सोमवार, 25 जुलाई 2011

भौंचक्के रह जाएंगे...

खुद अपनी ही त्वचा की जादुई सामर्थ्य को जानकर!!!
एक कहावह है जिसे हम सभी ने कई बार कहा और सुना होगा। कहावत यह है- 'दीये तले अंधेरा'। यानी दीपक अपने उजाले में दूर की चीजों को तो साफ-साफ दिखा देता है लेकिन खुद दीये के तले यानी नीचे अंधेरा ही पसरा रहता है। लगता है कि दीये की जो मजबूरी है, वही इंसान की भी है।
खुद के विषय में ऐसी कई बातें हैं जो व्यक्ति आज तक नहीं जानता। तिलिस्मी दिमाग, मन, सपने, जन्म-मृत्यु, उदासी, आनंद..... ऐसी कई बातें हैं जिनका ठीक-ठीक कारण खोज पाना आज भी उतना ही कठिन और अनसुलझी पहेली के समान है। इंसानी शरीर की ही बात करें तो हम पाएंगे कि अभी बहुत कुछ जानना बाकी है।
शरीर का सबसे बाहरी भाग यानी कि त्वचा भी अपने में ऐसी कई आश्चर्यजनक खूबियां रखती है जिसे अधिकांश लोग नहीं जानते होंगे। क्या स्वयं आपको भी इस लेख को पढऩे से पहले अपने शरीर की त्वचा की इन खूबियों के बारे में पता था...
पांच का काम अकेले:
यदि त्वचा की विद्युत शक्ति को उत्तेजित किया जा सके, तो उसमें इतनी शक्ति उत्पन्न हो सकती है कि वह अकेली ही
पांचों इंद्रियों (देखना, सुनना, सूंघना, छूना और स्वाद लेना) की भूमिका निभा सकती है।
छू कर सब जान लेना:
त्वचा से एक विशिष्ट प्रकार का वैद्युतिक प्राण-प्रवाह निकलता है, जो शरीर के चारों और एक आभामंडल बना लेता है। इस स्पर्शेंद्रिय द्वारा वर्ण पहचान कर किसी भी व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्तरों के बारे में सब कुछ जाना जा सकता है।
आभामंडल का निर्माण:
औसत शरीर में त्वचा ने करीब 1.75 वर्गमीटर या 20 वर्ग फीट घेर रखा है, जिससे निकलने वाले आभामंडल को थर्मोग्राफी से मापा जा सकता है।
ऊर्जा का उत्सर्जन:
हमारे शरीर की त्वचा हर समय 875 वाट शक्ति की ऊर्जा उत्सर्जित करती है जो रेडियेशन या इन्फ्रारेड से भी परे के स्तर की होती है।
कायाकल्प:
पूरे शरीर की त्वचा हर 50 दिन में एक बार पुरानी त्वचा के स्थान पर नई कोशिका द्वारा बदलकर पूरा कायाकल्प कर लेती है, जिसका वजन लगभग 18 कि.ग्रा. होता है।
.... है न आपकी त्वचा अनेक जादुई क्षमताओं से सम्पन्न।
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