शुक्रवार, 21 मई 2010

संघर्ष के दिनों को भूला नहीं हूँ : अक्षय कुमार



अभिनेता अक्षय कुमार ने अपने फिल्मी करियर के लिए बहुत मेहनत की और आखिर में उनकी मेहनत रंग लाई । आज अक्षय ने इंडस्ट्री में अपना एक मुकाम हासिल किया है और सफलता का पर्याय बन चुके हैं। हाल ही में अक्षय से साक्षी त्रिपाठी को बातचीत करने का अवसर मिला। पेश हैं उसके मुख्य अंश-

क्या वजह है कि आजकल आप बस कॉमेडी फिल्में ही कर रहे हैं ?कॉमेडी में बहुत ज्यादा स्पेस है। मैं खुद को एक एंटरटेनर मानता हूँ और यही वजह है कि मैं ऐसी फिल्में करना चाहता हूँ जिससे लोगों का मनोरंजन हो। मैं निजी जिंदगी में भी फन लविंग और हँसमुख व्यक्ति हूँ इसलिए ऐसी फिल्में मुझे बेहतर लगती हैं। वैसे कभी-कभी मैं अलग तरह की फिल्में भी करता हूँ, लेकिन दर्शक मुझे एक एंटरटेनर के रूप में ही देखना ज्यादा पसंद करते हैं।
एक ही तरह की फिल्में करने के बाद भी उसमें भिन्नता आप कैसे लाते हैं?
मुझे अपने आस-पास के लोगों को पढ़ने का बहुत शौक है। मैं जब भी कहीं जाता हूँ या किसी से मिलता हूँ तो उसके हाव-भाव और उसके व्यक्तित्व को देखने और समझने की कोशिश करता हूँ। मैं जब फिल्म शूट करता हूँ तो मुझे ऐसे किरदारों से बहुत मदद मिलती है। दरअसल ज्यादातर लोग सेलिब्रिटी की मिमिक्री करते हैं, लेकिन मैं अपने किरदारों में आम लोगों की मिमिक्री करता हूँ।
आपने अपना प्रोडक्शन हाउस भी खोला है। क्या भविष्य में कुछ और भी करने का इरादा है?
फिलहाल तो मैं अपने अभिनय और प्रोडक्शन में ही व्यस्त हूँ। इसलिए आगे का कुछ प्लान नहीं किया है। पर कभी-कभी कुछ कहानियाँ जरूर लिख लेता हूँ। निर्देशन के बारे में कुछ सोचा नहीं है। वैसे भी अपनी जिंदगी में कुछ भी प्लान करके नहीं चलता हूँ, इसलिए भविष्य में क्या होगा मैं कुछ नहीं कह सकता। हो सकता है कि निर्देशन करूँ या फिर नहीं करूँ।
अपने स्टारडम को कैसे लेते हैं?
मेरे लिए यह स्टारडम भगवान का वरदान है। इसे पाने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की है। बरसों की मेहनत के बाद मुझे आज ये मुकाम हासिल हुआ है। लोग मुझे पसंद करते हैं। मेरी फिल्में देखते हैं। मुझे चाहते हैं। यह सब मेरे लिए वरदान की तरह है। यह मेरी मेहनत का नतीजा है। इसलिए मुझे यह बहुत पसंद है।
पुराने दिनों की कोई बात जो आपको बहुत याद आती है?
ज्यादातर लोग अपने संघर्ष के दिनों को भूल जाते हैं, लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं है। मेरी हर चीज आज भी मेरे साथ है। मैं उन दिनों को हमेशा साथ रखता हूँ। मेरी पुरानी मोटरसाइकिल, पुरानी गाड़ी, पुराना घर सब कुछ मेरे पास आज भी जस का तस है। मेरी पुरानी फिएट कार चालू हालत में आज भी मेरे पास है। वैसे भी मेरा मानना है कि अपने संघर्ष को हमेशा याद रखना चाहिए।
क्या स्टंट करते समय डर लगता है ?बिलकुल और सभी को डर लगना चाहिए क्योंकि जब डर लगता है तभी सेफ्टी का ध्यान रहता है। दरअसल डर भी दो प्रकार के होते हैं। अच्छे डर और बुरे डर। बुरे डर में स्टंट नहीं कर सकते। इससे खुद को ही नुकसान होता है जबकि अच्छे डर से सेफ्टी का ध्यान रखने में मदद मिलती है जो कि हर इंसान के लिए जरूरी है। मुझे अच्छा वाला डर लगता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें