शुक्रवार, 30 जुलाई 2010

क्या गणपति की बेटी हैं संतोषी माता?

भगवान गणपति को प्रथम पूज्य माना जाता है। संसार में भौतिक सफलता के लिए वे ही सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले देवता है। अकेले भगवान गणपति की पूजन से हमें हर तरह की सिद्धि मिल सकती है। गणपति का पूजन करते हैं तो हमें बुद्धि, शक्ति, कार्यकुशलता, धन लाभ आदि चीजें मिलती हैं जो संसार में सबसे ज्यादा आवश्यक हैं। गणपति के परिवार में दो पत्नियां और दो बेटों का जिक्र मिलता है। लेकिन एक और सदस्य भी, वे हैं गणपति की पुत्री संतोषी माता। क्या वाकई भगवान गणोश की कोई पुत्री भी थी।

कई विद्वानों का मानना है कि संतोषी माता का अस्तित्व काल्पनिक है। पुराणों में कहीं भी संतोषी माता का जिक्र नहीं किया गया है, अगर कहीं कोई उल्लेख है तो वह भी बाद में शामिल किया जान पड़ता है। सवाल यह है कि अगर गणपति की कोई पुत्री नहीं थी तो फिर संतोषी माता कौन हैं? दरअसल इसके लिए हमें भगवान गणपति के पूरे परिवार को समझना होगा। भगवान गणपति बुद्धि, शक्ति और विद्या के दाता हैं, उनकी पत्नी हैं रिद्धि और सिद्धि। बल, बुद्धि और विद्या मिले तो हमें हर कार्य में सिद्धि मिलना आसान होती है, गणपति की पत्नी सिद्धि हमें कार्य में यही सिद्धि प्रदान करती हैं। रिद्धि का अर्थ है कुशलता को कायम रखना, मतलब सिद्धि से जो कुशलता हमें मिली है, उसे रिद्धि हमेशा सुरक्षित रखती है। मतलब गणपति की दोनों पत्नियां हमें जीवनभर के लिए कार्यकुशल बनाती हैं।
दो पुत्र योग और क्षेम हैं। योग हमें आर्थिक लाभ देता है और क्षेम उस लाभ को हमेशा संरक्षित रखता है। इस तरह अगर हमारे पास आजीवन धन, कुशलता, बुद्धि और बल रहे तो फिर हम संतोषपूर्ण जीवन जी सकते हैं। गणपति के आराधकों को जीवन में ऐसे ही संतुष्टि मिलती है। बस इसी संतोष को गणपति की तीसरी संतान संतोषी माता माना गया है क्योंकि यह हमें संतुष्टि देती है। कुछ विद्वान इसे काल्पनिक तो कुछ इसे दार्शनिक मानते हैं।

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