सोमवार, 23 अगस्त 2010

यहां आज भी अभिमन्यु की वीरता के निशान मिलते हैं

महाभारत के युद्ध में कई योद्धाओं ने अपनी अद्वितीय वीरता से अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा लिया था। ऐसा ही एक वीर योद्धा था अर्जुन पुत्र अभिमन्यु। जिस स्थान पर वह वीरगति को प्राप्त हुआ था वहां आज भी उसकी वीरता के निशान मौजूद हैं। उस स्थान का नाम है- अमीन या चक्रव्यूह।
कथा- ऐसा कहा जाता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने महाभारत के युद्ध में कौरव सेना की ओर से यहीं पर चक्रव्यूह की रचना की थी। इसमें अर्जुन पुत्र अभिमन्यु प्रवेश तो कर गया था पर कौरव सेना के प्रमुख वीरों द्वारा छल से मारा गया था। माना जाता है कि पहले इस जगह का नाम अभिमन्यु के नाम पर ही था पर बाद में अमीन हो गया।
यहां की परिक्रमा करने का विधान है। कहते हैं कि इससे व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है।
अन्य दर्शनीय स्थल- अमीन के पास ही कर्ण-वध नामक स्थान है। कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में जब कर्ण के रथ का पहिया जमीन में धंस गया था तब अर्जुन ने उसे यहीं मारा था। वर्तमान में यहां एक गहरी खाई है।
अमीन से ड़ेढ किलीमीटर दूर जयधर नामक जगह है। कहते हैं कि चक्रव्यूह में अभिमन्यु की मौत का बदला अर्जुन ने जयद्रथ को यहीं मारकर लिया था।
अमीन में ही एक कुण्ड है जिसे वामन कुण्ड कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहीं भगवान ने वामन रूप में जन्म लिया था।
कैसे पहुचें- अमीन एक छोटा सा गांव है जो ऊंचे टीले पर बसा हुआ है। यहां आने के लिए थानेसर, कुरूक्षेत्र, दिल्ली आदि जगहों से आसानी से सवारी वाहन मिल जाते हैं।
दिल्ली-अंबाला रेल लाइन पर भी अमीन स्टेशन है पर छोटी जगह होने के कारण गाडिय़ों के रुकने का समय पहले से पता लगाना अच्छा होगा।