सिक्किम सहायता·सूचना (
सिखिम भी)
भारत का एक पर्वतीय
राज्य है। सिक्किम की जनसंख्या भारत के राज्यों में न्यूनतम
[1] तथा क्षेत्रफल
गोआ के पश्चात न्यूनतम है। सिक्किम
नामग्याल राजतन्त्र द्वारा शासित एक स्वतन्त्र राज्य था, परन्तु प्रशासनिक समस्यायों के चलते तथा भारत से विलय के जनमत के कारण १९७५ में एक जनमत-संग्रह के अनुसार भारत में विलीन हो गया।
[2] उसी जनमत संग्रह के पश्चात राजतन्त्र का अन्त तथा भारतीय संविधान की नियम-प्रणाली के ढाचें में प्रजातन्त्र का उदय हुआ।
[3]
अपने छोटे आकार के बावजूद सिक्किम भौगोलिक दृष्टि से काफ़ी विविधतापूर्ण है।
कंचनजंगा जो कि दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी भाग में
नेपाल की सीमा पर है और इस पर्वत चोटी को प्रदेश के कई भागो से आसानी से देखा जा सकता है। साफ सुथरा होना, प्राकृतिक सुंदरता एवं राजनीतिक स्थिरता आदि विशेषताओं के कारण सिक्किम भारत में
पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है।
नाम का मूल
'सिक्किम' शब्द का सर्वमान्य स्रोत
लिम्बू भाषा के शब्दों
सु (अर्थात "नवीन") तथा
ख्यिम (अर्थात "महल" अथवा "घर" - जो कि प्रदेश के पहले राजा फुन्त्सोक नामग्याल के द्वारा बनाये गये महल का संकेतक है) को जोड़कर बना है।
तिब्बती भाषा में सिक्किम को
दॅञ्जॉङ्ग, अर्थात "चावल की घाटी" कहा जाता है।
[6]
इतिहास
गुरु रिन्पोचे, सिक्किम के संरक्षक सन्त की मूर्ति.
नाम्ची की मूर्ति १८८ फीट पर विश्व में उनकी सबसे ऊँची मूर्ति है।
बौद्ध भिक्षु
गुरु रिन्पोचे (पद्मसंभव) का ८वीं सदी में सिक्किम दौरा यहाँ से सम्बन्धित सबसे प्राचीन विवरण है। अभिलेखित है कि उन्होंने
बौद्ध धर्म का प्रचार किया, सिक्किम को आशीष दिया तथा कुछ सदियों पश्चात आने वाले राज्य की भविष्यवाणी की। मान्यता के अनुसार १४वीं सदी में
ख्ये बुम्सा, पूर्वी
तिब्बत में
खाम के
मिन्यक महल के एक राजकुमार को एक रात दैवीय दृष्टि के अनुसार दक्षिण की ओर जाने का आदेश मिला। इनके ही वंशजों ने सिक्किम में राजतन्त्र की स्थापना की। १६४२ इस्वी में ख्ये के पाँचवें वंशज
फुन्त्सोंग नामग्याल को तीन बौद्ध भिक्षु, जो उत्तर, पूर्व तथा दक्षिण से आये थे, द्वारा
युक्सोम में सिक्किम का प्रथम
चोग्याल(राजा) घोषित किया गया। इस प्रकार सिक्किम में राजतन्त्र का आरम्भ हुआ।
फुन्त्सोंग नामग्याल के पुत्र,
तेन्सुंग नामग्याल ने उनके पश्चात १६७० में कार्य-भार संभाला। तेन्सुंग ने राजधानी को
युक्सोम से
रबदेन्त्से स्थानान्तरित कर दिया। सन १७०० में
भूटान में चोग्याल की अर्ध-बहन, जिसे राज-गद्दी से वंचित कर दिया गया था, द्वारा सिक्किम पर आक्रमण हुआ। तिब्बतियों की सहयता से चोग्याल को राज-गद्दी पुनः सौंप दी गयी। १७१७ तथा १७३३ के बीच सिक्किम को नेपाल तथा भूटान के अनेक आक्रमणों का सामना करना पड़ा जिसके कारण रबदेन्त्से का अन्तत:पतन हो गया।
[3]
