श्री हनुमान रुद्र के ग्यारहवें अवतार माने गए हैं। रुद्र यानी दु:खों का नाश करने वाले देवता। शिव का यह रूप कल्याणकारी माना गया है। शास्त्र भी कहते हैं कि शिव ही परब्रह्म है, जो अलग-अलग रूपों में जगत की रचना, पालन और संहार शक्तियों का नियंत्रण करते हैं ।
शिव के प्रति इस भाव व आस्था से ही श्री हनुमान की पूजा भी दोष, कष्ट, बाधाओं व संकट को शांत करने वाली मानी गई है।
ऐसी ही मंगल की कामना से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती को हनुमान पूजा में अपनाए एक ऐसा अचूक उपाय जो न केवल आसान है, बल्कि संकटमोचक भी है। यह उपाय है तेल का दीप लगाकर मंत्र विशेष का ध्यान। जानिए यह सरल विधि व मंत्र -
- श्री हनुमानजी की पूजा सिंदूर, अक्षत, फूल अर्पित करें और धूप व दीप से पूजा करें।
- पूजा में सरसों या तिल के तेल का दीप लगाएं। दीपक लगाते वक्त यह दीप मंत्र बोलें -
साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहन्तु देवेशास्त्रैलौक्यतिमिरापहम्।।
- दीप लगाने के बाद इस हनुमान मंत्र का यथाशक्ति जप करने के बाद इस दीप से आरती करें -
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
- आरती के बाद मंत्र जप, पूजा या आरती में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और अनिष्ट शांति की कामना करें।
शिव के प्रति इस भाव व आस्था से ही श्री हनुमान की पूजा भी दोष, कष्ट, बाधाओं व संकट को शांत करने वाली मानी गई है।
ऐसी ही मंगल की कामना से चैत्र शुक्ल पूर्णिमा यानी हनुमान जयंती को हनुमान पूजा में अपनाए एक ऐसा अचूक उपाय जो न केवल आसान है, बल्कि संकटमोचक भी है। यह उपाय है तेल का दीप लगाकर मंत्र विशेष का ध्यान। जानिए यह सरल विधि व मंत्र -
- श्री हनुमानजी की पूजा सिंदूर, अक्षत, फूल अर्पित करें और धूप व दीप से पूजा करें।
- पूजा में सरसों या तिल के तेल का दीप लगाएं। दीपक लगाते वक्त यह दीप मंत्र बोलें -
साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहन्तु देवेशास्त्रैलौक्यतिमिरापहम्।।
- दीप लगाने के बाद इस हनुमान मंत्र का यथाशक्ति जप करने के बाद इस दीप से आरती करें -
ऊँ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
- आरती के बाद मंत्र जप, पूजा या आरती में हुई गलती के लिए क्षमा मांगे और अनिष्ट शांति की कामना करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें