गुरुवार, 29 जुलाई 2010

अंगद का पैर तक नहीं हिला सके...

श्रीराम वानर सेना के साथ समुद्र पार कर लंका पहुंच गए हैं। श्रीराम ने अंगद को अपना दूत बनाकर रावण को समझाने के लिए भेज दिया। अंगद लंका में प्रवेश करता है जहां सभी लंकावासी वानर को देख उन्हें हनुमान की याद आई और वे भयभीत हो जाते हैं। अंगद जब रावण के राज दरबार में पहुंच गया। तब वहां रावण और अंगद का वाक् युद्ध शुरू हुआ और बातों ही बातों में अंगद ने रावण को चुनौति दे दी कि उसका एक पैर हिला दोगे तो श्रीराम लंका से लौट जाएंगे। क्रोधित रावण के सभी महायौद्धा कई बार अंगद का पैर हिलाने की कोशिश करके हार गए। तब रावण पुत्र मेघनाद जो कि परलम शक्तिशाली था, जिसने इंद्र तक को जीत लिया था उसने अंगद का पैर हिलाने की नाकाम कोशिश की। यह देख रावण आग बबुला हो गया और खुद उठ खड़ा हुआ। रावण अंगद के पैर का पकडऩे ही वाला था तब अंगद बोला अरे मूर्ख मेरे चरण ना लग श्रीराम के चरणों में ध्यान लगा तो कल्याण हो जाएगा।

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