हनुमानजी को बालब्रह्माचारी माना गया है। मान्यता है कि जब किसी कन्याका विवाह न तय हो रहा हो, तो उसे ब्रह्मचारी हनुमानकी उपासना करना चाहिए। मानस शास्त्र के आधार पर कुछ लोगों की यहधारणा होती है कि सुंदर, बलवान पुरुषके साथ विवाह हो, इस कामनासे कन्याएं हनुमान की उपासना करती हैं या हनुमान स्तोत्र बोलने के लिए कहते हैं। हनुमानकी उपासना करनेसे ये कष्ट दूर हो जाते हैं व विवाह संभव हो जाता है। व्यक्तियोंके विवाह, भावी वधू या वरके एक-दूसरेसे अवास्तविक अपेक्षाओंके कारण नहीं हो पाते।
यदि प्रारब्ध मंद या मध्यम हो, तो कुलदेवताकी उपासना द्वारा प्रारब्धजनक अडचनें नष्ट हो जाती हैं व विवाह संभव हो जाता है । यदि प्रारब्ध तीव्र हो, तो केवल किसी संतकी कृपासे ही विवाह हो सकता है ।
हनुमान की उपासना करने ये कष्ट दूर हो जाते हैं व विवाह संभव हो जाता है। अपेक्षाओंको कम करनेपर विवाह संभव हो जाता है। यदि प्रारब्ध मंद या मध्यम हो, तो कुलदेवताकी उपासनाद्वारा प्रारब्धजनक अडचनें नष्ट हो जाती हैं व विवाह संभव हो जाता है । यदि प्रारब्ध तीव्र हो, तो केवल किसी संतकी कृपासे ही विवाह हो सकता है । इसीलिए शादी में विघ्न आने पर या देरी होने पर हनुमानजी की आराधना की जाती है।
यदि प्रारब्ध मंद या मध्यम हो, तो कुलदेवताकी उपासना द्वारा प्रारब्धजनक अडचनें नष्ट हो जाती हैं व विवाह संभव हो जाता है । यदि प्रारब्ध तीव्र हो, तो केवल किसी संतकी कृपासे ही विवाह हो सकता है ।
हनुमान की उपासना करने ये कष्ट दूर हो जाते हैं व विवाह संभव हो जाता है। अपेक्षाओंको कम करनेपर विवाह संभव हो जाता है। यदि प्रारब्ध मंद या मध्यम हो, तो कुलदेवताकी उपासनाद्वारा प्रारब्धजनक अडचनें नष्ट हो जाती हैं व विवाह संभव हो जाता है । यदि प्रारब्ध तीव्र हो, तो केवल किसी संतकी कृपासे ही विवाह हो सकता है । इसीलिए शादी में विघ्न आने पर या देरी होने पर हनुमानजी की आराधना की जाती है।
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