गुरुवार, 22 जुलाई 2010

द्रोपदी की साड़ी इतनी लंबी कैसे हो गई...?


महाभारत में द्युत क्रीड़ा के समय युद्धिष्ठिर ने द्रोपदी को दांव पर लगा दिया और दुर्योधन की ओर से मामा शकुनि ने द्रोपदी को जीत लिया। उस समय दुशासन द्रोपदी को बालों से पकड़कर घसीटते हुए सभा में ले आया। वहां मौजूद सभी बड़े दिग्गज मुंह झुकाएं बैठे रह गए। देखते ही देखते दुर्योधन के आदेश पर दुशासन ने पूरी सभा के सामने ही द्रोपदी की साड़ी उतारना शुरू कर दी। सभी मौन थे, पांडव भी द्रोपदी की लाज बचाने में असमर्थ हो गए। तब द्रोपदी द्वारा श्रीकृष्ण का आव्हान किया गया और श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की लाज उसकी साड़ी को बहुत लंबी करके बचाई।
श्रीकृष्ण द्वारा द्रोपदी की लाज बचाई गई। इसके पीछे द्रोपदी का ही एक ऐसा पुण्य कर्म है जिसकी वजह से द्रोपदी पूरी सभा के सामने अपमानित होने से बच गई। वह पुण्य कर्म यह था कि एक बार द्रोपदी गंगा में स्नान कर रही थी उसी समय एक साधु वहां स्नान करने आया। स्नान करते समय साधु की लंगोट पानी में बह गई और वह इस अवस्था में बाहर कैसे निकले? इस कारण वह एक झाड़ी के पीछे छिप गया। द्रोपदी ने साधु को इस अवस्था में देख अपनी साड़ी से लंगोट के बराबर कोना फाड़कर उसे दे दिया। साधु ने प्रसन्न होकर द्रोपदी को आशीर्वाद दिया।
एक अन्य कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया गया, उस समय श्रीकृष्ण की अंगुली भी कट गई थी। अंगुली कटने पर श्रीकृष्ण का रक्त बहने लगा। तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांधी थी। इस कर्म के बदले श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को आशीर्वाद दिया था कि एक दिन अवश्य तुम्हारी साड़ी की कीमत अदा करुंगा।
इन कर्मों की वजह से श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की साड़ी को इस पुण्य के बदले ब्याज सहित इतना बढ़ाकर लौटा दिया और द्रोपदी की लाज बच गई।

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