से जारी कर जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। आदिवासी क्षेत्रों के लिए गौरा-गौरी, सुवा डंडा गीतों को वीडियों सीडी के रूप में निर्माण कर इन पारम्परिक कलाओं का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
बाल कलाकारों को आगे बढ़ाया
मोहन सुंदरानी ने कई वर्षों से बाल कलाकारों को प्रोत्साहन देने, उनके अभिनय एवं कला पर आधारित धार्मिक, लोक संस्कृति व देश भक्ति वीडियो सीडी का प्रसारण मंचन प्रदेश व देश कोने-कोने में कर रहे हैं जो वास्तव में बाल कलाकारों की कला और प्रतिभा के विकास में सुनहरा कदम है।
बेबी श्रेया मिश्रा उम्र 18 वर्ष-जय हिन्द देश भक्ति गीत। बेबी शैली बिड़वईकर-वन्दे मातरम। बेबी स्तुति तिवारी- राम बनवास हिन्दी धार्मिक, राजा हरिश्चन्द्र हिन्दी धार्मिक। बेबी दिव्यांशी शुक्ला-मेरी लाज रखो मां कोराड़ी हिन्दी, मेरी लाज रखो मां महामाया हिन्दी, मां बम्लेश्वरी चालिसा हिन्दी, मेरी लाज रखो मां शारदा हिन्दी। बेबी ज्योति चंचल- भरत मिलाप छत्तीसगढ़ी, राम जन्म छत्तीसगढ़ी बेबी हेमलता साहू-नारी धरम छत्तीसगढ़ी, दानवीर राजा हरिश्चन्द्र छत्तीसगढ़ी। बेबी रिंकल सुंदरानी- गणेश मंत्र हिन्दी, गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र हिन्दी संस्कृत। मास्चर चंदन व्यास- मेरा दोस्त गणेश हिन्दी। बेबी गुरप्रीत कौन- मुठा भर लाई छत्तीसगढ़ी देवी गीत। बेबी दीप्ति बघेल- सीता राम जी का लिफाका बुंदेलखण्डी। बेबी स्वर्णा दिवाकर- ओ मेरी मईया छत्तीसगढ़ी देवी गीत, ओ मेरे सीया राम छत्तीसगढ़ी रामायण, घट घट म बसे सतनाम (पूज्यनीय गुरूघासीदास बाबा), 18 दिसम्बर महान (पूज्यनीय गुरूघासीदास बाबा), सुवा गौरा गौरी महिमा (छत्तीसगढ़ी लोक संस्कृति पर आधारित), मुसवा के सवारी छत्तीसगढ़ी धार्मिक इत्यादि...
कला पथ का ऐसा पथिक और कहां-  
मोहन सुंदरानी इतने जिज्ञासु और दृष्टा हैं कि वो लगातार कुछ न कुछ खोजने में लगे रहते हैं। कुछ खास बात और भी है और वो बातें छत्तीसगढ़ की पुरानी लोकगाथा लोरिक चंदा व छत्तीसगढ़ी में रामायण प्रसंगों को सीडी के माध्यम से प्रसारित करने की है। छत्तीसगढ़ी भाषा में फिल्में जय मां बम्लेश्वरी, लेडग़ा ममा, हमर माई बाप, झन भूलव बहिनी ला, बदला नागीन के, लोरिक चंदा, मया के चिटठी, संग मा जीबो संग मा मरबो, मयारू भौजी, जय महामाया, तोर मया म जादू हे, हीरो नं.-1 व गोलमाल के निर्माण के साथ प्रदेश भर में अन्य निर्माताओं के 80 से अधिक बनी फिल्मों को देश प्रदेश में वीडियो व डीवीडी के माध्यम से प्रचारित प्रसारित किये। मोहन सुंदरानी ने छत्तीसगढ़ के दूरदर्शन केन्द्र से 500 से अधिक प्रायोजित कार्यक्रमों का प्रसारण भी करवाए।
