लाक्षाभवन से निकलकर जब पाण्डव दक्षिण दिशा की ओर चले तो रास्ते में एक वन आया। सभी ने उसी वन में रात बिताई। उस वन में हिडिम्बासुर नाम का एक राक्षस रहता था। जब उसने मनुष्यों की गंध सूंघी तो उसने अपनी बहन हिडिम्बा से कहा कि वन में से मनुष्यों की गंध आ रही है तुम उन्हें मारकर ले आओ ताकि हम उन्हें अपना भोजन बना सकें। भाई की आज्ञा मानकर जब हिडिम्बा पाण्डवों को मारने के लिए गई तो सबसे पहले भीम को देखा जो पहरेदारी कर रहे थे।
भीम को देखकर हिडिम्बा उस पर मोहित हो गई। तब हिडिम्बा स्त्री का रूप बदलकर भीम के पास पहुंची और अपना परिचय देकर प्रणय निवेदन किया। उसने हिडिम्बासुर के बारे में भी भीम को बताया। लेकिन भीमसेन जरा भी विचलित नहीं हुए। उधर जब काफी देर तक हिडिम्बा नहीं पहुंची तो हिडिम्बासुर स्वयं वहां आ पहुंचा। हिडिम्बा को भीम पर मोहित हुआ देख वह बहुत क्रोधित हुआ और उसे मारने के लिए दौड़ा। इतने में ही भीमसेन बीच में आ गए और दोनों के बीच भयंकर युद्ध होने लगा।
आवाजें सुनकर पाण्डवों की नींद भी खुल गई। कुंती ने जब हिडिम्बा को वहां देखा तो उसका परिचय पूछा। हिडिम्बा ने पूरी बात कुंती को सच-सच बता दी। इधर भीम को राक्षस के साथ युद्ध करता देख अर्जुन उनकी मदद के लिए आए लेकिन भीम ने उन्हें मना कर दिया और अपने बाहुबल से हिडिम्बासुर का वध कर दिया। जब पाण्डव वहां से जाने लगे तो हिडिम्बा भी उनके पीछे-पीछे चलने लगी।
Mahabali Bheem jaisa koi nahi tha
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