मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

दो-दो शादियां होती हैं उनकी,...

हिंदू धर्म में विवाह को सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। विवाह के बाद पति-पत्नी दोनों का जीवन बदलता है साथ ही इनके परिवारों का भी। अधिकांश शादियां तो सफल हो जाती हैं लेकिन कुछ शादियां किसी कारण से असफल होती है। ऐसे अधिकांश लोग फिर दूसरी शादी करते हैं। ज्योतिष के अनुसार मालुम किया जा सकता है यदि किसी व्यक्ति के जीवन में दो शादी के योग होते हैं-
ज्योतिष शास्त्र में एक योग बताया गया है पुनर्विवाह योग यानि फिर से विवाह। कई व्यक्ति ऐसे होते है जिनका पहला विवाह सफल नहीं हो पाता और उन्हें पुन: विवाह करना पड़ता है। कुछ लोग दो से अधिक शादियां भी करते हैं। जन्म कुंडली का सप्तम भाव या स्थान जीवन साथी से संबंधित होता है। स्त्री हो या पुरुष दोनों का विवाह संबंधी विचार इसी स्थान से होता है।
- यदि सप्तम स्थान में गुरु स्थित हो तो शादी में देरी होती है। गुरु की उपस्थिति विवाह को 30 वर्ष की आयु तक खिंचती है। यदि कोई व्यक्ति जाने-अनजाने उसके पहले ही विवाह कर ले तो उसका तलाक होना निश्चित होता है। फिर वह दोबारा विवाह करके ही सुखी हो पाता है।
- यदि सूर्य सप्तम भाव में हो तो तलाक होकर पुनर्विवाह होता है। सूर्य सप्तम होने पर जीवन साथी के साथ सदा अनबन बनी रहती है।
- शुक्र के सप्तम होने पर व्यक्ति के कई अनैतिक संबंध बनते हैं, जिनकी वजह से तलाक होता है और फिर दूसरा विवाह होता है।
- यदि मंगल सप्तम स्थान में है तो यह बहुत ही हानिकारक होता है। यदि यह क्रूर होकर स्थित हो तो जीवन साथी की मृत्यु होने की संभावना होती है या दोनों हमेशा तनाव में ही रहते हैं। ऐसे लोगों का विवाह तो क्या प्रेम संबंध भी नहीं टिक पाता तथा यह साथी के लिए परेशान होते हैं। मंगली जातकों का विवाह देर से हो उतना अच्छा होता है। मंगली का विवाह मंगली से करना ही श्रेष्ठ होता है।

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