बेटी बचाओ अभियान में भी कूदे- देश- प्रदेश में बेटियों की दूर्दशा देखकर मोहन सुंदरानी ने कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में विगत कई महिनों से लगातार इस अभियान से जुडऩे के लिए शहरों गांव और गलियों में बेटियों की सुरक्षा के लिए बेटी बचाओ अभियान में काफी सक्रिय दिख रहे हैं। इस अभियान में उनके साथ हजारों ग्रामीणों, शहरियों के साथ अनेक बुद्धिजीवी लोग भी कदम से कदम मिला के चल रहें हैं और उनके इस कार्य में तमाम लोक कलाकार भी उनका साथ दे रहे हैं। मोहन सुंदरानी कन्या स्कूलों और कॉलेजो में जाकर कन्याओं को नि:शुल्क कापी वितरण की भी तैयारी कर रहें हैं। इस कार्यक्रम में लगभग 1 लाख कापी का वितरण होना है। मोहन सुंदरानी बेटियों की सुरक्षा हेतु इस बड़े मुहिम से जुड़कर निश्चित रूप से समाज के लिए प्रेरणाश्रोत बन गये हैं।
कलाकारों के लिए उनका योगदान
मनोरंजन के नये साधन आने के बाद गम्मत नाचा की परियां, जोकर अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए जुझ रहे थे। उन्होंने ऐसे लोगों को लगातार मंच दिया, सम्मान दिया। स्व. झुमुकदास बघेल, नाईकदास मानिकपुरी, स्व. बरसन नाचा जोकर, जेठुराम नाचा जोकर, पकला आदि अनेक कलाकारों के कार्यक्रम गांवों में ही करवाये। नाचा गम्मत के 100 से भी अधिक आडियो वीडियो कैसेट बनायें और हमेंशा इस बात की सतर्कता रखी की इन कलाओं के मूल तत्व बरकरार रहे। इन कलाकारों को राज्य में मंच तो दिये ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री के सामने भी प्रदर्शन के लिए अवसर सुनिश्चित कराये। उन्होंने बांसगीत, गोड़ी नाच जैसी विधाओं की कलाकारों की तलाश 2006 में शुरू की जो अब तक जारी है।
ऐसे कलाकारों के गांवों और निवास तक पहुंच कर उन्हें आर्थिक और सामाजिक सहायता मुहैया करायी। इसके साथ ही साथ अस्पतालों में भर्ती कलाकारों की भी मदद की। सरगुजिया कर्मा नृत्य, बस्तरीय नृत्य, लेझा कर्मा आदि का प्रचा-प्रसार किया बुढ़ा देव गौरी-गौरा पर आधारित आडियो वीडियो सीडी का निर्माण किया। निषाद समाज में पूज्यनीय केवट राज पर अनेक आडियो वीडियो सीडी का निर्माण किया।
जसगीत की समृद्ध परम्परा जो छत्तीसगढ़ में व्याप्त है इस दिशा में उन्होंने बहुत प्रयास किया। पारम्परिक जस गीत जवांरा, सेवा, सांगा, बाना पर आधारित 1200 से अधिक गीतों तलाश कर उन्हें दुकालीू यादव, दिलीप षडंग़ी, संतोष थापा, अलका चन्द्राकर, स्व. पंचराम मिर्झा, कुलेश्वर ताम्रकार, नीलकमम वैष्णव, रामू यादव, कविता वासनिक जैसे ख्याति लब्ध कलाकारों से गवाया। इन गीतों की सीडी अनेक लोक कलाकारों की आवाजों में प्रदेश के कोने-कोने के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी पहुंचवाई। उन्होंने लोक वाद्यों जैसे मांदर, झांज, तबला, झुमका, ढोलक बैन्जो, घुंघरू से संगीत के मूल रूप में स्थापित करने का प्रयास किया जिसे लोग वास्तव में पसंद करते हैं।

सभी एक्टर मेरे आदर्श हैं : अरविन्द

छत्तीसगढ़ी फिल्मो के खलनायक अरविंद गुप्ता का कहना है कि छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है। मै अपने कामो से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। अरविंद को कभी निराशा नहीं होती । वे कहते है की बाप बड़े ना भैया मेरे लिए मेरे जीवन की सबसे बेहतर फिल्म है। हाव किसी की नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। अरविन्द स्कूल में ड्रामा किया करता था और आज फिल्मो के विलेन है। उनसे हमने हर पहलूओं पे बात की। पेश है बातचीत के संपादित अंश।
आपको एक्टिंग के प्रति कैसे दिलचस्पी हुई ?
बचपन से शौक था एक्टिंग करने का। लोगो को देखकर लगा की मुझे भी इस क्षेत्र में कुछ करना चाहिए।
कैसे और कहाँ से आपने एक्टिंग का सफर शुरू किया?
बचपन में मै स्कूल में ड्रामा किया करता था। बाद में मुझे थियेटर का शौक हुआ। ऐसा करते करते मैंने छत्तीसगढ़ी फिल्मो की ऑर कदम बढ़ाया।
फिल्मों में काम करते आपको कितना वक्त हो गया ?
पिछले 15 सैलून से मै इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ। इसके पहले हिन्दी एल्बम में काम किया है जो काफी चर्चित हुई थी।
अब तक की आपकी उपलब्धी क्या है?
मैंने करीब 10 छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम किया है और कुछ एल्बम बनाये है। हिन्दी में बानी एल्बम साईं मेरे सरकार सबसे चर्चित एल्बम है जो पूरे देश में देखे और सुने जाते है। इसमें मैंने एक्टिंग भी की है।
आप छस्तीस्सगढ़ी फिल्मों में अपना आदर्श किसे मानते है?
छालीवुड में काम करने वाली सभी एक्टर उनके आदर्श है। क्योकि सबसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को ही मिलता है।
क्या आप अपने कामों से संतुष्ट हैं? 
हाँ, मैं अपने कामों से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। बाप बड़े ना भैया मेरे लिए मेरे जीवन की सबसे बेहतर फिल्म है।
आप किस कलाकार को फॉलो करते है?
मैं किसी की नक़ल नहीं करना चाहते और अपने बलबूते पर ही आगे बढऩा चाहते हैं। सब मेरे लिए अच्छे है पर मै किसी को भी फॉलो नहीं करता।
आपके प्रेरणाश्रोत कौन है और आपको कब ब्रेक मिला ?
फिल्म निर्माता एजाज वारसी मेरे प्रेरणाश्रोत है। और मुझे बाप बड़े ना भैया फिल्म से ब्रेक मिला है इस फिल्म में मेरे काम की हर तरफ तारीफ़ मिली थी।
आपको कभी निराशा हुई थी ? 
कभी नहीं! मैं सिखाता रहता हूँ और कोशिश करता हूँ की मुझे काम मिलता रहे। काम नहीं मिलने पर भी मै निराश नहीं होता हूँ। 

