शिव का पूजन लिंग के रूप में किया जाता है। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार शिव को निराकार माना गया है। इसीलिए उनके लिंग के रूप में पूजन को विशेष महत्व दिया गया है। इसीलिए घर के मंदिर में सभी लोग विभिन्न तरह की शिवलिंग की स्थापना करती है। शास्त्रों में वर्णन है कि हर तरह के शिवलिंग के पूजन से अलग परिणाम प्राप्त होता है। इसीलिए स्फटिक, केसर, काले पत्थर, पारद व अन्य कई तरह के शिवलिंग की पूजा के लिए उन्हें लोग अपने घर में स्थापित करते हैं।
लेकिन घर में शिवलिंग की स्थापना करते समय हमेशा एक बात ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी बिना जलाधारी के शिवलिंग की स्थापना नहीं करना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि इससे जन्मों के पूजा फल क्षीण हो जाते हैं साथ ही बिना जलाधारी की पूजा करने पर दोष लगता है। दरअसल इसका कारण यह है कि शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग जब प्रकट हुआ था तो वह अग्रि के रूप में था। पृथ्वी पर शिवलिंग किस तरह स्थापित हो यह एक समस्या थी।इसीलिए तब सारे देवताओं ने मिलकर प्रार्थना कि तो पार्वती जी ने अपने तप के प्रभाव से जलाधारी प्रकट की।
इसका आकार स्त्री की योनी के समान है। इसीलिए माना जाता है कि शिवलिंग को जलाधारी से अलग करने पर दोष लगता है। कहा जाता है कि पार्वती शक्ति का रूप है और जलाधारी से शक्ति प्रक्षेपित होती है। इसलिए शिव और शक्ति की अलग-अलग स्थापित करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसीलिए कभी बिना जलाधारी के शिवलिंग की स्थापना नहीं करना चाहिए।
लेकिन घर में शिवलिंग की स्थापना करते समय हमेशा एक बात ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी बिना जलाधारी के शिवलिंग की स्थापना नहीं करना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि इससे जन्मों के पूजा फल क्षीण हो जाते हैं साथ ही बिना जलाधारी की पूजा करने पर दोष लगता है। दरअसल इसका कारण यह है कि शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग जब प्रकट हुआ था तो वह अग्रि के रूप में था। पृथ्वी पर शिवलिंग किस तरह स्थापित हो यह एक समस्या थी।इसीलिए तब सारे देवताओं ने मिलकर प्रार्थना कि तो पार्वती जी ने अपने तप के प्रभाव से जलाधारी प्रकट की।
इसका आकार स्त्री की योनी के समान है। इसीलिए माना जाता है कि शिवलिंग को जलाधारी से अलग करने पर दोष लगता है। कहा जाता है कि पार्वती शक्ति का रूप है और जलाधारी से शक्ति प्रक्षेपित होती है। इसलिए शिव और शक्ति की अलग-अलग स्थापित करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसीलिए कभी बिना जलाधारी के शिवलिंग की स्थापना नहीं करना चाहिए।
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