शनिवार, 22 मई 2010

प्रसन्नता के पीले झूमर


अप्रैल और मई की गर्मी हमें घर से बाहर निकलने से रोकती है, पर इन्हीं महीनों में प्रकृति में खिले रंग हमसे मनुहार करते हैं कि आओ और आकर देखो कि यह गर्मी कितनी रंगीन है। सड़क के किनारे खड़े गुलमोहर और अमलतास पर इन दिनों जो रंगत छाई है वह देखते ही बनती है। अमलतास को देखकर तो यह लगता है मानो इस पर प्रसन्नता के झूमर खिले हों।

अमलतास दक्षिण-एशियाई मूल का पेड़ है। पाकिस्तान से लेकर भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड होते हुए नक्शे में नीचे श्रीलंका तक यह पेड़ खूब पनपता और खिलता है।

इन देशों में खिले फूलों की खूबसूरती पर आने वाले सैलानी भी मोहित होते हैं और इन पीले झुमकों की वजह से ही विदेशियों ने इसे 'गोल्डन शॉवर' नाम दिया है। थाईलैंड में इसे राष्ट्रीय वृक्ष का दर्जा मिला है। भारत के केरल राज्य में अमलतास के फूल राजकीय पुष्प हैं। गर्मियों में दिल्लीClick here to see more news from this city घूमने वाले पर्यटकों को हम किसी भी घर आँगन में खिली इस पीली बहार के फोटो उतारते देख सकते हैं। आखिर अमलतास की बहार में बात ही कुछ ऐसी है जो भी देखता वह कुछ देर तो देखता ही रह जाता है।

मई में जब खूब गर्मी पड़ती है तब इस पेड़ पर अंगूर के गुच्छों के जैसे फूल खिलते हैं। गर्मियों में जब ज्यादातर पेड़ों के पत्ते सूख जाते हैं तब अमलतास पर भी कम ही पत्ते बचते हैं पर इस पर आई फूलों की बहार तो जैसे पत्तों की कमी को पूरी कर देती है।

अमलतास पर कुछ लंबी बेंतनुमा फलियाँ भी लगती हैं, जो फल हैं। इस फल के अंदर गूदा और बीज होता है। फल के गूदे को बंदर बड़े चाव से खाते हैं और बीजों को इधर-उधर बिखरा देते हैं। इन्हीं बीजों से नए-नए वृक्ष पनपते हैं। इसलिए गौर कीजिएगा कि अमलतास के पेड़ समूह में होते हैं। इसका फल बड़े औषधीय महत्व का है।

अमलतास दिखने में एक नाजुक वृक्ष लगता है, पर इसकी लकड़ी बहुत सख्त होती है और इसकी लकड़ी से नाव, पुल और खेती-उपयोगी चीजें बनाई जाती हैं। तो अब अगली बार ध्यान से देखना, कोई पीले झूमर वाला अमलतास आपके घर के आसपास भी इठला रहा होगा।

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