सोमवार, 27 जुलाई 2015

छालीवुड में छाए रहने की तमन्ना रखती है उषा

छत्तीसगढ़ी में दर्शकों की कमी है
रायपुर। छत्तीसगढ़ी में दर्शकों की कमी है । फिल्मे भी अच्छी बनती है फिर भी यहां की जनता में अपनी भाषा के प्रति मोह नहीं होने के कारण फिल्मे नहीं चल पाती। इसके अलावा थियेटरों की भी कमी है। यह कहना है फिल्म अभेट्री और गायिका उषा विश्वकर्मा का। उषा की तमन्ना एक बड़े कलाकार बनाकर खूब नाम कमाने की है। 25 से अधिक फिल्मो में अपनी भूमिका का जादू बिखेर चुकी उषा को दुख है कि यहां के फिल्म इंडस्ट्री को सरकार से  नहीं मिलती। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। उषा विश्वकर्मा से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।

-----संक्षिप्त परिचय ----
नाम -               - उषा विश्वकर्मा
कला                - अभिनेत्री एवं गायिका
फिल्म               - 25
हिन्दी फिल्म         - 1
एल्बम               - हिन्दी और भोजपुरी
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है। पहले मै स्टेज शो करती थी। बचपन में जब हम टीवी दीखाकर डांस किया करते थे तभी से कुछ करने की इच्छा जागी और आज हम आपके सामने है।
0 मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरा कोई प्रेरणाश्रोत नहीं  अपने आप सीखी। मया फिल्म में मुझे मौका मिला। उपासना वैष्णव मुझे लेकर आई थी।
0 अभिनय की ओर आपका रुझान कैसे हुआ ?
00 टीवी देख कर अभिनय की ओर मेरा रुझान हूआ।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 जी अपने आप को पहली बार बड़े परदे पर देखकर बहुत उत्साहित हुई थी।
0 आप फिल्मो में चरित्र अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
00 जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व मेहसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
0 रील लाइफ और रीयल लाइफ में क्या अंतर है?
00 दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकती । रील लाइफ में भूमिका निभाते है और रियल लाइफ में पारिवारिक जीवन जीते हैं।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 जब भोजपुरी फिल्म निरहुआ हिन्दुस्तानी नहीं कर पाई तब मुझे बहुत निराश हुई थी।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे थियेटरों में ज्यादा दिन नही चल पाती ,आप क्या कारण मानती है ?
00 छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा दिन नहीं चल पाती क्योंकि यहां दर्शक ही नहीं है छत्तीसगढ़ के लोग ही फिल्मे नहीं देखते। उन्हें अपनी भाषा से लगाव नहीं है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 मेरा सपना है  कि एक दिन मैं बड़ा कलाकार बनूँ और खूब नाम कमाऊं । मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ।


छालीवुड की सुपर स्टार बन्ना चाहती है सुनीता

एक्टिंग खराब होने से निराश हो उठती है  
छत्तीसगढ़ी फिल्मो की सह-अभिनेत्री सुनीता राजपूत की तमन्ना सुपर स्टार बनने की है। बचपन से एक्टिंग का शौक रखने वाली सुनीता कहती है कि जब अभिनय ठीक से नहीं कर पाती है तब उन्हें निराशा होती है। वे कहती कि छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी बनती है फिर भी यहां की जनता में अपनी भाषा के प्रति मोह नहीं होने के कारण फिल्मे नहीं चल पाती। नवोदित अदाकारा सुनीता को दुख है कि यहां के फिल्म इंडस्ट्री को सरकार से  नहीं मिलती। सुनीता से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही है। बचपन में जब हम टीवी देखकर डांस किया करते थे तभी से कुछ करने की इच्छा जागी और आज हम आपके सामने है।
0 मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 मेरी मम्मी तिलोतमा राजपूत ही मेरी प्रेरणाश्रोत है। उनका मुझे बहुत ही सहयोग है और उन्होंने ही मुझे फिल्मो में  आने की प्रेरणा दी है और मनोजदीप मेरे आदर्श है जिन्होंने मुझे फिल्मो में लेकर आये।
0 अभिनय की ओर आपका रुझान कैसे हुआ ?
00 टीवी देख कर और माँ की तमन्ना पूरा करने अभिनय की ओर मेरा रुझान हूआ।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 जी जब मेरा एक्टिंग अच्छा होता है तब मैं बहुत उत्साहित होती हूँ।
0 आप फिल्मो में अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
00 जब मैं कोई भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व मेहसूस होता हैं और मैं अपने रोल को बखूबी निभाने की कोशिश करती हूँ।
0 रील लाइफ और रीयल लाइफ में क्या अंतर है?
00 दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकते । रील लाइफ में सिर्फ भूमिका निभाते है और रियल लाइफ में परिस्थितियों और समाज अनुसार चलते हैं।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 जब एक्टिंग खराब होती है तब मुझे बहुत निराश होती है।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 मेरा सपना है  कि एक दिन मैं सुपर स्टार बनूँ और खूब नाम कमाऊं । मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ। 

रविवार, 19 जुलाई 2015

एक्टिंग डांसिंग ही मेरा शौक है : उर्वशी साहू

छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है जरुरत है उन्हें तराशने की
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कलाकारों की भरमार है , जरुरत है उन्हें तराशने की। गाँव गाँव ,गली-गली में कलाकार मिलेंगे , उन्हें फिल्मो में मौका मिलना चाहिए। यह कहना है छत्तीसगढ़ी फिल्मो की अभिनेत्री उर्वशी साहू  का। वे कहती है कि अच्छी कहानी हो और अच्छे- अच्छे कलाकार हो तो छत्तीसगढ़ी फिल्मे भी अच्छी चलेंगी। एक्टिंग और डांसिंग उनका शोक है। लगभग 50 - 60 फिल्मो में अपने अभिनय का जादू चला चुकी उर्वशी हिन्दी भोजपुरी फिल्मो में भी अभिनय कर चुकी है। चुनौतीपूर्ण भूमिका उन्हें बहुत पसंद है। अच्छी फिल्मे बनाने और लोक कला मंच के कलाकारों को आगे बढ़ाने की तमन्ना रखती है। उर्वशी साहू से हमने हर पहलूओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश।
संक्षिप्त परिचय 
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नाम -               - उर्वशी साहू
फिल्म              - 60
टेली फिल्म        -  5
एल्बम               - 12  हिन्दी और भोजपुरी

0 आपको एक्टिंग का शौक कब से है ?
00 मुझे एक्टिंग का शौक बचपन से ही रहा है जब भी मैं कोई फिल्म या सीरयल देखती थी तो उस जगह अपने आप को रखकर सोचती थी। कला खानदानी परम्परा है जिसे मैं आगे बड़ा रही हूँ।
0 मौका कैसे मिला और आपके प्रेरणाश्रोत कौन है ?
00 सबसे पहले मुझे फिल्म डांढ़ में विलेन की भूमिका करने का मौका मिला था। मेरे नाना स्वर्णदास साहू मेरे आदर्श हैं। वे मशहूर नाटक चरणदास चोर के लेखक थे।
0 अभिनय की ओर आपका रुझान कैसे हुआ ?
00 टीवी देख कर अभिनय की ओर मेरा रुझान हूआ।
0 कोई ऐसा अवसर आया हो ,जब आप बहुत उत्साहित हुई हो?
00 जी जब मैंने पहली बार स्टेज शो की और मेरी माँ मेरे लिए घाघरा चुनरी लेकर आई थी तो बहुत ही रोमांचित हुई और मेरा मनोबल उत्साह काफी बढ़ गया।
0 आप फिल्मो में चरित्र अभिनेत्री की भूमिका निभाती है, तो आपको कैसा महसूस होता है?
00 जब मैं कोई अभिनेत्री का भूमिका निभाती हूँ तो मुझे गर्व मेहसूस होता हैं की मैं अपने रोल को बखूबी से कर पा रही हूँ।
0 रील लाइफ और रीयल लाइफ में क्या अंतर है?

00 दोनों अलग अलग चीज है रियल लाइफ को रील लाइफ में नहीं जोड़ सकती । रील लाइफ में मैं एक प्रोफेशनल भूमिका निभाती हूँ और रियल लाइफ चुनौतीभरी होती है।
0 ऐसा कोई क्षण जब निराशा मिली हो?
00 जब छतीसगढ़ फिल्म इन्डस्ट्री में सम्मान नहीं मिलता और  तब मुझे बहुत निराश होती है।
0 छत्तीसगढ़ी फिल्मे थियेटरों में ज्यादा दिन नही चल पाती ,आप क्या कारण मानती है ?
00 छतीसगढ़ी फिल्में इस कारण थियेटर में ज्यादा दिन नहीं चल पाती क्योंकि आज के बच्चे और नोजवान छतीसगढ़ी नहीं समझ पाते और बॉलिवुड फिल्म को ज्यादा महत्व देते हैं । दूसरी तरफ जो गाँव के लोग है वो छतीसगढ़ी फिल्म को बड़े ही चाव से देखते है और महत्व भी देते है अगर हमारे आस पास के गाँव कस्बो में थियेटर की व्यवसथा कराई जाए तो छतीसगढ़ी फिल्म चलेगी भी और आगे भी बढेगी।
0 आपका कोई सपना है जो आप पूरा होते देखना चाहती हैं?
00 मेरा सपना है  कि लोककलाकारो को खूब आगे बढ़ाऊं और अच्छी फिल्म बनाऊँ । मैं अपने इस सपने को पूरा होते देखना चाहती हूँ।