मॉडलिंग में कॅरियर बनाना चाहती है : ट्वीटी

छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे केसकाल में पली बढ़ी ट्वीटी मरकाम ने अपनी छोटी सी उम्र में एक बढ़ी उपलब्धी हासिल कर ली है। मॉडलिंग की दुनिया में कॅरियर बनाने की इच्छा रखने वाली ट्वीटी कहती है कि बॉलीवड से फिल्मो में ऑफर तो है पर उनका मकसद मॉडलिंग में नाम कमाने की है। अपनी , अपनी राज्य के लिए वे छत्तीसगढ़ी फिल्मो में काम कर सकती है। खूबसूरत ट्वीटी ने मॉडलिंग के लिए किसी से प्रेरणा नहीं ली है और अपने बलबूते ही बुलंदियां छूने लगी है। मिस स्टील सिटी,आईकॉन मिस इंडिया , फैशन वीक ड्रेसअप का खिताब जैसे कई उपलब्धी पा चुकी स्वीटी अब अपनी कॅरियर बनाने आगे चल पडी है।  पेश है बातचीत के संपादित अंश।  
आपने मॉडलिंग का क्षेत्र ही क्यों चुना ?
मुझे बचपन से ही मॉडलिंग का शौक है। मै जब भी टीवी में मॉडलों को देखती हूँ तब तब मै रोमांचित हो उठती हूँ।
आपने मॉडलिंग की ट्रेनिंग ली है या ले रही है?
नहीं मैंने मॉडलिंग की कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। खुद से करती हूँ। ये मेरा शौक है जिसे मै प्रोफेशन बनाना चाहती हूँ। लोगो को देखा देखकर ही मई प्रेक्टिस करती हूँ।
क्या आप फिल्मों में भी जाना चाहेंगी ?
हाँ पर अभी मेरा लक्ष्य सिर्फ मॉडलिंग है। अच्छी भूमिका मिली तो मै बाद में फिल्मो में जाना चाहूंगी। लेकिन नाम तो मॉडलिंग में ही कमाना चाहती हूँ।
आप छत्तीसगढ़ से है तो क्या छत्तीसगढ़ी फिल्मो में किस्मत आजमाना चाहेंगी ?
जरूर छत्तीसगढ़ी फिल्मे अवश्य करूंगी पर अभी नहीं। अभी भी मेरे पास फिल्मों का कई ऑफर है ,पर मैंने इस बारे में हाँ नहीं कहा है।
आप अपना प्रेरणाश्रोत किसे मानती है?
कोई नहीं है मै खुद ही इस क्षेत्र में आगे बढ़ रही हूँ। न मैंने किसी से सीखा है और न ही किसी ने मुझे इस क्षेत्र में कदम रखने की प्रेरणा ही दी है।
आपका आदर्श कौन है , जिसे आप फॉलो करती है ?
मेरे आदर्श भी कोई नहीं है, ऐसा कोई है नहीं जिसे मैं फॉलो करूँ । हाँ फिल्मों में मैं रेखा को पसंद करती हूँ।
आपकी कोई तमन्ना है जिसे लेकर आप आगे बढ़ रही है । 
बस एक ही तमन्ना है मॉडलिंग और कुछ भी नहीं। राष्ट्रीय स्टार पर इसी में नाम कमाना चाहती हूँ।
कभी आपको निराशा महसूस हुई है और कभी ऐसा क्षण आया है जब आप बहुत खुश हुई हो?
नहीं मुझे कभी भी निराशा नहीं हुई है। मैंने जो चाहा है वह पाया है। मॉडलिंग में भी मै आगे बाद रही हूँ। मैंने कई अवार्ड जीते है। जब जब मैंने अवार्ड जीते है तब तब मै रोमांचित हुई हूँ। अवार्ड जीतना अपनी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
संक्षिप्त परिचय 
नाम-ट्वीटी मरकाम 
असली नाम-सपना ठाकुर 
जन्म- 2 फरवरी 1994 
गृह नगर-केसकाल छत्तीसगढ़ 
कार्य-मॉडलिंग,  एक्टिंग 
सम्प्रति- सौंदर्य स्पर्धा में कई अवार्ड 