1791 में चीन ने सिक्किम की मदद के लिये और तिब्बत को गोरखा से बचाने के लिये अपनी सेना भेज दी थी। नेपाल की हार के पश्चात, सिक्किम
किंग वंश का भाग बन गया। पड़ोसी देश
भारत में
ब्रतानी राज आने के बाद सिक्किम ने अपने प्रमुख दुश्मन
नेपाल के विरुद्ध उससे हाथ मिला लिया। नेपाल ने सिक्किम पर आक्रमण किया एवं
तराई समेत काफी सारे क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। इसकी वज़ह से
ईस्ट इंडिया कम्पनी ने नेपाल पर चढ़ाई की जिसका परिणाम १८१४ का
गोरखा युद्ध रहा।
सिक्किम और नेपाल के बीच हुई
सुगौली संधि तथा सिक्किम और ब्रतानवी भारत के बीच हुई
तितालिया संधि के द्वारा नेपाल द्वारा अधिकृत सिक्किमी क्षेत्र सिक्किम को वर्ष १८१७ में लौटा दिया गया। यद्यपि, अंग्रेजों द्वारा मोरांग प्रदेश में कर लागू करने के कारण सिक्किम और अंग्रेजी शासन के बीच संबंधों में कड़वाहट आ गयी। वर्ष १८४९ में दो अंग्रेज़ अफसर, सर जोसेफ डाल्टन और डाक्टर अर्चिबाल्ड कैम्पबेल, जिसमें उत्तरवर्ती (डाक्टर अर्चिबाल्ड) सिक्किम और ब्रिटिश सरकार के बीच संबंधों के लिए जिम्मेदार था, बिना अनुमति अथवा सूचना के सिक्किम के पर्वतों में जा पहुंचे। इन दोनों अफसरों को सिक्किम सरकार द्वारा बंधी बना लिया गया। नाराज़ ब्रिटिश शासन ने इस हिमालयी राज्य पर चढाई कर दी और इसे १८३५ में भारत के साथ मिला लिया। इस चढाई के परिणाम वश चोग्याल ब्रिटिश गवर्नर के आधीन एक कठपुतली राजा बन कर रह गया।
[7]
१९४७ में एक लोकप्रिय मत द्वारा सिक्किम का
भारत में विलय को अस्वीकार कर दिया गया और तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री
जवाहर लाल नेहरू ने सिक्किम को संरक्षित राज्य का दर्जा प्रदान किया। इसके तहत भारत सिक्किम का संरक्षक हुआ। सिक्किम के विदेशी, राजनयिक अथवा सम्पर्क संबन्धी विषयों की ज़िम्मेदारी भारत ने संभाल ली।
सन १९५५ में एक राज्य परिषद् स्थापित की गई जिसके आधीन चोग्याल को एक संवैधानिक सरकार बनाने की अनुमति दी गई। इस दौरान सिक्किम नेशनल काँग्रेस द्वारा पुनः मतदान और नेपालियों को अधिक प्रतिनिधित्व की मांग के चलते राज्य में गडबडी की स्थिति पैदा हो गई। १९७३ में राजभवन के सामने हुए दंगो के कारण
भारत सरकार से सिक्किम को संरक्षण प्रदान करने का औपचारिक अनुरोध किया गया। चोग्याल राजवंश सिक्किम में अत्यधिक अलोकप्रिय साबित हो रहा था। सिक्किम पूर्ण रूप से बाहरी दुनिया के लिये बंद था और बाह्य विश्व को सिक्किम के बारे मैं बहुत कम जानकारी थी। यद्यपि अमरीकन आरोहक
गंगटोक के कुछ चित्र तथा अन्य कानूनी प्रलेख की तस्करी करने में सफल हुआ। इस प्रकार भारत की कार्यवाही विश्व के दृष्टि में आई। यद्यपि इतिहास लिखा जा चुका था और वास्तविक स्थिति विश्व के तब पता चला जब काजी (प्रधान मंत्री) नें १९७५ में भारतीय संसद को यह अनुरोध किया कि सिक्किम को भारत का एक राज्य स्वीकार कर उसे
भारतीय संसद में प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाए। अप्रैल १९७५ में
भारतीय सेना सिक्किम में प्रविष्ट हुई और राजमहल के पहरेदारों को निःशस्त्र करने के पश्चात गंगटोक को अपने कब्जे में ले लिया। दो दिनों के भीतर सम्पूर्ण सिक्किम राज्य भारत सरकार के नियंत्रण में था। सिक्किम को भारतीय गणराज्य मे सम्मिलित्त करने का प्रश्न पर सिक्किम की ९७.५ प्रतिशत जनता ने समर्थन किया। कुछ ही सप्ताह के उपरांत १६ मई १९७५ मे सिक्किम औपचारिक रूप से
भारतीय गणराज्य का २२ वां
प्रदेश बना और सिक्किम मे राजशाही का अंत हुआ।
वर्ष २००२ मे
चीन को एक बड़ी शर्मिंदगी के सामना तब करना पड़ा जब सत्रहवें कर्मापा
उर्ग्यें त्रिन्ले दोरजी, जिन्हें चीनी सरकार एक लामा घोषित कर चुकी थी, एक नाटकीय अंदाज में तिब्बत से भाग कर सिक्किम की
रुम्तेक मठ मे जा पहुंचे। चीनी अधिकारी इस धर्म संकट मे जा फँसे कि इस बात का विरोध भारत सरकार से कैसे करें। भारत से विरोध करने का अर्थ यह निकलता कि चीनी सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से सिक्किम को भारत के अभिन्न अंग के रूप मे स्वीकार लिया है।
चीनी सरकार की अभी तक सिक्किम पर औपचारिक स्थिति यह थी कि सिक्किम एक स्वतंत्र राज्य है जिस पर भारत नें अधिक्रमण कर रख्खा है।
[3][8] चीन ने अंततः सिक्किम को २००३ में भारत के एक राज्य के रूप में स्वीकार किया जिससे भारत-चीन संबंधों में आयी कड़वाहट कुछ कम हुई। बदले में भारत नें
तिब्बत को चीन का अभिन्न अंग स्वीकार किया। भारत और चीन के बीच हुए एक महत्वपूर्ण समझौते के तहत चीन ने एक औपचारिक मानचित्र जारी किया जिसमें सिक्किम को स्पष्ट रूप मे भारत की सीमा रेखा के भीतर दिखाया गया। इस समझौते पर चीन के प्रधान मंत्री
वेन जियाबाओ और भारत के प्रधान मंत्री
मनमोहन सिंह ने हस्ताक्षर किया। ६ जुलाई २००६ को
हिमालय के
नाथुला दर्रे को सीमावर्ती व्यापार के लिए खोल दिया गया जिससे यह संकेत मिलता है कई इस क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच सौहार्द का भाव उत्पन्न हुआ है।
[9]
भूगोल
सिक्किम के पश्चिम में हिमालय की चोटियाँ
अंगूठे के आकार का सिक्किम पूरा पर्वतीय क्षेत्र है। विभिन्न स्थानों की ऊँचाई समुद्री तल से २८० मीटर (९२० फीट) से ८,५८५ मीटर (२८,००० फीट) तक है।
कंचनजंगा यहाँ की सबसे ऊंची चोटी है। प्रदेश का अधिकतर हिस्सा
खेती। कृषि के लिये अन्युपयुक्त है। इसके बावजूद कुछ ढलान को खेतों में बदल दिया गया है और पहाड़ी तरीके से खेती की जाती है। बर्फ से निकली कई धारायें मौजूद होने की वजह से सिक्किम के दक्षिण और पश्चिम में नदियों की घाटियाँ बन गईं हैं। यह धारायें मिलकर
टीस्ता एवं
रंगीत बनाती हैं। टीस्ता को
सिक्किम की जीवन रेखा भी कहा जाता है और यह सिक्किम के उत्तर से दक्षिण में बहती है। प्रदेश का एक तिहाई हिस्सा घने जंगलों से घिरा है।
सिक्किम के उत्तर में
हिमालय पर्वत श्रंखला
उत्तर सिक्किम में स्थित गुरुडांगमार सरोवर
Cities and towns of Sikkim.
भूतत्व
सिक्किम की पहाड़ियाँ मुख्यतः
नेस्ती(gneissose) और
अर्द्ध-स्कीस्तीय(half-schistose) पत्थरों से बनी हैं, जिस कारण उनकी मिट्टी भूरी मृत्तिका, तथा मुख्यतः उथला और कमज़ोर है। यहाँ की मिटटी खुरदरी तथा
लौह जारेय से थोड़ी अम्लीय है। इसमें खनिजी और कार्बनिक पोषकों का अभाव है। इस तरह की मिट्टी सदाबहार और पर्णपाती वनों के योग्य है।
सिक्किम की भूमि का अधिकतर भाग
केम्ब्रिया-पूर्व(Precambrian) चट्टानों से आवृत है जिनकी आयु पहाड़ों से बहुत कम है। पत्थर
फ़िलीतियों। फ़िलीत(phyllite) और
स्कीस्त से बने हैं इस कारणवश and therefore the slopes are highly susceptible to
weathering and prone to
erosion. This, combined with the intense rain, causes extensive
soil erosion and heavy loss of soil nutrients through
leaching. इस के परिणाम स्वरूप यहां आये दिन भूस्खलन होते रहते हैं, जो बहुत से छोटे गावों और कस्बों का शहरी इलाकों से संपर्क विछ्छेद कर देते हैं।
[4]
गरम पानी के झरने
सिक्किम में गरम पानी के अनेक चश्मे हैं जो अपनी रोगहर क्षमता के लिये विख्यात हैं। सबसे महत्वपूर्ण गरम पानी के च्श्मे
फुरचाचु,
युमथांग,
बोराँग,
रालांग,
तरमचु और
युमी सामडोंग हैं। इन सभी चश्मों में काफी मात्रा में
सल्फर पाया जाना है और ये नदी के किनारे स्थित हैं। इन गरम पानी के चश्मों का औसत तापमान ५० °C (सेल्सियस) तक होता है।
मौसम
यहाँ का मौसम जहाँ दक्षिण में शीतोष्ण कटिबंधी है तो वहीं
टुंड्रा प्रदेश के मौसम की तरह है। यद्यपि सिक्किम के अधिकांश आवासित क्षेत्र में, मौसम समशीतोष्ण (टैंपरेट) रहता है और तापमान कम ही 28 °
सै (82 °
फै) से ऊपर यां 0 °सै (32 °फै) से नीचे जाता है। सिक्किम में पांच ऋतुएं आती हैं:
सर्दी,
गर्मी,
बसंत और
पतझड़ और
वर्षा, जो जून और सितंबर के बीच आती है। अधिकतर सिक्किम में औसत तापमान लगभग 18 °सै (64 °फै) रह्ता है। सिक्किम भारत के उन कुछ ही राज्यों में से एक है जिनमे यथाक्रम वर्षा होती है। हिम रेखा लगभग ६००० मीटर (१९६०० फीट) है।
मानसून के महीनों में प्रदेश में भारी वर्षा होती है जिससे काफी संख्या में
भूस्खलन होता है। प्रदेश में लगातार बारिश होने का कीर्तिमान ११ दिन का है। प्रदेश के उत्तरी क्षेत्र में शीत ऋतु में तापमान -४० °C से भी कम हो जाता है। शीत ऋतु एवं वर्षा ऋतु में
कोहरा भी जन जीवन को प्रभावित करता है जिससे परिवहन काफी कठिन हो जाता है।
[4]
उपविभाग
सिक्किम के चार जनपद और उनके मुख्यालय
सिक्किम में चार जनपद हैं। प्रत्येक जनपद (जिले) को केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा नियुक्त
जिलाधिकारी देखता है। चीन की सीमा से लगे होने के कारण अधिकतर क्षेत्रों में
भारतीय सेना का बाहुल्य दिखाई देता है। कई क्षेत्रों में प्रवेश निषेध है और लोगों को घूमने के लिये
परमिट लेना पड़ता है। सिक्किम में कुल आठ कस्बे एवं नौ उप-विभाग हैं।
जीव जंतु एवं वनस्पति
बुरुंश (रोह्डोडैंड्रौन) सिक्क्म का राजवृक्ष है
सिक्किम हिमालय के निचले हिस्से में
पारिस्थितिक गर्मस्थान में
भारत के तीन पारिस्थितिक क्षेत्रों में से एक बसा हुआ है। यहाँ के जंगलों में विभिन्न प्रकार के जीव जंतु एवं वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। अलग अलग ऊँचाई होने की वज़ह से यहाँ ट्रोपिकल, टेम्पेरेट, एल्पाइन और टुन्ड्रा तरह के पौधे भी पाये जाते हैं। इतने छोटे से इलाके में ऐसी भिन्नता कम ही जगहों पर पाई जाती है।
The flora of Sikkim includes the
rhododendron, the state tree, with a huge range of species occurring from subtropical to alpine regions.
Orchids,
figs,
laurel,
bananas,
sal trees and
bamboo in the lower altitudes of Sikkim, which enjoy a
sub-tropical type climate. In the temperate elevations above 1,500 metres,
oaks,
chestnuts,
maples,
birchs,
alders, and
magnolias grow in large numbers. The
alpine type vegetation includes
juniper,
pine,
firs,
cypresses and rhododendrons, and is typically found between an altitude of ३,५०० metres to ५,००० m. Sikkim boasts around ५,००० flowering plants, ५१५ rare orchids, ६०
primulas species, ३६ rhododendrons species, ११ oaks varieties, २३ bamboos varieties, १६ conifer species, ३६२ types of
ferns and ferns allies, ८
tree ferns, and over ४२४ medicinal plants. The orchid
Dendrobium nobile is the official flower of Sikkim.
