सोमवार, 3 मई 2010

लतीफ़े

दो शराबी रात को..
पहला शराबी (दूसरे से)- यार कितने बजे हैं।
दूसरे शराबी ने पत्थर उठाया और शर्मा जी के घर की खिड़की पर दे मारा।
खिड़की का कांच टूटते ही शर्मा जी चिल्लाये- नालायकों रात के 2 बजे भी तुम्हें चैन नही है।


मां- मैं तो तंग हो गई हूं तुमसे। एक के बाद एक गलतियां करते रहते हो। कब सुधरोगे?
बेटा- सुधरने के लिए क्या करना होगा मां?
मां- मम्मी-पापा और टीचर की हर बात माननी होगी।
अगले दिन जब मां कमरे में आई तो बेटे पर नजर पड़ते ही गुस्से से चिल्ला उठी।
मां (डांटते हुए)- किताब के पन्ने क्यों खा रहे हो?
बेटा (मासूमियत से)- सुधरने के लिए मां। तुम्हीं ने तो कहा था सुधरने के लिए टीचर की बात माननी होगी। मैडम ने कहा है, खाते-पीते-सोते बस किताबों में ही लगे रहो। वही तो कर रहा हूं।


पति- पता है, तुम्हें देखते ही मैंने तय कर लिया था कि शादी करूंगा तो तुम्हीं से।
पत्नी- अच्छा।
फिर खुशी से शर्माते हुए पत्नी ने कहा- मैं तुम्हें पहली ही नजर में इतनी अच्छी लगी थी।
पति- हां, क्योंकि मेरा बॉस रोज मुझे डांटता था कि मैं हमेशा घर में ही क्यों रहना चाहता हूं? ऑफिस में समय क्यों नहीं देता? इसका हल तुम्हें देखते ही मुझे सूझ गया था। मुझे पता था कि तुम घर में रहोगी तो मैं ऑफिस में ही रहना चाहूंगा।


संता सिंह ने एक कॉलेज खोलने का मन बनाया। उसने यह बात बंता को बताई। बंता ने कहा- यार, यह तो बड़ी अच्छी बात है। बस एक बात का ध्यान रखना कि कॉलेज का नाम सबसे अच्छा और अलग हो।
संता सिंह ने कॉलेज के नाम के बारे में खूब सोचा। आखिर उसे एक नाम सूझ गया और वह बहुत खुश हो गया।
उसने कॉलेज का नाम रखा- संता सिंह ग‌र्ल्स कॉलेज फॉर ब्वॉयज।

डॉक्टर (मरीज से)- दवाई हिलाकर पिया करें।
मरीज- डॉक्टर साहब बड़ी परेशानी होती है दवाई हिलाने से चम्मच से गिर जाती है फिर जमीन से चाटनी पड़ती है।

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