शुक्रवार, 22 जनवरी 2010

क्या तुम जानते हो?

देश की सेवा में वृद्ध विराट
समुद्री सीमाओं की रखवाली करने वाले भारतीय युद्धपोत आईएनएस विराट ने हाल ही में अपने ५० वर्ष पूरे किए। इसकी ५०वीं सालगिरह अरब सागर में मुंबईClick here to see more news from this city के नजदीक मनाई गई। इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने विराट पर आधारित एक कॉफीटेबल बुक विमोचित की।

महामहिम के सामने नौसेना के पश्चिमी कमान ने अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। इस समय विराट को दुल्हन की तरह सजाया गया था और बीच समंदर में खड़े इस युद्धपोत के चारों ओर अन्य छोटे युद्धपोत एक घेरे में खड़े इसका सुरक्षा कवच बने हुए थे। इनके इर्दगिर्द स्पीड बोट पर तैनात समुद्री कमांडो की तेज रफ्तार चहल-पहल से पूरा वातावरण अपनी सामरिक सुरक्षा क्षमता के प्रति गर्व का एक सुखद भाव सबके दिलों में भर रहा था।

नौसैनिकों की आँखों में विराट के प्रति प्यार और गर्व के मिश्रित भाव स्पष्ट दिख रहे थे। विराट का भव्य रूप देखकर और उसकी क्षमता जानकर कोई भी अभिभूत हो सकता है। एचएमएस हर्मिस नाम से १८ नवंबर, १९५९ को ब्रिटिश रॉयल नेवी में शामिल किया गया यह युद्धपोत १९८६ में खरीदा गया।

लंदन के डेवनपोर्ट डॉक में भारतीय नौसेना की जरूरतों के हिसाब इसके बॉयलर्स सहित कई अन्य हिस्सों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। फिर इसे आईएनएस विराट का नाम देकर १९८७ में भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया। इस खरीद के सिलसिले में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने इटली की गैरिबाल्डी क्लास के एक युद्धपोत की खरीद पर मुहर लगभग लगा दी थी लेकिन अंतिम समय में एचएमएस हार्मिस ने बाजी मारी।


उल्लेखनीय है कि एचएमएस की घोषित आयु २५ वर्ष ही थी और जब भारत ने इसे खरीदा था तब यह ब्रिटिश नेवी को २७ साल की सेवा दे चुका था लेकिन भारतीय सैन्य अभियंताओं द्वारा इस युद्धपोत की अच्छी देखरेख की बदौलत इसकी आयु दोगुनी से ज्यादा बढ़ा दी है। मरम्मत के माध्यम से अब तक चार बार कायाकल्प किए जा चुके इस युद्धपोत से उम्मीद की जा रही है कि यह 2019 तक देश की सेवा करेगा। इस युद्धपोत की लंबाई 226.5 मीटर और चौड़ाई 48.78 मीटर है। कम से कम 8.8 मीटर गहराई वाले पानी में ही यह युद्धपोत चल सकता है।

तेरह मंजिल वाले इस युद्धपोत पर 9 मंजिल फ्लाइट डेस्क से नीचे और 4 डेक के ऊपर स्थित हैं। 400 पीएसआई के 4 बॉयलर्स और 76 हजार एसएचपी के दो गियर वाले स्टीम टर्बाइन इंजन से ताकत पाते इस युद्धपोत की अधिकतम गति सीमा 28 नॉटिकल मील प्रति घंटा है। विराट पर एक समय कुल 1350 सैनिक (नौसैनिक व वायुसैनिक) रह सकते हैं।

