बुधवार, 15 अक्टूबर 2014

त्रिपुरा - एक मनोरम राज्य

    भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढाता हुआ, भारत के कई अत्यंत सुंदर राज्यों में से एक है - त्रिपुरा। अपनी हरी-भरी घाटियों और पहाड़ियों के कारण त्रिपुरा ने भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में अपना विशेष स्थान बनाया है। त्रिपुरा भारत का तीसरा सबसे छोटा राज्य है। भारत के उत्तर-पूर्व और बांग्लादेश के बीच स्थित यह राज्य एक बिंदु की तरह है। यह राज्य उन्नीस स्वदेशी समुदायों और गैर-आदिवासी बंगाली लोगों के सामंजस्य का मिश्रण है। इसके अलावा त्रिपुरा पर्यटन का एक रोचक इतिहास है और यह स्थान प्रचुर जैव विविधता का दावा करता है।


त्रिपुरा
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त्रिपुरा – एक शुरूआत
त्रिपुरा के नाम की उत्पत्ति को लेकर इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के विभिन्न मत हैं। त्रिपुरा के उल्लेखनीय कोर्ट क्रॉनिकल ‘राजमाला’ के अनुसार, कई साल पहले त्रिपुरा पर ‘त्रिपुर’ नाम का राजा राज्य करता था, इसलिए इसका यह नाम पड़ा। आधुनिक त्रिपुरा पर पहले ‘त्रिपुरी राजवंश’ और इसके बाद अंग्रेजों का शासन था। अंग्रेजों के शासन काल के दौरान यह राजशाही राज्य था।
त्रिपुरा पर्यटन – यहाँ के भूगोल और जलवायु की एक झलक
त्रिपुरा उत्तर भारत के सात सन्निहित राज्यों में से एक है, जिन्हें ‘सेवेन सिस्टर्स’ के नाम से जाना जाता है। त्रिपुरा में मुख्य रूप से पहाड़ियाँ, घाटियाँ और मैदान है। यहाँ पांच पर्वत श्रेणियां हैं जो एक दूसरे से संकरी घाटियों द्वारा अलग हैं। इसके सुदूर पूर्व में जामपुई पर्वत श्रेणी, पश्चिम में उनोकोटी-सखान्त्लंग, लॉन्गथोराई, अथारामुरा-कालाझारी और बारामुरा-देओतामुरा आदि हैं।
त्रिपुरा का मौसम
त्रिपुरा का मौसम इसकी उंचाई से प्रभावित है और लगभग वैसा ही है जैसा कि आम तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में होता है। त्रिपुरा में एक उष्णकटिबंधीय सवाना जलवायु है और यहाँ मुख्य चार ऋतुएं होती हैं: ठंड – दिसंबर से फरवरी। मानसून पूर्व ऋतु मार्च से अप्रैल तक। मानसून- मई से सितंबर तक। त्रिपुरा में ठंड के दौरान तापमान दस डिग्री तक गिर सकता है और गर्मियों में 35 डिग्री तक जा सकता है। यहाँ जून के महीने में भारी बारिश होती है।
त्रिपुरा और इसकी समृद्ध संस्कृति
पर्यटक वर्ष भर यहाँ होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं क्योंकि त्रिपुरा में कई विभिन्न जातियों, विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले एवं धार्मिक समूहों के लोग निवास करते हैं। इस राज्य की प्रत्येक जनजाति कई त्यौहार मनाती है और इसमें उनकी अपनी परंपरा का नज़ारा देखने को मिलता है।
आप यहाँ पर कई त्योहारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि साल के किस समय आप यहाँ आते हैं। अक्टूबर महीने में यहाँ दुर्गापूजा का त्यौहार मानाया जाता है, इसके तुरंत बाद दीवाली, इसके अलावा चौदह देवताओं की पूजा का त्योहार कराची पूजा, जो जुलाई के महीने में मनाया जाता है। त्रिपुरा और भी कई त्यौहार मनाये जाते है जैसे कि गरिया पूजा, केर पूजा, अशोक अष्टमी मेला, बुद्ध पूर्णिमा, पौष-संक्रांति मेला और वाह (लैंप) त्योहार।