The fauna includes the
snow leopard, the
musk deer, the
Bhoral, the
Himalayan Tahr, the
red panda, the
Himalayan marmot, the
serow, the
goral, the
barking deer, the
common langur, the
Himalayan Black Bear, the
clouded leopard, the
Marbled Cat, the
leopard cat, the wild
dog, the
Tibetan wolf, the
hog badger, the
binturong, the
jungle cat and the
civet cat. Among the animals more commonly found in the alpine zone are
yaks, mainly reared for their
milk, meat, and as a beast of burden.
सिक्किम के पक्षी जगत में प्रमुख हैं -
Impeyan pheasant, the
crimson horned pheasant, the
snow partridge, the
snow cock, the
lammergeyerand
griffon vultures, as well as
golden eagles,
quail,
plovers,
woodcock,
sandpipers,
pigeons,
Old World flycatchers,
babblers and robins. यहां पक्षियों की कुल 550 प्रजातियां अभिलिखित की गयी हैं, जिन में से कुछ को विलुप्तप्रायः घोषित किया गया है।
[4]
अर्थ-व्यवस्था
वृहत् अर्थव्यवस्थासंबंधी प्रवाह[संपादित करें]
यह
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी सिक्किम के सकल घरेलू उत्पाद के प्रवाह की एक झलक है (करोड़ रुपयों में)
[11]
साल | सकल घरेलू उत्पाद |
१९८० | ५२ |
१९८५ | १२२ |
१९९० | २३४ |
१९९५ | ५२० |
२००० | ९७१ |
२००३ | २३७८.६ [1] |
सिक्किम एक
कृषि प्रधान। कृषि राज्य है और यहाँ सीढ़ीदार खेतों में पारम्परिक पद्धति से कृषि की जाती है। यहाँ के किसान
इलाईची,
अदरक,
संतरा,
सेब,
चायऔर
पीनशिफ आदि की खेती करते हैं।
[5]चावल राज्य के दक्षिणी इलाकों में सीढ़ीदार खेतों में उगाया जाता है। सम्पूर्ण भारत में इलाईची की सबसे अधिक उपज सिक्किम में होती है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण और परिवहन की आधारभूत सुविधाओं के अभाव में यहाँ कोई बड़ा उद्योग नहीं है।
मद्यनिर्माणशाला,
मद्यनिष्कर्षशाला,
चर्म-उद्योग तथा
घड़ी-उद्योग सिक्किम के मुख्य उद्योग हैं। यह राज्य के दक्षिणी भाग में स्थित हैं- मुख्य रूप से
मेल्ली और
जोरेथांग नगरों में। राज्य में विकास दर ८.३% है, जो दिल्ली के पश्चात राष्ट्र भर में सर्वाधिक है।
[12]
हाल के कुछ वर्षों में सिक्किम की सरकार ने प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देना प्रारम्भ किया है। सिक्किम में पर्यटन का बहुत संभावना है और इन्हीं का लाभ उठाकर सिक्किम की आय में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। आधारभूत संरचना में सुधार के चलते, यह उपेक्षा की जा रही है पर्यटन राज्य में अर्थव्यवस्था के एक मुख्य आधार के रूप में सामने आयेगा। ऑनलाइन सट्टेबाजी राज्य में एक नए उद्योग के रूप में उभर कर आया है। "प्लेविन"
जुआ, जिसे विशेष रूप से तैयार किए गए अंतकों पर खेला जाता है, को राष्ट्र भर में खूब वाणिज्यिक सफलता हासिल हुई है।
[13][13] राज्य में प्रमुख रूप से
ताम्बा,
डोलोमाइट,
चूना पत्थर,
ग्रेफ़ाइट,
अभ्रक,
लोहा और
कोयला आदि खनिजों का खनन किया जाता है।
[14]
परिवहन
राष्ट्रीय राजमार्ग ३१A सिलीगुड़ी को गंगटोक से जोड़ता है। यह एक सर्व-ऋतु मार्ग है तथा सिक्किम में
रंग्पो पर प्रवेश करने के पश्चात
तीस्ता नदी के समानान्तर चलता है। अनेक सार्वजनिक अथवा निजी वाहन हवाई-अड्डे, रेल-स्टेशन तथा और सिलिगुड़ी को गंगटोक से जोड़ते हैं।
मेल्ली से आने वाले राजमार्ग की एक शाखा पश्चिमी सिक्किम को जोड़ती है। सिक्किम के दक्षिणी और पश्चिमी शहर सिक्किम को उत्तरी पश्चिमी बंगाल के पर्वतीय शहर
कलिम्पोंग और
दार्जीलिंग से जोड़ते हैं। राज्य के भीतर
चौपहिया वाहन लोकप्रिय हैं क्योंकि यह राज्य की चट्टानी चढ़ाइयों को आसानी से पार करने में सक्षम होते हैं। छोटी बसें राज्य के छोटे शहरों को राज्य और जिला मुख्यालयों से जोड़ती हैं।
[5]
जनसांख्यिकी
मानवजातीय रूप से सिक्किम के अधिकतर निवासी
नेपाली हैं जिन्होंने प्रदेश में उन्नीसवीं सदी में प्रवेश किया।
भूटिया सिक्किम के मूल निवासियों में से एक हैं, जिन्होंने तिब्बत के खाम जिले से चौदवीं सदी में पलायन किया और
लेप्चा, जो स्थानीय मान्यतानुसार सुदूर पूर्व से आये माने जाते हैं। प्रदेश के उत्तरी तथा पूर्वी इलाक़ों में
तिब्बती बहुतायत में रहते हैं। अन्य राज्यों से आकर सिक्किम में बसने वालों में प्रमुख हैं
मारवाड़ी लोग। मारवाड़ी, जो
दक्षिण सिक्किम तथा गंगटोक में दुकानें चलाते हैं;
बिहारी जो अधिकतर
श्रमिक हैं; तथा
बंगाली लोग। बंगाली।
नेपाली सिक्किम का प्रमुख भाषा है। सिक्किम में प्रायः
अंग्रेज़ी और
हिन्दी भी बोली और समझी जाती हैं। यहाँ की अन्य भाषाओं मे
भूटिया,
जोङ्खा,
ग्रोमा,
गुरुंग,
लेप्चा,
लिम्बु,
मगर,
माझी,
मझवार,
नेपालभाषा,
दनुवार,
शेर्पा,
सुनवार भाषा। सुनवार,
तामाङ,
थुलुंग,
तिब्बती और
याक्खा शामिल हैं।
[5][17]
५,४०,४९३ की जनसंख्या के साथ सिक्किम भारत का न्यूनतम आबादी वाला राज्य है,
[18] जिसमें पुरुषों की संख्या २,८८,२१७ है और महिलाओं की संख्या २,५२,२७६ है। सिक्किम में जनसंख्या का घनत्व ७६ मनुष्य प्रतिवर्ग किलोमीटर है पर भारत में न्यूनतम है। विकास दर ३२.९८% है (१९९१-२००१)।
लिंगानुपात ८७५
स्त्री प्रति १०००
पुरुष है। ५०,००० की आबादी के साथ गंगटोक सिक्किम का एकमात्र महत्तवपूर्ण शहर है। राज्य में शहरी आबादी लगभग ११.०६% है।
[10] प्रति व्यक्ति आय ११,३५६
रु० है, जो राष्ट्र के सबसे सर्वाधिक में से एक है।
[17]
संस्कृति
सिक्किम के नागरिक भारत के सभी मुख्य हिन्दू त्योहारों जैसे
दीपावली और
दशहरा, मनाते हैं। बौद्ध धर्म के
ल्होसार,
लूसोंग,
सागा दावा,
ल्हाबाब ड्युचेन,
ड्रुपका टेशी और
भूमचू वे त्योहार हैं जो मनाये जाते हैं। लोसर - तिब्बती नव वर्ष लोसर, जो कि मध्य दिसंबर में आता है, के दौरान अधिकतर सरकारी कार्यालय एवं पर्यटक केन्द्र हफ़्ते भर के लिये बंद रहते हैं। गैर-मौसमी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये हाल ही में
बड़ा दिन। बड़े दिन को गंगटोक में प्रसारित किया जा रहा है।
[19]
पाश्चात्य रॉक संगीत यहाँ प्रायः घरों एवं भोजनालयों में, गैर-शहरी इलाक़ों में भी सुनाई दे जाता है।
हिन्दी संगीत ने भी लोगों में अपनी जगह बनाई है। विशुद्ध नेपाली रॉक संगीत, तथा पाश्चात्य संगीत पर नेपाली काव्य भी काफ़ी प्रचलित हैं।
फुटबॉल एवं
क्रिकेट यहाँ के सबसे लोकप्रिय खेल हैं।
नूडल पर आधारित व्यंजन जैसे थुक्पा, चाउमीन, थान्तुक?, फाख्तु?, ग्याथुक? और वॉनटन? सर्वसामान्य हैं।
मःम, भाप से पके और सब्जियों से भरे पकौडि़याँ, सूप के साथ परोसा हुआ
भैंस का माँस। भैंस अथवा
सूअर का माँस। सुअर का माँस लोकप्रिय लघु आहार है। पहाड़ी लोगों के आहार में भैंस, सूअर, इत्यादि के माँस की मात्रा बहुत अधिक होती है। मदिरा पर राज्य उत्पाद शुल्क कम होने के कारण राज्य में
बीयर?,
विस्की?,
रम? और
ब्रांडी इत्यादि का सेवन किया जाता है।
सिक्किम में लगभग सभी आवास देहाती हैं जो मुख्यत: कड़े
बाँस के ढाँचे पर लचीले बाँस का आवरण डाल कर नानाये? जाते हैं। आवास में ऊष्मा का संरक्षण करने के लिए इस पर गाय के गोबर का लेप भी किया जाता है। राज्य के अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में अधिकतर लकड़ी के घर बनाये जाते हैं।
राजनीति और सरकार
The White Hall complex houses the residences of the Chief Minister and Governor of Sikkim.