एक अच्छा एक्टर बनना चाहता हूं : प्रमोद

ये रिश्ता क्या कहलाता है, अफसर बिटिया, बड़े अच्छे लगते हो, देवो के देव महादेव जैसे धारावाहिको में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके प्रमोद शर्मा का कहना है मै अपने इस जिंदगी में एक अच्छे इंसान और अच्छे एक्टर बनने की ख्वाहिश रखता हूँ। मै आज जो कुछ भी हूँ अपनी पत्नी रूची शर्मा के बदौलत हूँ। अपने एक्टिंग जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देख चुके प्रमोद को इस इंडस्ट्री में कई अच्छे लोग मिले तो कई बुरे लोग भी मिले। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म सत्याग्रह कर वे बेहद रोमांचित है। अब उन्होंने छत्तीसगढ़ी फिल्म की ओर कदम बढ़ाया , माटी मोर मितान में वे बतौर नायक काम किया है।
आपने अपने कॅरियर के लिए फिल्म लाईन को ही क्यों चुना?
बचपन से ही कुछ अच्छा करने की तमन्ना रही है तो आ गया। पकहले मै मुंबई गया जहां मुझे काफेई संघर्ष करना पड़ा।
इस क्षेत्र में कब से है और कैसे ब्रेक मिला?
इस क्षेत्र में मै आठ सालों से हूँ। एक ऐड पढ़कर टेस्ट देने गया था और सेलेक्ट हो गया। छत्तीसगढ़ी फिल्म कका में पहले विलेन का रोल किया था। कई धारावाहिकों में भी मैंने काम किया है।
कौन कौन से धारावाहिक में आपने काम किया है?
ये रिश्ता क्या कहलाता है , अफसर बिटिया, बड़े अच्छे लगते हो , देवो के देव महादेव जैसे धारावाहिको में मैंने काम किया है। जिससे मुझे अच्छे लोगो से मिलने का मौका मिला।
फिर आप मुम्बई छोड़कर छत्तीसगढ़ क्यों लौट आये?
मुझे छत्तीसगढ़ अच्छा लगता है। इसलिए मै छत्तीसगढ़ फिल्म ही करने की सोची है माटी मोर मितान में मेरी नायक की भूमिका है, जो अभी प्रदर्शित होने वाली है।
आपकी आगे क्या तमना है?
छत्तीसगढ़ी फिल्मो में  नाम कमाना चाहता हूँ। छत्तीसगढ़ , छत्तीसगढ़ी फिल्मो और छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति मुझे बहुत लगाव है। मै इसके के लिए कुछ करना चाहता हूँ , जिससे छत्तीसगढ़ का नाम मेरे साथ जुड़े।आपके प्रेरणाश्रोत कौन है?
मेरी पत्नी रूचि शर्मा ही मेरी प्रेरणाश्रोत है। उन्होंने मुझसे एक दिन कहा था कि मै आपको बड़े परदे पर देखना चाहती हूँ और उन्होंने मेरा बहुत ही हौसला बढ़ाया ,जिसके कारण आज मै इस मुकाम पर हूँ।
आप अपना आदर्श किसे मानते है?
अमिताभ बच्चन जी को। वे बहुत ही नेकदिल इंसान है। मैंने उनके साथ फिल्म सत्याग्रह किया है। एक बार मै अपने भतीजे से फोन पर बात कर रहा था तभी अमिताभ जी ने मुझे फोन लेकर मेरे भतीजे से करीब 5 मिनट तक बात की , जो मेरे लिए गर्व की बात है।
अपने इस जीवन में कभी निराशा मिली है?
हाँ, शुरुआत में मुझे बहुत से गलत इंसान मिले तो मै निराश हो गया था तब मेरी पत्नी ने मेरा हौसला बढ़ाया।
सबसे ज्यादा उत्साहित कब हुए ?
अमिताभ बच्चन से मिलकर । वो मेरी जिंदगी का सबसे खुशनुमा पल रहा है।
भविष्य की क्या योजना है ?
बस एक अच्छा इंसान और एक अच्छा एक्टर बनने की तमन्ना है। 

