शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

ऐसे जन्मा मिकी माउस


जीवन में असफलता का डर नहीं होना चाहिए। बस स्वीकार कर लें कि ठीक है असफल हूं तो क्या हुआ? जिंदगी एक खेल की तरह है। चाहे हारे या जीते। तब भी हम खेल खेलते है क्योंकि इस खेल को हम बीच में नहीं छोड़ सकते। इसीलिए असफलता से डरे नहीं। यदि असफल हो तो कोई बात नहीं तब भी काम करते जाओ। जीवन सफलता और असफलता दोनों का मिलाजुला रूप है। जो असफल होता है, वही सफलता की कीमत जान पाता है। हमेशा आगे बढऩा चाहिये और अपने आप से पूछना चाहिए कि मैंने बीते कल से क्या सिखा?

एक युवक को अपनी जिन्दगी में कुछ नया कर गुजरने की चाह थी। वह बहुत अच्छा कार्टुनिस्ट था। उसे खुद पर विश्वास था लेेकिन जिंदगी शायद उसकी परिक्षा लेना चाहती थी। इसीलिए वह खूब भटका। उसने कई अखबारों के आफिसो के चक्कर काटे। उसे कहीं काम नहीं मिला। उसे थोड़ी निराशा जरूर हुई लेकिन वह फिर भी जुटा रहा। उसे अखबार में तो काम नहीं मिला लेकिन उसे एक चर्च के पादरी ने कुछ कार्टुन बनाने का काम दिया। वो युवक जिस शेड के नीचे काम कर रहा था। वहां चूहे उधम मचा रहे थे। एक चूहा देखकर उसके मन में एक कार्टून बनाने का ख्याल आया और वही से मिकी माउस का जन्म हुआ। वह व्यक्ति और कोई नहीं वाल्ट डिज्री था। सफल लोग हर छोटे काम को भी पूरे समर्पण के साथ करते है। इसीलिए उनका जीवन हम सबके लिए एक प्रेरणा की तरह होता है।

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