१९८६ में भारतीय नौसैनिक बेड़े में आईएनएस विराट के नाम से शामिल हुआ और आज अपनी घोषित आयु से दोगुनी उम्र का होने के बावजूद भारतीय समुद्री सीमाओं की रक्षा में मुस्तैद है। युद्धक विमानों के उड़ान भरने और लैंड करने की क्षमता से लैस इस युद्धपोत पर 143 वायुसेना अधिकारी भी रहते हैं। इस पोत पर 30 सी हैरियर रखे जा सकते हैं। इसके हवाई बेड़े में सी किंग विमान भी शामिल है। विराट पर इटली की एल्मार कम्युनिकेशन तकनीक के साथ ही सैटकॉम और कंप्यूटर असिस्टेड एक्शन इन्फॉर्मेशन सिस्टम भी लगी हुई है। इसराइल बराक सैम तकनीक से लैस इस युद्धपोत पर 240 एमएम बोफोर्स तोपें भी तैनात हैं।

इसके साथ ही एके 230 गन हैं जो एंटी शिप मिसाइल के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं। इस युद्धपोत से 750 सैन्ट टुकड़ियाँ रवाना की जा सकती हैं। गौरतलब है कि 1993 के सितंबर में बड़े पैमाने पर शुरू किए गए विराट की मरम्मत का कार्य लगभग 2 वर्ष चला। 1995 से पोत फिर से समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए तैयार हो गया लेकिन 1999 के जुलाई से 2001 के अप्रैल तक विराट में चले ढाँचागत बदलाव ने इसकी उम्र 2010 तक बढ़ा दी है और तब तक रूसी नौसेना के बेड़े में शामिल गोर्शकोव के भारतीय नौसेना में शामिल हो जाने की उम्मीद है। गोर्शकोव का नाम आईएनएस विक्रमादित्य होगा। इसकी मरम्मत का काम रूस में चल रहा है।

म्यूजियम बनकर सेवा करता विक्रांत
विराट से पहले तक भारतीय सीमाओं की रक्षा में मुस्तैद भारतीय युद्धपोत विक्रांत आज रक्षा जरूरतों के लिए भले ही अक्षम हो गया हो पर वह भारतीय नौसेना की गाथाओं से लोगों को परिचित करवा रहा है । १६ फरवरी, १९६१ को भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल आईएनएस विक्रांत ३१ जनवरी, १९९७ को नौसेना से रिटायर हुआ। इसे भारतीय नौसेना म्यूजियम का रूप दिया गया है और नौसेना सप्ताह के दौरान आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है।

विक्रांत पर रखे लड़ाकू विमान व रॉकेट, पनडुब्बी में रहने वाले नौसैनिकों के कपड़े और उनकी जीवनशैली को प्रदर्शित करती वस्तुएँ बच्चों और बड़ों के बीच खासा आकर्षण का केंद्र बनते हैं। नौसेना सप्ताह के अलावा जो भी इस म्यूजियम को देखना चाहता है उसे नौसेना से इजाजत लेनी पड़ती है। विक्रांत भी ब्रिटिश रॉयल नेवी में हरक्यूलिस नाम से कार्यरत था। विक्रांत को स्थायी म्यूजियम बनाने के लिए कंपनियों से निविदाएँ आई हैं जो जनवरी में खोली जाएगी और विक्रांत को म्यूजियम बनाने का ठेका दिया जाएगा।


बेकार की चीजें नहीं चाहिए...

फेंग अपने काम में व्यस्त थी तभी उसे एक पार्सल मिला। पार्र्सल खोलते ही फेंग की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि पार्सल में कुछ दिनों पहले खोया उसका पर्स था। पर्स के साथ फेंग को एक चिट्ठी भी मिली। चिट्ठी लिखने वाले ने ही यह पर्स चुराया था और फिर लौटाया भी।

चिट्ठी में उस व्यक्ति ने लिखा कि- मुझे जो चाहिए था वह मैंने रख लिया, बाकी की चीजें मेरे काम की नहीं हैं और मैं बेकार की चीजों को अपने पास नहीं रखता हूँ। इसलिए मैं आपकी चीजें आपको भेज रहा हूँ। पर्स में फेंग को ड्राइविंग लाइसेंस और ऑफिस के एक जरूरी लेटर मिल गया। पर्स की नकदी नहीं लौटी, वो तो चोर के काम की जो थी।

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