रविवार, 27 फ़रवरी 2011

बजरंगबली को हनुमान क्यों कहते हैं?

सभी के कष्ट-क्लेश दूर करने वाले पवन कुमार श्री हनुमान सभी की आस्था और विश्वास के केंद्र हैं। वैसे तो अंजनीपुत्र के कई नाम है परंतु उनका नाम हनुमान सर्वाधिक प्रचलित है। इनका बचपन में नाम मारूति रखा गया था लेकिन बाद में इन्हें हनुमान के नाम जाना जाने लगा।
एक रोचक प्रसंग है जिसकी वजह से मारूति को हनुमान नाम मिला। श्रीराम चरित मानस के अनुसार हनुमानजी की माता का नाम अंजनी और पिता वानरराज केसरी है। हनुमानजी को पवन देव का पुत्र भी माना जाता है। केसरी नंदन जब काफी छोटे थे तब खेलते समय उन्होंने सूर्य को देखा। सूर्य को देखकर अजंनीपुत्र ने सोचा कि यह कोई खिलोना है और वे सूर्य की उड़ चले। जन्म से ही मारूति को दैवीय शक्तियां प्राप्त थी अत: वे कुछ ही समय में सूर्य के समीप पहुंच गए और अपना आकार बड़ा करके सूर्य को मुंह में निगल लिया। पवनपुत्र द्वारा जब सूर्य को निगल लिया गया तब सृष्टि में अंधकार व्याप्त हो गया इससे सभी देवी-देवता चिंतित हो गए। सभी देवी-देवता पवनपुत्र के पास विनति करने पहुंचे कि वे सूर्य को छोड़ दें लेकिन बालक मारूति ने किसी की बात नहीं मानी। इससे क्रोधित होकर इंद्र ने उनके मुंह पर वज्र से प्रहार कर दिया। इस वज्र प्रहार से उनकी ठुड्डी टूट गई। ठुड्डी को हनु भी कहा जाता है। जब मारूति की ठुड्डी टूट गई तब पवन देव ने अपने पुत्र की यह दशा देखकर अति क्रोधित हो गए और सृष्टि से वायु का प्रवाह रोक दिया। इससे और अधिक संकट बढ़ गया। तब भी देवी-देवताओं ने बालक मारूति को अपनी-अपनी शक्तियों उपहार स्वरूप दी। तब पवन देव का क्रोध शांत हुआ। तभी से मारूति की ठुड्डी अर्थात् हनु टूट जाने की वजह से सभी देवी-देवताओं ने इनका नाम हनुमान रखा।

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