भव्यता से मनाये जाने वाले त्योहारों के अलावा, त्रिपुरा पर्यटन नृत्य, संगीत एवं हस्तशिल्प के रूप में एक समृद्ध परंपरा को अपने में समेंटे हुए है। त्रिपुरा की स्वदेशी जनजातियों के संगीत एवं नृत्य के अपने अलग अलग पारंपरिक रूप हैं। गोरिया पूजा के दौरान आप गोरिया नृत्य की सुंदरता एवं क्रियात्मकता को देख सकते हैं जो त्रिपुरी और जमातिया लोगों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।इसी तरह होजागिरी नृत्य देखना भी एक बहुत अच्छा अनुभव होगा जिसमें लड़कियां मिट्टी के मटकों पर संतुलन बनाते हुए नृत्य करती हैं। इसके अलावा लेबांग नृत्य, ममिता नृत्य, मोसक सुल्मानी नृत्य, बिज्हू नृत्य, हिक-हक़ नृत्य त्रिपुरा के अन्य प्रसिद्ध नृत्य हैं।
इसके अलावा त्रिपुरा की जनजातियां, स्थानीय स्तर पर पसंद किये जाने वाले, कई वाद्य यंत्र भी बनाते हैं जैसे कि, सरिंदा, चोंगप्रेंग और सुमुई। इसके अलावा बांस और केन से बनाए जाने वाले हेंडीक्राफ्ट, फर्नीचर, बर्तन और सजावट के सामान भी बहुत लोकप्रिय हैं।
त्रिपुरा पर्यटन – त्रिपुरा एवं इसके आसपास के पर्यटन स्थल
प्रदूषण मुक्त हवा, सुहावना मौसम और रोचक कई पर्यटन स्थलों के कारण त्रिपुरा पर्यटन के लिए एक आदर्श स्थान हो सकता है। त्रिपुरा पर्यटन, आगंतुकों के आमोद-प्रमोद लिए धार्मिक स्थलों और सुंदर स्थानों का एक उचित संयोजन है। त्रिपुरा में सदाबहार जंगल और कई जलीय संसाधन भी हैं।
एक बार त्रिपुरा पहुँच जाने पर पर्यटक आश्वस्त हो सकते हैं कि इस स्थान की सुंदरता के द्वारा वे अपनी आँखों को आराम पहुंचाने जा रहे हैं। त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में भी कई पर्यटक स्थल हैं। समृद्ध पुरातात्विक इतिहास से युक्त कई प्रसिद्ध मंदिर जैसे कि जगन्नाथ मंदिरउमामहेश्वर मंदिर, बेनुबन बिहार/बुद्ध मंदिर यहाँ पर देखे जा सकते हैं।
इसके अलावा आप अगरतला के सेपहिजाला चिड़ियाघर में विभिन्न प्राणियों के देखने का आनंद भी उठा सकते हैं। नवयुवक/युवतियों के लिए अगरतला में रोज वैली एम्यूजमेंट पार्क भी है।अगरतला के अतिरिक्त त्रिपुरा में अन्य कई पर्यटक आकर्षण भी हैं जैसे कि धलाई, कैलाशहर, उनकोटी और उदयपुर। उदयपुर में जहाँ त्रिपुर सुंदरी और भुवनेश्वरी जैसे मंदिर हैं, वहीं कैलाशहर में चौदू देवोतार मंदिर और चाय के बागान हैं जो सभी को प्रभावित करते हैं।
उज्जयनता पैलेस, त्रिपुरा राज्य संग्रहालय, सुकांता अकादमी, लॉन्गथराई मंदिर, मणिपुरी रास लीला, उनकोटी, लक्ष्मी नारायण मंदिर, पुरानो राजबाड़ी, और नजरुल ग्रंथागार क्लाउडेड लेपर्ड राष्ट्रीय उद्यान और राजबाड़ी राष्ट्रीय उद्यान त्रिपुरा के कुछ अन्य आकर्षक स्थल है।
तो आप किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं? अपना सामान बांधिए और त्रिपुरा के आकर्षण का अनुभव लेने के लिए तैयार हो जाइए। आप निराश नहीं लौटेंगे।

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