मन में न जाने कितनी बातें ऐसी होती हैं, जिन्हें हम अपनों से कह नहीं पाते। और न ही जता पाते हैं कि वह हमारे लिए कितने खास हैं। न कह पाने के जो भी कारण हों, उसमें ‘कैसे कहें’ सबसे अहम है।
कह देने और सबसे बड़ी बात वक्त पर कह देने से बड़ा सुख मिलता है, कहने वाले को भी और सुनने वाले को भी। कह नहीं पाएं, तो चलिए लिख दें..
रात को बहू ने उठकर ससुर साहब के लिए खाना परोसा, और सुबह-सुबह बहू को घर के संवाद पुल पर लिखा मिला - ‘जीती रहो बहू, तुम्हारी फिक्र ने दिल जीत लिया।’
मां को सुबह थका-थका पाया, तो बेटा ऑफिस जाते-जाते लिख गया - ‘मां, दिन में थोड़ा आराम कर लीजिएगा।’ पहले जिस संवाद पुल बने बोर्ड के पास बहू और बेटा खड़े मुस्कुरा रहे थे, वहीं आज मां की आंखें छलक रहीं थीं।
रोज़ाना की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में कई ऐसे मौके आते हैं, जब हम अपनों से अपनापन जता नहीं पाते, कह नहीं पाते। नतीजतन वह बातें मन की कंदराओं में ही दम तोड़ देती हैं। बोर्ड पर लिख देना कि ‘अपना ध्यान रखना, मुझे चिंता रहती है’ या ‘मम्मीजी आप खाना खाकर आराम कर लीजिए’ या फिर ‘थैंक्स पापाजी, आपने मेरी गाड़ी में पेट्रोल भरवा दिया’ वगैरह-वगैरह रिश्तों की आत्मीयता को दोगुना कर सकता है।
हमेशा अच्छा कहने और अच्छा कहने का मौका ढूंढ लेने की भी आदत पड़ जाती है। शिकायतें भी बस सामान्य तौर पर कह ली जाती हैं। छोटे भाई ने बड़े के लिए लिखा ही था- ‘क्या दादा, आ जाते मेरे मैच पर, तो मेरा हौसला बढ़ता।’
सुबह दादा ने उसे तुरंत मना भी लिया। हम हमेशा चाहते हैं कि कोई हमारा ध्यान रखे, उसे हमारी चिंता हो और कई बार, हम जताना भी चाहते हैं कि हम उनकी कितनी चिंता करते हैं, लेकिन जता नहीं पाते। इन दोनों ही परिस्थितियों में लिखकर व्यक्त कर देना, मन की उधेड़बुन से निकलने का आसान रास्ता बन जाता है। मन की अनकही, को कहने का माध्यम आप घर में ही पा सकती हैं।
संदेश, अपनों के लिए
आप अपने घर में किसी खास, नज़र आने वाले स्थान पर एक बोर्ड लगा सकती हैं, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा का बड़ा स्रोत बन सकता है। यह रिश्तों में ऊष्मा लाने के साथ-साथ अच्छी सोच का आधार भी बनेगा। बढ़ते बच्चे इस पर याद रखने योग्य या याद दिलाने वाली सूचनाएं भी लिख सकते हैं। चुटकुले भी लिख सकते हैं।
रोज़ का एक अच्छा विचार लिखने या इम्तेहानों में बैठने वाले बच्चों के लिए मुख्य समाचार भी लिखे जा सकते हैं। यह आपको नए ज़माने से अपडेट भी रखेंगे। किसी का जन्मदिन या शादी की सालगिरह हो, तो एक-दूसरे के लिए शुभकामनाएं लिखने के काम भी आ सकता है यह बोर्ड यानी आपके घर का संवाद पुल। रूठों को मनाने और सबको गुदगुदाने का काम भी करेगा यह पुल। दरकते रिश्तों को सम्भाल लीजिए, ज़रा-भी कोई दूर जा रहा हो, तो उसे पुकार लीजिए, लिखकर ही सही..।
साभार-भास्कर
बहुत ही अच्छा सुझाव है। हम भी ऐसा ही करने का प्रयास करेंगे। आभार।
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