छत्तीसगढ़ को हमेशा प्रमोट करती रहूंगी : धृति

मॉडलिंग में ही कॅरियर बनाना चाहूंगी 
फिल्म काबुली पठान की नायिका धृति पटेल का कहना है कि मै मॉडलिंग में ही अपना कॅरियर बनाना चाहूंगी। मिस इंडिया 2015 की प्रतिभागी धृति पटेल को रायपुर में ही मंच मिला और आज उनके नाम कई उपलब्धियां है। मिस ब्यूटीफुल छत्तीसगढ़, मिस ब्यूटीफुल रायपुर, मॉडल आफ द इयर आदि। भारत अफगानिस्तान की फिल्म काबुली पठान में नायिका की भूमिका निभाकर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन करने वाली धृति पटेल का कहना है कि आगे चलकर मै छत्तीसगढ़ को हमेशा प्रमोट करती रहूंगी। वे इस समय मिस इंडिया की तैयारी कर रही है। धृति पटेल आज सन स्टार के दफ्तर आई तो हमने उनसे हर पहलूओं पर बेबाक बात की। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश। 
आपने काबुली मूवी किया है आपको वहां की मूवी में काम करके कैसा लगा?
बहुत अच्छा लगा। भारत अफगानिस्तान पर आधारित है इसलिए इसमें काम करना मेरे लिए गौरव की बात रही है।
इस फिल्म में आखिर है क्या?
दो मुल्को की लव स्टोरी है। मै इंडिया की लड़की हूँ और अफगानिस्तान के लड़के से प्यार हो जाता है। दो मुल्को के बिच का मामला है। कहानी बहुत ही सुन्दर है। यह फिल्म अफगानिस्तान में रिलीज हो चुकी है और इण्डिया में रिलीज होना बाकी है।
आपको इस ओर रूची कैसे हुई ?
बचपन से ही मुझे फिल्म देखने और कुछ करने की रूची रही है। और एक बार मै मन में कुछ ठान लेती हूँ तो करती जरूर हूँ।
आपको ब्रेक कहाँ और कैसे मिला ?
मुझे रायपुर आने के बाद ही ब्रेक मिला। मिस रायपुर और मिस छत्तीसगढ में मुझे मिस ब्यूटीफुल का अवार्ड मिला ,फिर मै मिस इंडिया के लिए प्रतिभागी बनी। मिस इण्डिया नागपुर में मै टॉप थ्री रही और अब पुणे के तैयारी कर रही हूँ।
आपके आदर्श और प्रेरणाश्रोत कौन है ?
कोई नहीं है मै खुद के बलबूते इस क्षेत्र में कदम रखी हूँ । ना मुझे किसी ने प्रोत्साहित किया और ना ही किसी ने हतोत्साहित किया।
परिवार से आपको कितना सहयोग मिला?
परिवार से मुझे कोई सहयोग नहीं मिला पर किसी ने मुझे रोका भी नहीं। मेरे माता-पिता का कहना है कि तुम जो भी करोगी उसमे ही हमें खुशी होगी।
भविष्य की कोई योजना है या कोई तमन्ना है ?
मैं अपना पूरा ध्यान मॉडलिंग पर ही लगाना चाहूँगी। मेरी तमन्ना मॉडलिंग में ही कॅरियर बनाने की है।
अगर फिल्मों में काम करने का ऑफर मिला तो, क्योकि आपने काबुली पठान नामक मूवी की है। 
हिन्दी फिल्में जरूर करना चाहूंगी और छत्तीसगढ़ को प्रमोट करने की बड़ी तमन्ना है।
संक्षिप्त परिचय 
नाम-धृति पटेल
शिक्षा-बीई इलेक्टिकल
जन्म-29 अप्रैल 1993
चर्चित फिल्म
काबुली पठान
अवार्ड 
मिस ब्यूटीफुल रायपुर
मिस ब्यूटीफुल छत्तीसगढ़
मॉडल आफ द इयर
मिस इंडिया 2015 की प्रतिभागी

मंगलवार, 5 जनवरी 2016

छालीवुड परदे के बुरे इंसान

छालीवुड परदे पर ये कलाकार बुरे इंसान के किरदार में जरूर नजर आतें हैं पर वास्तविक जिंदगी में उतने ही मिलनसार और अच्छे इंसान होते हैं। खलनायक का पात्र किसी भी फिल्म का मुख्य हिस्सा होता है। खलनायकों के साथ एक विडंबना यह भी होती है, वो अपना काम कितने भी अच्छे से कर जाएं, कभी प्यार नहीं पाते। फिर भी खलनायक बनने की लालसा सबमे होती है। बॉलीवुड में बड़े बड़े नायक भी खलनायक की भूमिका निभा चुके है। आइये हम आपको मिलवाते है छालीवुड के खलनायकों से।
 - अरुण कुमार बंछोर

डॉ अजय सहाय - मशहूर मधुमेह व् हृदयरोग विशेषज्ञ होने के साथ साथ छालीवुड के बेस्ट खलनायक भी है। इन्होने अब तक कई दर्जन फिल्मे की है। हिन्दी और भोजपुरी फिल्मो में भी वे अपनी कला का जादू बिखेर
चुके है। आज डॉ अजय सहाय निर्माताओं की पहली पसंद है। वे छोटे बड़े सभी नायकों के साथ काम कर चुके हैं। सन 2014 में वे बेस्ट खलनायक का खिताब हासिल कर चुके है। इसके पहले उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं।

