रायपुर। छत्तीसगढ़ में बारिश के बाद अब बिच्छुओं की फौज भी दिखने लगी है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ कहतें है कि बारिश के दौरान ही बिच्छू प्रजनन करते हैं. बिच्छू एक बार में करीब 100 बच्चों को जन्म देते हैं, जिन्हें गर्मी देने और बचाने के लिए मादा बिच्छू अपनी पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान पर ले जाती है।
छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में इन दिनों ऐसे नजारे लोगों को भी आश्चर्यचकित कर रहे हैं. राजधानी स्थित रविशंकर शुल्क विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस के प्रो. ए.के. पति के मुताबिक ब्लैक इंडियन स्कार्पियो छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में पाया जाता है. बिच्छू एक बार में करीब 100 बच्चों को जन्म देता है, और बरसात से बचने के लिए अपने बच्चों को पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान तक ले जाता है.वन्य प्राणी विशेषज्ञ मोइज अहमद बताते हैं कि इसे जयंत फॉरेस्ट स्कॉर्पियन भी कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम होटेना टोटा है, यह कम जहरीली प्रजाति का है. मादा बिच्छू के शरीर के अंदर अंडे विकसित होते हैं, लेकिन पैदा बच्चे के रूप में लेते हैं. जो एक बार में 100 तक होते हैं.उन्होंने बताया कि बच्चे के शरीर में छह परिवर्तन होते हैं. पहले परिवर्तन तक उनकी मां साथ रहकर बच्चों का ध्यान रखती है. बारिश की वजह से वह अपने बच्चों को पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान तक ले जाती है. यह प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता है।
छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में इन दिनों ऐसे नजारे लोगों को भी आश्चर्यचकित कर रहे हैं. राजधानी स्थित रविशंकर शुल्क विश्वविद्यालय के लाइफ साइंस के प्रो. ए.के. पति के मुताबिक ब्लैक इंडियन स्कार्पियो छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में पाया जाता है. बिच्छू एक बार में करीब 100 बच्चों को जन्म देता है, और बरसात से बचने के लिए अपने बच्चों को पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान तक ले जाता है.वन्य प्राणी विशेषज्ञ मोइज अहमद बताते हैं कि इसे जयंत फॉरेस्ट स्कॉर्पियन भी कहा जाता है, इसका वैज्ञानिक नाम होटेना टोटा है, यह कम जहरीली प्रजाति का है. मादा बिच्छू के शरीर के अंदर अंडे विकसित होते हैं, लेकिन पैदा बच्चे के रूप में लेते हैं. जो एक बार में 100 तक होते हैं.उन्होंने बताया कि बच्चे के शरीर में छह परिवर्तन होते हैं. पहले परिवर्तन तक उनकी मां साथ रहकर बच्चों का ध्यान रखती है. बारिश की वजह से वह अपने बच्चों को पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थान तक ले जाती है. यह प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता है।
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