शनिवार, 25 जून 2011

अगस्त्य मुनि की पत्नी ने रख दी एक अजीब शर्त?

वे ये बात महारानी को बताते हुए बोले महर्षि अगस्त्य हमारी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं वे योग्य हैं यदि मैं उन्हें मना करूंगा तो वे हमें अपनी शाप की अग्रि में भस्म कर देंगे। बताओ इस विषय में तुम्हारा क्या मत है? तब राजा और रानी दोनों को देखकर लोपामुद्रा ने उनके पास आकर कहा, पिताजी आप मेरा विवाह उनसे कर दीजिए मुझे कोई समस्या नहीं है।
पुत्री की यह बात सुनकर राजा ने शास्त्र विधि से अगस्त्यजी के साथ उसका विवाह कर दिया। पत्नी मिल जाने पर अगस्त्यजी ने उससे कहा देवि। तुम इन बहुमूल्य वस्त्रों को त्याग दो। तब लोपामुद्रा ने अपने दर्शनीय बहुमूल्य और महीन वस्त्रों को त्याग दिया और पेड़ की छाल व मृगचर्म धारण कर वह अपने पति के समान ही व्रत और नियमों का पालन करने लगी। तदन्तर भगवान अगस्त्य हरिद्वार क्षेत्र में आकर अपनी पत्नी के साथ तपस्या करने लगी। लोपामुद्रा बड़े ही प्रेम से पति की सेवा करती थी।
एक बार जब लोपामुद्रा ऋतुस्नान से निवृत हुई तो उनका रूप तप के कारण और अधिक सुंदर दिखाई दे रहा था। जब अगस्त्य मुनि ने समागम के लिए उनका आवाह्न किया तो उन्होंने कुछ सकुचाते हुए अगस्त्य ऋषि से कहा मेरी इच्छा है कि अपने पिता के महलों मैं जिस प्रकार के सुंदर वेष-भूषा से मैं सजी रहती थी, वैसे ही यहां भी रहूं और तब आपके साथ मेरा समागम हो। साथ ही आप भी बहुमूल्य हार और आभूषणों से विभूषित हों। इन काषायवस्त्रों को धारण करके तो मैं समागम नहीं करूंगी।

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