भारत के
अन्य राज्यों के समान,
केन्द्रिय सरकार द्वारा निर्वाचित
राज्यपाल राज्य शासन का प्रमुख है। उसका निर्वाचन मुख्यतः औपचारिक ही होता है, तथा उसका मुख्य काम
मुख्यमंत्री के शपथ-ग्रहण की अध्यक्षता ही होता है। मुख्यमंत्री, जिसके पास वास्तविक प्रशासनिक अधिकार होते हैं, अधिकतर राज्य चुनाव में बहुमत जीतने वाले दल अथवा गठबंधन का प्रमुख होता है। राज्यपाल मुख्यमंत्री के परामर्श पर मंत्रीमण्डल? नियुक्त करता है। अधिकतर अन्य राज्यों के समान सिक्किम में भी
एकसभायी (एकसदनी? unicameral) सदन वाली विधान सभा ही है। सिक्किम को भारत की द्विसदनी विधानसभा के दोनों सदनों,
राज्य सभा तथा
लोक सभा में एक-एक स्थान प्राप्त है। राज्य में कुल ३२ विधानसभा सीटें? हैं जिनमें से एक
बौद्ध संघ के लिए आरक्षित है।
सिक्किम उच्च न्यायालय देश का सबसे छोटा उच्च न्यायालय है।
[20]
अवसंरचना
तिब्ब्त विज्ञान संग्रहालय एवं शोध केन्द्र
सिक्किम की सड़कें बहुधा
भूस्खलन तथा पास की धारों द्वारा बाढ़ से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, परन्तु फिर भी सिक्किम की सड़कें अन्य राज्यों की सड़कों की तुलना में बहुत अच्छी हैं।
सीमा सड़क संगठन(BRO),
भारतीय सेना का एक अंग इन सड़कों का रख-रखाव करता है। दक्षिणी सिक्किम तथा रा०रा०-३१अ की सड़कें अच्छी स्थिति में हैं क्योंकि यहाँ भूस्खलन की घटनाएँ कम है। राज्य सरकार १८५७.३५ कि०मी० का वह राजमार्ग जो सी०स०सं० के अन्तर्गत नहीं आता है, का रख-रखाव करती है।
[10]
सिक्किम में अनेक
जल विद्युत बिजली स्टेशन (केन्द्र) हैं जो नियमित बिजली उपलब्ध कराते हैं, परन्तु संचालन शक्ति अस्थिर है तथा स्थायीकारों (stabilisers) की आवश्यकता पड़ती है। सिक्किम में
प्रतिव्यक्ति बिजली प्रयोग १८२
kWh है। ७३.२% घरों में स्वच्छ जल सुविधा उपलब्ध है,
[10] तथा अनेक धाराओं के परिणाम स्वरूप राज्य में कभी भी अकाल या पानी की कमी की परिस्थितियाँ उत्पन्न नहीं हुई हैं। टिस्टा नदी पर कई जलविद्युत केन्द्र निर्माणशील हैं तथा उनका पर्यावरण पर प्रभाव एक चिन्ता का विषय है।
पत्राचार
रुम्टेक विहार सिक्किम की सबसे प्रसिद्ध धरोहर है तथा वर्ष २००० में यह समाचारों में थी
दक्षिणी नगरीय क्षेत्रों में अंग्रेजी, नेपाली तथा हिन्दी के दैनिक पत्र हैं। नेपाली समाचार-पत्र स्थानीय रूप से ही छपते हैं परन्तु हिन्दी तथा अंग्रेजी के पत्र
सिलिगुड़ी में। सिक्किम में नेपाली भाषा में प्रकाशित समाचार पत्रों की मांग विगत दिनों में बढ़ी हैं।
समय दैनिक,
हाम्रो प्रजाशक्ति,
हिमाली बेला और
साङ्गीला टाइमस्इत्यादि नेपाली समाचार पत्र गंगटोक से प्रकाशित होते हैं जिनमें
हाम्रो प्रजाशक्ति राज्य का सबसे बड़ा और लोकप्रिय समाचार पत्र है। अंग्रेजी समाचार पत्रों में
