महालक्ष्मी की कृपा किसे प्राप्त होती?
प्राचीन काल से ही देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए मनुष्यों द्वारा तरह-तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं। आज ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे लक्ष्मी अर्थात् धन की आवश्यकता नहीं है। देवी महालक्ष्मी की कृपा किसे प्राप्त होती है इस संबंध में एक प्रसंग बहु प्रचलित है-
एक बार श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी के समक्ष महालक्ष्मी प्रकट हुईं। तब देवी रुक्मणी ने महालक्ष्मी से पूछा: देवी आप किन मनुष्यों के यहां निवास करती हैं? किन पर आपकी कृपा सदैव बरसती रहती है?
इन प्रश्नों के उत्तर में देवी महालक्ष्मी ने कहा-
- मैं ऐसे व्यक्तियों के यहां निवास करती हूं, जो सौभाग्यशाली है, निर्भीक, कार्यकुशल, कर्मपरायण, क्रोधरहित, भगवान की पूजा करने वाला, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय हो।
- जो मनुष्य धर्मज्ञ, बड़े-बूढ़ों की सेवा में तत्पर, मन को वश में करने वाला, क्षमाशील और सामथ्र्यशाली हैं, उनके यहां निवास करती हूं।
- जो स्त्रियां स्वभावत: सत्यवादिनी तथा पतिव्रता, धार्मिक आचरण करने वाली हैं, जो भगवान में आस्था रखने वाली हैं, उनके यहां मैं निवास करती हूं।
- जो समय का सदुपयोग करते हैं, सदैव दान आदि करते हैं। जिन्हें ब्रह्मचर्य, तपस्या, ज्ञान, गाय, ब्राह्मण तथा गरीब परम प्रिय हैं, ऐसे पुरुषों में मैं निवास करती हूं।
- जो स्त्रियां घर को और बर्तन को शुद्ध तथा स्वच्छ रखने वाली हैं और गायों की सेवा तथा धन-धान्य संग्रह करती हैं, उनके यहां भी मैं सदा निवास करती हूं।
- जो स्त्रियां सत्य बोलने वाली और सौम्य वेश-भूषा धारण करने वाली होती हैं, सदगुणवती, कल्याणमय आचार-विचार वाली होती हैं, ऐसी स्त्रियों के यहां मैं सदा निवास करती हूं।
जिन व्यक्तियों के यहां महालक्ष्मी का निवास होता है वह धर्म, यश और धन से संपन्न होकर सदा प्रसन्न रहता है।
प्राचीन काल से ही देवी महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए मनुष्यों द्वारा तरह-तरह के प्रयास किए जाते रहे हैं। आज ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे लक्ष्मी अर्थात् धन की आवश्यकता नहीं है। देवी महालक्ष्मी की कृपा किसे प्राप्त होती है इस संबंध में एक प्रसंग बहु प्रचलित है-
एक बार श्रीकृष्ण और देवी रुक्मणी के समक्ष महालक्ष्मी प्रकट हुईं। तब देवी रुक्मणी ने महालक्ष्मी से पूछा: देवी आप किन मनुष्यों के यहां निवास करती हैं? किन पर आपकी कृपा सदैव बरसती रहती है?
इन प्रश्नों के उत्तर में देवी महालक्ष्मी ने कहा-
- मैं ऐसे व्यक्तियों के यहां निवास करती हूं, जो सौभाग्यशाली है, निर्भीक, कार्यकुशल, कर्मपरायण, क्रोधरहित, भगवान की पूजा करने वाला, कृतज्ञ, जितेन्द्रिय हो।
- जो मनुष्य धर्मज्ञ, बड़े-बूढ़ों की सेवा में तत्पर, मन को वश में करने वाला, क्षमाशील और सामथ्र्यशाली हैं, उनके यहां निवास करती हूं।
- जो स्त्रियां स्वभावत: सत्यवादिनी तथा पतिव्रता, धार्मिक आचरण करने वाली हैं, जो भगवान में आस्था रखने वाली हैं, उनके यहां मैं निवास करती हूं।
- जो समय का सदुपयोग करते हैं, सदैव दान आदि करते हैं। जिन्हें ब्रह्मचर्य, तपस्या, ज्ञान, गाय, ब्राह्मण तथा गरीब परम प्रिय हैं, ऐसे पुरुषों में मैं निवास करती हूं।
- जो स्त्रियां घर को और बर्तन को शुद्ध तथा स्वच्छ रखने वाली हैं और गायों की सेवा तथा धन-धान्य संग्रह करती हैं, उनके यहां भी मैं सदा निवास करती हूं।
- जो स्त्रियां सत्य बोलने वाली और सौम्य वेश-भूषा धारण करने वाली होती हैं, सदगुणवती, कल्याणमय आचार-विचार वाली होती हैं, ऐसी स्त्रियों के यहां मैं सदा निवास करती हूं।
जिन व्यक्तियों के यहां महालक्ष्मी का निवास होता है वह धर्म, यश और धन से संपन्न होकर सदा प्रसन्न रहता है।
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