मनमोहन ठाकुर -  छालीवुड में गिरधारी पांडे के नाम से मशहूर सबसे बड़े खलनायक मनमोहन ठाकुर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे अब तक 80 से ज्यादा फिल्मो में अपने
अभिनय का जादू दिखा चुके हैं। मनमोहन सबसे चर्चित खलनायक हैं। उनकी कला के सब कायल है। हालांकि अब वे नायक की भूमिका में आने लगे है पर उनकी पहचान एक खलनायक के रूप में ही है। कई चार्चित फिल्मों में उनकी तूती बोलती रही है।

धर्मेन्द्र चौबे - जाने माने खलनायक धर्मेन्द्र चौबे अब फिल्मो की मांग है। उन्होंने करीब 25 फिल्मे की है और छालीवुड मे अपनी पहचान बना चुके हैं। हाल ही में रिकार्ड कमाई करने वाली फिल्म राजा छत्तीसगढिय़ा में
धर्मेन्द्र चौबे मुख्य खलनायक की भूमिका में है। इस फिल्म ने एक करोड़ को पार किया था। इतना ही नहीं धर्मेन्द्र चौबे फिल्मो में बुरे इंसान जरूर है पर असल जिंदगी में वे जिंदादिल इंसान और मिलनसार हैं।

काशी नायक - छालीवुड के खलनायकों में काशी नायक का नाम ना ले तो कहानी अधूरी लगेगी। मया 2 फिल्म अभी थियेटरों में धूम मचा रही मचा रही है जिसमे खलनायक काशी
नायक ने अमिट छाप छोड़ी है । काशी के कला में दम है। रोबदार आवाज , कुटिल मुस्कान ही उनके अच्छे विलेन होने का सबूत है। काशी ने फिल्म दबंग देहाती में भी मुख्य विलेन का किरदार निभाया है।

पुष्पेन्द्र सिंह - पांच भाषाओं में फिल्म करने वाले पुष्पेन्द्र सिंह बिरले इंसान है। छत्तीसगढ़ी फिल्मो में खलनायक के रूप में यह एक जाना पहचाना नाम है। अब तक 50 छत्तीसगढ़ी फिल्म , 4 भोजपुरी 1 मराठी 2 बुन्देखंडी 3 हिन्दी और 1 उडीयां फिल्म में अपनी भूमिका से सबको प्रभावित किया है।
यही नहीं पुष्पेन्द्र सिंह  को कई कलाओं में महारत हासिल है। इन्होने अब बॉलीवुड की ओर रूख कर लिया है फिर भी छालीवुड के लिए वे हमेशा ही उपलब्द्ध रहेंगे ।

विनय अम्बष्ड - एक जानदार खलनायक है जिन्होंने कई फिल्मो में विलेन के किरदार में लोगो का दिल जीता है। सरपंच ,राजा छत्तीसगढिय़ा इनकी मुख्य फिल्म है। थियेटर से छालीवुड में कदम रखने वाले विनय अम्बष्ड ने फिल्मो में अपनी कला से सबका दिल जीता है। एक खलनायक के रूप में इनकी पहचान बन गयी है। विनय जी को खलनायकी बहुत पसंद है।

प्रदीप शर्मा - छालीवुड के सीनियर कलाकार प्रदीप शर्मा ने कई फिल्मो में खलनायक की भूमिका में जान डाल दी है। भिलाई थियेटर से फिल्मो में आये
श्री शर्मा ने छत्तीसगढ़ी फिल्मो के अलावा हिंदी ,उडिय़ा,और साउथ की फिल्मो में भी काम किया है। अभी हाल ही में वे हिलण्डी फिल्म आशिक आवारा करके वापस छत्तीसगढ़ लौटे है। विलेन के साथ साथ वे तमाम हीरो हीरोइन के पिता की भूमिका में नजर आ चुके हैं।

बलराज पाठक -मयारू भौजी में आपने तीखे ओर कड़क इंसान को देखा होगा। वे कोई और नहीं बलराज
पाठक ही है। पाठक जी ने कई छालीवुड की फिल्मों में खलनायक का किरदार निभाकर लोगो के दिलों में अपनी जगह बनाई है। उन्हें खलनायकी ही पसंद है। वे कहते हैं की विलेन ही फिल्म का में किरदार होता है। विलेन ना हो तो फिल्म बेजान होत है।

