सभी देवताओं की पूकार सुनकर आकाशवाणी हुई डरो मत। तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण कर लूंगा। कश्यप और अदिति ने बड़ा भारी तप किया। मैं पहले ही उनको वर दे चुका हूं।वे ही दशरथ और कौशल्या के रूप में मनुष्यों के राजा होकर प्रकट हुए। उन्हीं के घर जाकर मैं राम के घर में अवतार लूंगा। आप सभी निर्भय हो जाओ।
आकाश की बात को कान से सुनकर देवता तुरंत लौट आए। ब्रह्मजी ने पृथ्वी को समझाया। तब उसका डर खत्म हो गया।देवताओ को यही सिखाकर कि वानरों का शरीर धारण करके आप लोग पृथ्वी पर जाकर भगवान के चरणों की सेवा करो, ब्रह्मजी अपने लोक को चले गए। सब देवता अपने-अपने लोक को गए। सभी के मन को शांति मिली। ब्रह्मजी ने जो कुछ आज्ञा दी, उससे देवता बहुत खुश हुए और उन्होंने देर नहीं की।
पृथ्वी पर उन्होंने वानर का शरीर धारण किया। उनमें बहुत बल था। वे सभी भगवान के आने की राह देखने लगे। वे जंगलों में जहां तहां अपनी-अपनी सुन्दर सेना बनाकर भरपूर छा गए। अवध में रघुकुलशिरोमणि दशरथ नाम के राजा हुए, जिनका नाम वेदों में विख्यात है। वे बहुत ज्ञानी थे। उनकी कौसल्या आदि प्रिय रानियां सभी पवित्र आचरण वाली थी वे पति के अनुकूल थी और श्री हरि के प्रति उनका प्रेम बहुत दृढ़ था।
आकाश की बात को कान से सुनकर देवता तुरंत लौट आए। ब्रह्मजी ने पृथ्वी को समझाया। तब उसका डर खत्म हो गया।देवताओ को यही सिखाकर कि वानरों का शरीर धारण करके आप लोग पृथ्वी पर जाकर भगवान के चरणों की सेवा करो, ब्रह्मजी अपने लोक को चले गए। सब देवता अपने-अपने लोक को गए। सभी के मन को शांति मिली। ब्रह्मजी ने जो कुछ आज्ञा दी, उससे देवता बहुत खुश हुए और उन्होंने देर नहीं की।
पृथ्वी पर उन्होंने वानर का शरीर धारण किया। उनमें बहुत बल था। वे सभी भगवान के आने की राह देखने लगे। वे जंगलों में जहां तहां अपनी-अपनी सुन्दर सेना बनाकर भरपूर छा गए। अवध में रघुकुलशिरोमणि दशरथ नाम के राजा हुए, जिनका नाम वेदों में विख्यात है। वे बहुत ज्ञानी थे। उनकी कौसल्या आदि प्रिय रानियां सभी पवित्र आचरण वाली थी वे पति के अनुकूल थी और श्री हरि के प्रति उनका प्रेम बहुत दृढ़ था।
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