काम के बीच जरूरी है कुछ मिनट की मौज-मस्ती
अगर आप घंटों तक लगातार काम करते हुए बीच में दो मिनट का भी विराम नहीं ले रहे तो यह भविष्य में आपकी कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि काम के बीच कुछ लम्हों का आराम न लेना शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
अब तक सिर्फ विदेशों में प्रचलित इस अवधारणा ने पिछले कुछ सालों से भारत में भी दस्तक दे दी है। भारत में भी अब कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम के घंटों के बीच कुछ समय कर्मचारियों के मौज-मस्ती और उनका ध्यान दूसरी ओर आकर्षित करने के लिए तय कर दिया है।
गुड़गांव स्थित एक कॉल सेंटर में ऑपरेशन मैनेजर संजय गुलाटी ने भाषा को इस बारे में बताया। संजय के मुताबिक, उनके कॉल सेंटर में अलग से एक रीक्रीएशनल सेंटर भी बनाया गया है, जहां कर्मचारी काम के समय में जाकर अपने पसंदीदा खेल का मजा ले सकते हैं।
संजय ने कहा 12 घंटे लगातार काम करना किसी के लिए भी आसान नहीं है। कंपनी को भी इस बात का अहसास है, इसलिए अलग से एक रीक्रीएशनल सेंटर बनाया गया है, जहां टेबल टेनिस जैसे शारीरिक अभ्यास वाले खेलों से लेकर शतरंज तक की मानसिक कवायद की जा सकती है।
संजय ने बताया कंपनियों में आजकल युवाओं का बोलबाला है। युवाओं को अगर आप इस तरह की किसी गतिविधि के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो उनके प्रदर्शन पर सीधा सकारात्मक असर पड़ता है। यह तथ्य हमने अपनी कंपनी में भी देखा है।
मनोवैज्ञानिक डॉ़ विनय मिश्रा भी रिसेस के प्रदर्शन पर सकारात्मक असर की बात को पुष्ट करते हैं। डॉ़ मिश्रा के मुताबिक लगातार एक सा काम दिमाग में एक सा संदेश प्रवाहित करता है और जिससे शिथिलता का अहसास होता है। इस बीच अगर आप एक मिनट के लिए भी उठे और कोई दूसरा काम किया तो दिमाग दोगुनी उर्जा से सरोबार हो जाता है और यह मानसिक उर्जा आपको पूरी तन्मयता से दोबारा काम करने की शक्ति देती है। जितनी देर तक आप दूसरे काम में समय बिताएंगे, आपकी कार्य क्षमता उतनी ही बढ़ेगी।
अमेरिका में कॉरपोरेट कंपनियों के कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कई कंपनियों ने मिल कर रिसेस एट वर्क डे की शुरूआत की। पिछले तीन साल से हर वर्ष 17 जून को यह दिवस मनाया जाता है। कंपनियां इस दिन अपने कर्मचारियों को आउटिंग पर ले जाने से लेकर कार्यालय परिसर में सांस्कृतिक और फन से जुड़ी गतिविधियां आयोजित कराती हैं।
अगर आप घंटों तक लगातार काम करते हुए बीच में दो मिनट का भी विराम नहीं ले रहे तो यह भविष्य में आपकी कार्यक्षमता पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। यह बात प्रमाणित हो चुकी है कि काम के बीच कुछ लम्हों का आराम न लेना शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार के स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है।
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अब तक सिर्फ विदेशों में प्रचलित इस अवधारणा ने पिछले कुछ सालों से भारत में भी दस्तक दे दी है। भारत में भी अब कई मल्टीनेशनल कंपनियों में काम के घंटों के बीच कुछ समय कर्मचारियों के मौज-मस्ती और उनका ध्यान दूसरी ओर आकर्षित करने के लिए तय कर दिया है।
गुड़गांव स्थित एक कॉल सेंटर में ऑपरेशन मैनेजर संजय गुलाटी ने भाषा को इस बारे में बताया। संजय के मुताबिक, उनके कॉल सेंटर में अलग से एक रीक्रीएशनल सेंटर भी बनाया गया है, जहां कर्मचारी काम के समय में जाकर अपने पसंदीदा खेल का मजा ले सकते हैं।
संजय ने कहा 12 घंटे लगातार काम करना किसी के लिए भी आसान नहीं है। कंपनी को भी इस बात का अहसास है, इसलिए अलग से एक रीक्रीएशनल सेंटर बनाया गया है, जहां टेबल टेनिस जैसे शारीरिक अभ्यास वाले खेलों से लेकर शतरंज तक की मानसिक कवायद की जा सकती है।
संजय ने बताया कंपनियों में आजकल युवाओं का बोलबाला है। युवाओं को अगर आप इस तरह की किसी गतिविधि के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो उनके प्रदर्शन पर सीधा सकारात्मक असर पड़ता है। यह तथ्य हमने अपनी कंपनी में भी देखा है।
मनोवैज्ञानिक डॉ़ विनय मिश्रा भी रिसेस के प्रदर्शन पर सकारात्मक असर की बात को पुष्ट करते हैं। डॉ़ मिश्रा के मुताबिक लगातार एक सा काम दिमाग में एक सा संदेश प्रवाहित करता है और जिससे शिथिलता का अहसास होता है। इस बीच अगर आप एक मिनट के लिए भी उठे और कोई दूसरा काम किया तो दिमाग दोगुनी उर्जा से सरोबार हो जाता है और यह मानसिक उर्जा आपको पूरी तन्मयता से दोबारा काम करने की शक्ति देती है। जितनी देर तक आप दूसरे काम में समय बिताएंगे, आपकी कार्य क्षमता उतनी ही बढ़ेगी।
अमेरिका में कॉरपोरेट कंपनियों के कर्मचारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कई कंपनियों ने मिल कर रिसेस एट वर्क डे की शुरूआत की। पिछले तीन साल से हर वर्ष 17 जून को यह दिवस मनाया जाता है। कंपनियां इस दिन अपने कर्मचारियों को आउटिंग पर ले जाने से लेकर कार्यालय परिसर में सांस्कृतिक और फन से जुड़ी गतिविधियां आयोजित कराती हैं।
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