राम-रावण के युद्ध में जब रावण के सारे यौद्धा मारे जा चुके थे। तब रावण खुद श्रीराम से युद्ध करने के लिए अपने दिव्य रथ और भयंकर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर रणभूमि में आया। रावण ने आते ही तरह-तरह की माया कई बार रची और वानर सेना के छक्के छुड़ाने लगा। तब श्रीराम ने रावण द्वारा रची गई माया को हर बार पलभर में समाप्त कर वानर सेना की रक्षा की।
फिर जब श्रीराम-रावण आमने-सामने आ गए तो बड़ा भयंकर युद्ध हुआ। दोनों ने दिव्य और प्रलयकारी बाणों का अनुसंधान कर एक-दूसरे की ओर छोड़े। तब राम ने 30 शक्तिशाली बाण रावण की ओर छोड़े जिससे उसके दसों शीश और बीस हाथों को काट गिराया, परंतु रावण नहीं मरा और उसके सभी मुख और हाथ पुन: आ गए। ऐसा ही कई बार राम बाण छोड़ते पर रावण मरता ना था।
अंतत: विभीषण ने श्रीराम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत है जिससे वह मर नहीं रहा है। तब राम में 31 बाणों का संधान किया और रावण की छोड़ दिए। 1 प्रमुख बाण रावण की नाभि पर जा लगा जिसने रावण का सारा अमृत सुखा दिया तत्पश्चात दस बाणों से उसके दसों शीश, बीस अन्य बाणों से रावण की बीसों भुजाएं कट गई और रावण मृत्यु को प्राप्त हुआ।
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