ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल और शनि ग्रह को बहुत अधिक बलवान बताया गया है। ये ग्रह अकेले ही व्यक्ति की कुंडली बदलने की क्षमता रखते हैं। दोनों ही ग्रह क्रूर होने पर राजा को भी भिखारी बना सकते हैं। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति की कुंडली यह दोनों ग्रह एक साथ एक ही घर में स्थित हो तो क्या फर्क पड़ेगा...
- यदि मंगल और शनि लग्न में हो तो वह व्यक्ति युद्ध में विजेता, माता का द्वेषी, अल्पायु और भाग्यहीन होता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह अन्न-पान सुख से हीन, भाइयों और मित्रों से रहित होता है।
- यदि मंगल और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति गरीब, रोगी, बुरी आदतों वाला, अपमानित होता है। यदि किसी स्त्री की कुंडली में ऐसा हो तो वह स्त्री पुत्र विहीन हो सकती है।
- यदि शनि और मंगल दशम भाव में हैं व्यक्ति राज्यमंत्री बनता है। ऐसा व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का और सजा प्राप्त करने वाला होता है। ऐसे लोग झूठ भी बहुत बोलते हैं।
इन बुरे प्रभावों से बचने के उपाय
- प्रति मंगलवार और शनिवार हनुमान को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- मंगल और शनि की विशेष पूजा कराएं।
- मंगल और शनि का दान करें।
- मंगलवार को मंगल देव की भात पूजा कराएं।
- प्रतिदिन पीपल को जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें।
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और विधि-विधान से पूजन करें।
- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।
- कम से कम महिने में एक सुंदरकांड का पाठ करें।
- यदि मंगल और शनि लग्न में हो तो वह व्यक्ति युद्ध में विजेता, माता का द्वेषी, अल्पायु और भाग्यहीन होता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल और शनि चतुर्थ भाव में हो तो वह अन्न-पान सुख से हीन, भाइयों और मित्रों से रहित होता है।
- यदि मंगल और शनि सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति गरीब, रोगी, बुरी आदतों वाला, अपमानित होता है। यदि किसी स्त्री की कुंडली में ऐसा हो तो वह स्त्री पुत्र विहीन हो सकती है।
- यदि शनि और मंगल दशम भाव में हैं व्यक्ति राज्यमंत्री बनता है। ऐसा व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का और सजा प्राप्त करने वाला होता है। ऐसे लोग झूठ भी बहुत बोलते हैं।
इन बुरे प्रभावों से बचने के उपाय
- प्रति मंगलवार और शनिवार हनुमान को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- मंगल और शनि की विशेष पूजा कराएं।
- मंगल और शनि का दान करें।
- मंगलवार को मंगल देव की भात पूजा कराएं।
- प्रतिदिन पीपल को जल चढ़ाएं और 7 परिक्रमा करें।
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और विधि-विधान से पूजन करें।
- प्रतिदिन हनुमान चालिसा का पाठ करें।
- कम से कम महिने में एक सुंदरकांड का पाठ करें।
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