शनि क्रुर ग्रह माना गया है। शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह कहा जाता है। इसीलिए शनि सबसे लंबे समय तक प्रभावित करने वाला ग्रह माना जाता है। लेकिन शनि की चाल अन्य ग्रहों से धीमी क्यों है इसका कारण शास्त्रों के अनुसार पिप्पलाद मुनि के द्वारा शनिदेव पर किया गया प्रहार बताया जाता है। कथा के अनुसार पिप्पलाद मुनि के पिता का निधन शनि द्वारा दिए गए कष्टो के कारण था। उस समय पिप्पलाद मुनि बालअवस्था में थे। वे जब बड़े हुए तब उन्हें पिता की मौत का कारण पता चला तो बहुत दुखी हुए। वे क्रोधित होकर शनि को ढंूढने निकल पड़े। उन्हें अचानक एक पीपल के वृक्ष पर शनिदेव दिखाई दिए।
पिप्पलाद मुनि ने उन पर अपना ब्रम्हदण्ड का प्रहार सहन नहीं कर पाए। उससे बचने के लिए वे भागने लगे। लेकिन ब्रम्हदण्ड उनके पीछे ही लगा रहा। अंतत: उस दण्ड ने उनके दोनों पैर तोड़ दिए। दर्द से छटपटाते हुए शनिदेव ने शिवजी का स्मरण किया । तब शिवजी ने पिप्पलाद मुनि को समझाया कि इसमें शनि देव का कोई दोष नहीं है। वे तो सृष्टी के नियमों का पालन कर रहे हैं। आपके पिता का काल आ चूका था। यह सुनकर पिप्पलादमुनि ने शनिदेव को क्षमा किया लेकिन पिप्पलाद मुनि के ब्रम्हदण्ड से टूटने के कारण उनकी गति मंद हो गई।
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पिप्पलाद मुनि ने उन पर अपना ब्रम्हदण्ड का प्रहार सहन नहीं कर पाए। उससे बचने के लिए वे भागने लगे। लेकिन ब्रम्हदण्ड उनके पीछे ही लगा रहा। अंतत: उस दण्ड ने उनके दोनों पैर तोड़ दिए। दर्द से छटपटाते हुए शनिदेव ने शिवजी का स्मरण किया । तब शिवजी ने पिप्पलाद मुनि को समझाया कि इसमें शनि देव का कोई दोष नहीं है। वे तो सृष्टी के नियमों का पालन कर रहे हैं। आपके पिता का काल आ चूका था। यह सुनकर पिप्पलादमुनि ने शनिदेव को क्षमा किया लेकिन पिप्पलाद मुनि के ब्रम्हदण्ड से टूटने के कारण उनकी गति मंद हो गई।
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