शनिवार, 16 अप्रैल 2011

ऐसे जीती रावण ने लंका...

मय नाम का एक राक्षस था। मय दानव की मन्दोदरी नाम की एक कन्या थी। मन्दोदरी बहुत सुन्दर और स्त्रियों में शिरोमणि थी। उससे शादी करके रावण प्रसन्न था। फिर उसने विवाह कर दिया क्योंकि उसे पता था कि यह राक्षसों का राजा होगा। उसके बाद रावण ने अपने दोनों छोटे भाइयों का भी विवाह कर दिया। समुद्र के बीच में त्रिकूट नाम का एक बड़ा भारी किला था। मय दानव ने उसको फिर से सजा दिया। उसमें मणियों से जड़े हुए सोने के अनगिनत महल थे।
जैसे नागकुल की पाताल में भोगावतीपुरी है और इन्द्र के रहने की अमरावती पुरी है उनसे भी अधिक सुन्दर वह दुर्ग था। वही दुर्ग संसार में लंका नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसे चारों और से समुद्र की बहुत गहरी खाई घेरे हुए है। भगवान की प्रेरणा से जिस कल्प जो राक्षसों का राजा होता है वही शूर, प्रतापी अतुलित बलवान अपनी सेना सहित उस पुरी में बसता है।
वहां बड़े-बड़े योद्धा राक्षस रहते थे। देवताओं ने उन सबको युद्ध में मार डाला। अब इन्द्र प्रेरणा से वहां कुबेर के एक करोड़ रक्षक रहते हैं। रावण को कहीं ऐसी खबर मिली तब उसने सेना सजाकर किले को जा घेरा। उसे बड़े विकट योद्धा और उसकी बड़ी सेना को देखकर यक्ष वहां से भाग गए। तब रावण ने घूम फिरकर सारा नगर देखा, उसकी चिन्ता मिट गयी। रावण ने उस नगर को अपनी राजधानी बनाया। योग्यता क े अनुसार रावण ने सभी राक्षसों को लंका में घर बांट दिए। एक बार उसने कुबेर से युद्ध करके पुष्पक विमान भी जीत लिया।
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