सिक्किम नाओ और
सिक्किम एक्सप्रेस,
हिमालयन मिरर स्थानीय रूप से छपते हैं तथा
द स्टेट्समैन तथा
द टेलेग्राफ़ सिलिगुड़ी में छापे जाते हैं जबकि
द हिन्दू तथा
द टाइम्स ऑफ़ इन्डिया कलकत्ता में छपने के एक दिन पश्चात्
गंगटोक,
जोरेथांग,
मेल्ली तथा
ग्याल्शिंग पहुँच जाते हैं।
सिक्किम हेराल्ड सरकार का आधिकारिक साप्ताहिक प्रकाशन है।
हाल-खबर सिक्किम का एकमात्र अंतर्राष्ट्रिय समाचार का मानकीकृत प्रवेशद्वार है। सिक्किम सें 2007-में नेपाली साहित्य का ऑनलाइन पत्रिका
टिस्टारंगीत शुरु हुई है जिस का संचालन
साहित्य सिर्जना सहकारी समिति लिमिटेड] करती है।
अन्तर्जाल सुविधाएँ जिला मुख्यालयों में तो उपलब्ध हैं परन्तु ब्रॉडबैंड सम्पर्क उपलब्ध नहीं है तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अभी
अन्तर्जाल सुविधा उपलब्ध नहीं है। थाली विद्युत-ग्राहकों (Dish antennae) द्वारा अधिकतर घरों में उपग्रह दूरदर्शन सरणि (satellite television channels) उपलब्ध हैं। भारत में प्रसारित सरणियों के अतिरिक्त नेपाली भाषा के सरणि भी प्रसारित किये जाते हैं।
सिक्किम केबल,
डिश टी० वी०,
दूरदर्शन तथा
नयुम (Nayuma) मुख्य सेवा प्रदाता हैं। स्थानीय कोष्ठात्मक दूरभाष सेवा प्रदाताओं (cellular phone service provider) की अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं जिनमें भा०सं०नि०लि० की सुविधा राज्य-विस्तृत है परन्तु
रिलायन्स इन्फ़ोकॉम तथा एयरटेल केवल नगरीय क्षेत्रों में है। राष्ट्रिय
अखिल भारतीय आकाशवाणी राज्य का एकमात्र
आकाशवाणी केन्द्र है।
[21]
शिक्षा
साक्षरता प्रतिशत दर ६९.६८% है, जो कि पुरुषों में ७६.७३% तथा महिलाओं में ६१.४६% है। सरकारी विद्यालयों की संख्या १५४५ है तथा १८ निजी विद्यालय भी हैं जो कि मुख्यतः नगरों में हैं।
[10] उच्च शिक्षा के लिये सिक्किम में लगभग १२ महाविद्यालय तथा अन्य विद्यालय हैं।
सिक्किम मणिपाल विश्वविद्यालय आभियान्त्रिकी, चिकित्सा तथा प्रबन्ध के क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान करता है। वह अनेक विषयों में दूरस्थ शिक्षा भी प्रदान करता है। राज्य-संचालित दो बहुशिल्पकेंद्र, उच्च तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र (Advanced Technical Training Centre) तथा संगणक एवं संचार तकनीक केन्द्र (Centre for Computers and Communication Technology) आदि आभियान्त्रिकी की शाखाओं में सनद पाठ्यक्रम चलाते हैं। ATTC बारदांग,
सिंगताम तथा CCCT चिसोपानि,
नाम्ची में है। अधिकतर विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिये
सिलीगुड़ीअथवा
कोलकाता जाते हैं। बौद्ध धार्मिक शिक्षा के लिए
रुमटेक गोम्पा द्वारा संचालित नालन्दा नवविहार एक अच्छा केंद्र है।