बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

हल्दी की विशेषता

हल्दी को क्यों माना जाता है पवित्र?

हल्दी की छोटी सी गांठ में बड़े गुण होते हैं। शायद ही कोई ऐसा घर हो जहां हल्दी का उपयोग न होता हो। पूजा-अर्चना से लेकर पारिवारिक संबंधों की पवित्रता तक में हल्दी का उपयोग होता है।
पूजा-अर्चना में हल्दी को तिलक व चावल से साथ इस्तेमाल किया जाता है। हल्दी का सबसे ज्यादा उपयोग घर के दैनिक भोजन में होता है। स्वास्थ्य के लिए हल्दी रामबाण ही है।
हल्दी का उपयोग शरीर में खून को साफ करता है। हल्दी के उपयोग से कई असाध्य बीमारियों में फायदा होता है।
हल्दी का भोजन में उपयोग भोजन के स्वाद को बढ़ा देता है।
तंत्र-ज्योतिष में भी हल्दी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। तंत्रशास्त्र के अनुसार, बगुलामुखी पीतिमा की देवी हैं। उनके मंत्र का जप पीले वस्त्रों में तथा हल्दी की माला से होता है।
हिन्दू धर्म दर्शन में भी हल्दी को पवित्र माना जाता है। ब्राह्मणों में पहना जाने वाला जनेऊ तो बिना हल्दी के रंगे पहना ही नहीं जाता है।
जब भी जनेऊ बदला जाता है तो हल्दी से रंगे जनेऊ को ही पहनने की प्रथा है। इसमें सब प्रकार के कल्याण की भावना निहित होती है।
शारीरिक सौन्दर्य को निखारने में भी हल्दी की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज भी गांवों में नहाने से पहले शरीर पर हल्दी का उबटन लगाने का चलन है। कहते हैं इससे शरीर की कांति बढ़ती है और मांसपेशियों में कसावट आती है।
हल्दी को शुभता का संदेश देने वाला भी माना गया है। आज भी जब कागज पर विवाह का निमंत्रण छपवाकर भेजा जाता है, तब निमंत्रण पत्र के किनारों को हल्दी के रंग से स्पर्श करा दिया जाता है। कहते हैं कि इससे रिश्तों में प्रगाढ़ता आती है।
वैवाहिक कार्यक्र मों में भी हल्दी का उपयोग होता है। दूल्हे व दुल्हन को शादी से पहले हल्दी का उबटन लगाकर वैवाहिक कार्यक्रम पूरे करवाए जाते हैं। इतने गुणों के कारण ही हल्दी को पवित्र माना जाता है।

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