चेदिराज के घर में हुए विचित्र बालक का समाचार सुनकर सारी पृथ्वी के राजा उसे देखने आने लगे। चेदिराज ने सभी का बहुत प्रसन्नता के साथ स्वागत किया। उसके जन्म का समाचार सुनकर कृष्ण और बलराम भी अपनी बुआ से मिलने और उसे देखने पहुंचे। श्रीकृष्ण ने जैसे ही उसे गोद में लिया। उसी समय उसकी दो भुजाएं गिर गई। तीसरा नैत्र गायब हो गया।
यह देखकर शिशुपाल की मां व्याकुल होकर उससे कहने लगी श्री कृष्ण में तुमसे डर गई हूं। तब उसकी मां ने श्रीकृष्ण से हाथ जोड़कर कहा तुम मेरी ओर देखकर शिशुपाल के सारे अपराध क्षमा कर देना ये मेरी विनती है तुमसे। तब श्रीकृष्ण ने कहा बुआजी तुम चिंता मत करो मैं इसके सौ अपराध भी क्षमा कर दूंगा। जिनके बदले इसे मार डालना चाहिए।इसी कारण इस कुल के कलंक शिशुपाल ने आज इतना दुस्साहस दिखाया है। मेरा अपमान किया है। भीष्म की बातें शिशुपाल से सही नहीं गई। उसे गुस्सा आ गया।
यह देखकर शिशुपाल की मां व्याकुल होकर उससे कहने लगी श्री कृष्ण में तुमसे डर गई हूं। तब उसकी मां ने श्रीकृष्ण से हाथ जोड़कर कहा तुम मेरी ओर देखकर शिशुपाल के सारे अपराध क्षमा कर देना ये मेरी विनती है तुमसे। तब श्रीकृष्ण ने कहा बुआजी तुम चिंता मत करो मैं इसके सौ अपराध भी क्षमा कर दूंगा। जिनके बदले इसे मार डालना चाहिए।इसी कारण इस कुल के कलंक शिशुपाल ने आज इतना दुस्साहस दिखाया है। मेरा अपमान किया है। भीष्म की बातें शिशुपाल से सही नहीं गई। उसे गुस्सा आ गया।
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