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एक बूढ़ा व्यक्ति था वह लोगों को पेड़ पर चढऩे व उतरने की कला सिखाता था जो उनको मुसीबत के समय और जंगली जानवरों से रक्षा के काम भी आती थी। एक दिन एक लड़का उस बूढ़े व्यक्ति के पास आया और विनम्रता पूर्वक निवेदन करते हुए बोला कि उसे इस कला में जल्द से जल्द निपुण(परफेक्ट)होना है।बूढ़े व्यक्ति ने उसे यह कला सिखाते हुए बताया कि किसी भी काम को करने के लिए धैर्य और संयम की बड़ी आवश्यकता होती है। लड़के ने बूढ़े की बात को अनसुना कर दिया।एक दिन बूढ़े व्यक्ति के कहने पर वह एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया। बूढ़ा व्यक्ति उसे देखता रहा और उसका हौसला बढ़ाता रहा पेड़ से उतरते उतरते जब वह लड़का आखिरी डाल पर पहुंचा तब बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि बेटा जल्दी मत करना सम्भलकर कर उतरो। लड़के ने सुना और धीरे धीरे उतरने लगा।
नीचे आकर लड़के ने हैरानी के साथ अपने गुरु से पूछा कि जब में पेड़ की चोटी पर था तब आप चुपचाप बैठे रहे और जब मैं आधी दूर तक उतर आया तब आपने मुझे सावधान रहने को कहा ऐसा क्यों। तब बूढ़े व्यक्ति ने उस लड़के को समझाते हुए कहा कि जब तुम पेड़ के सबसे ऊपर भाग पर थे तब तुम खुद सावधान थे जैसे ही तुम अपने लक्ष्य के नजदीक पहुंचे तो जल्दबाजी करने लगे और जल्दी में तुम पेड़ से गिर जाते और तुम्हें चोट लग जाती।कथा बताती है कि अपने निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए कभी भी जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए क्यों कि कई बार की गई जल्दबाजी ही लक्ष्य को पाने में परेशानी बन जाती है।
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