विजय मेहरा - छत्तीसगढ़ फिल्म मितवा के दाऊ जी यानी विजय मेहरा आज छालीवुड के जाना पहचाना नाम है। खलनायक के रूप में उन्होंने छालीवुड में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। फिल्म मया दे दे मयारू में
निगेटिव किरदार निभाने वाले विजय मेहरा फिल्म मितवा में ऐसी खलनायकी की जिससे लोगो में नायक की नहीं बल्कि खलनायक की ज्यादा चर्चा हुई।

एजाज वारसी - छालीवुड का एक अहम किरदार है एजाज वारसी जिन्होंने कई कलाओं में महारत हासिल की है। वे एक खलनायक के साथ साथ एक निर्देशक और एक एक्टर भी है। वे हिन्दी छत्तीसगढ़ी भोजपुरी और पंजाबी फिल्म में खलनायक का किरदार निभा चुके है। एजाज वारसी के नाम 70 -80 भी ज्यादा फिल्मे है। उनका माने तो खलनायक ही  मुख्य किरदार है।

उपासना वैष्णव - छालीवुड के सबसे सीनियर महिला कलाकार उपासना वैष्णव को आप छत्तीसगढ़ी फिल्मो में दयालू माँ के अलावा क्रूर महिला के रूप में भी देखे होंगे। कई फिल्मो में वे
खलनायिका का रोल निभा चुके हैं। गुरावट , मया जैसी फिल्मो में निगेटिव रोल करने वाली उपासना वैष्णव ने अब तक, करीब 90 फिल्मे कर चुकी है। उपासना फिल्मो में जितनी क्रूर नजर आती है वास्तविक जिंदगी में उतनी ही मिलनसार और अच्छी महिला है।

श्वेता शर्मा - छालीवुड में माँ बहन की भूमिका में नजर आने वाली श्वेता शर्मा कई फिल्मों में खलनायिका की
भूमिका अदा कर चुकी है। हाल ही में बनी फिल्म दबंग देहाती में भी वे खलनायिका के रूप में लोगो को डराती नजर आएंगी। श्वेता भी वास्तविक जिंदगी में बहुत ही मिलनसार महिला है जो बुरे वक्त में लोगो के साथ खड़ी नजर आती है।

उर्वशी साहू - छालीवुड की सबसे तीखी नजर आने वाली महिला उर्वशी साहू छात्तीसगढ़ी फिल्मो की एक अच्छी खलनायिका है। माँ बहन भाभी की भूमिका में जान डालने वाली उर्वशी खलनायिका की भूमिका में
ज्यादा प्रभावी होती हैं। 50 से अधिक फिल्मे कर चुकी उर्वशी साहू को भी निगेटिव रोल ही पसंद है। उनकी आने वाली फिल्म दबंग देहाती है जिसमे वे नायक करण खान की मा की भूमिका में है।

मनोजदीप - छालीवुड के बेस्ट कोरियोग्राफर मनोज दीप मौका मिलने पर सभी प्रकार के किरदार निभा लेते
है। उन्होंने कई फिल्मों में विलेन की भूमिका निभा चुके है।मया 2 में भी उनकी भूमिका निगेटिव है और इस भूमिका में उन्होंने जान डाल दी है। मनोजदीप जितने अच्छे विलेन है उतने ही अच्छे कलाकार और कोरियोग्राफर है। निगेटिव किरदार में बुरे इंसान कहलाने वाले मनोज वास्तविक जिंदगी में एक जिंदादिल इंसान है।

संतोष सारथी -छालीवुड में संतोष सारथी एक ऐसा नाम है जिन्होंने नायक के साथ साथ खलनायक के रूप में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल की है । संतोष सारथी ने 4 फिल्मो में खलनायक की भूमिका निभाई है। वे
छालीवुड के सबसे जल्द लोकप्रिय होने वाले पहले कलाकार है। उनकी कला का लोहा छोटे बड़े सभी मानते है।