जानें शिव व सावन के बारे में
सावन मास में शिव आराधना का विशेष फल मिलता है। इस संबंध में धर्म शास्त्रों में भी कई उल्लेख मिलते हैं। इस महीने में भक्त अलग-अलग माध्यमों से शिव भक्ति में डूब जाते हैं। सावन में प्रकृति की छटा भी देखते ही बनती है। रिमझिम बारिश, झूले और इनके साथ ही शिव की भक्ति, सावन के महीने को पूरी तरह धर्ममय बना देती है।
अपने पाठकों को शिव तथा सावन से संबंधित रोचक जानकारियां देने के उद्देश्य से हमने विशेष उत्सव पेज तैयार किया है, जिसमें आप पाएंगे- शिव से जुड़े तांत्रिक उपाय, ज्योतिष निदान, कथाएं, रोचक बातें, प्रमुख मंदिरों की जानकारी, विभिन्न अवतार, कावड़ यात्रा की जानकारी, नित्य पूजा करने की विधि, पूजन मंत्र, सावन का धार्मिक तथा मनोवैज्ञानिक पक्ष आदि।
शिव तथा सावन से जुड़ी यह सामग्री आपके जीवन में भक्ति, ऊर्जा तथा उत्साह का संचार करेंगी। यह सामग्री आप पाएंगे सिर्फ उत्सव पेज पर।
शिव पूजा के पीड़ानाशक ज्योतिष उपाय
शिव के प्रिय मास सावन में किया गया शिव पूजन, व्रत और उपवास बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में शिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। इसलिए सावन माह का ज्योतिष विज्ञान में भी बहुत महत्व बताया गया है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में सावन माह में शिव पूजा के द्वारा अनेक ग्रह दोष और उनकी पीड़ाओं से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं। जिसमें हर राशि के व्यक्ति के लिए भगवान शिव की उपासना और पूजा के विशेष उपाय बताए गए हैं। जिनका शिव आराधना के समय पालन करने पर हर कोई मनचाहा फल पा सकता है। वैसे सभी राशि के लोग शिव पूजा किसी भी विधि से कर सकते हैं। लेकिन यहां बताए जा रहे शिव पूजा के विशेष उपाय ज्यादा प्रभावकारी माने जाते हैं।
सावन में हर राशि का व्यक्ति शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ावें। इसके अलावा जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को किस पूजा सामग्री से शिव पूजा अधिक शुभ फल देती है।
मेष - इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। शक्कर या गुड़ की मीठी रोटी बनाकर शिव को भोग लगाएं। लाल चंदन व कनेर के फूल चढ़ावें।
वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है। इसके अलावा चावल, सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत यानि चावल चढ़ावें।
मिथुन - इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करे। अन्य पूजा सामग्री में मूंग, दूर्वा और कुशा भी अर्पित करें।
कर्क - इस राशि के शिवभक्त घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही कच्चा दूध, सफेद आंकड़े का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ावें। सिंह - सिंह राशि के व्यक्ति गुड़ के जल से शिव अभिषेक करें। वह गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग शिव को लगाएं। गेहूं और मंदार के फूल भी चढ़ाएं।
कन्या - इस राशि के व्यक्ति गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। शिव को भांग, दुर्वा व पान चढ़ाएं।
तुला - इस राशि के जातक इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें और दही, शहद और श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें।
वृश्चिक - पंचामृत से शिव का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। साथ ही लाल फूल भी शिव को जरुर चढ़ाएं।
धनु - इस राशि के जातक दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करे। भगवान को चने के आटे और मिश्री से मिठाई तैयार कर भोग लगाएं। पीले या गेंदे के फूल पूजा में अर्पित करें।
मकर - नारियल के पानी से शिव का अभिषेक मकर राशि के जातकों को विशेष फल देता है। साथ ही उड़द की दाल से तैयार मिष्ठान्न का भगवान को भोग लगाएं। नीले कमल का फूल भी भगवान का चढ़ाएं।
कुंभ - इस राशि के व्यक्ति को तिल के तेल से अभिषेक करना चाहिए। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं और शमी के फूल से पूजा में अर्पित करें। यह शनि पीड़ा को भी कम करता है।
मीन - इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव पर चढ़ाएं। भात और दही मिलाकर भोग लगाएं। पीली सरसों और नागकेसर से शिव का चढ़ाएं।
शिव के साथ करें पार्वती की आराधना
सावन के तीसरे दिन अर्थात श्रावण कृष्ण तृतीया तिथि विशेष फलदायी होती है क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती के मंदिर में जाकर उन्हें भोग लगाने तथा विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। 7 दिन तक लाल वस्त्र दान करने से भगवान शिव व पार्वती प्रसन्न होते हैं।
इस दिन कजली तीज व्रत भी किया जाता है। कजली तीज को हरियाली तीज, श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को फूल-पत्तों से सजे झूले में झुलाया जाता है। चारों तरफ लोकगीतों की गूंज सुनाई देती है। कई जगह झूले बांधे जाते हैं और मेले लगाए जाते हैं। नवविवाहिताएं जब विवाह के बाद पहली बार श्रावण में पिता के घर आती है तो तीन बातों के तजने (त्यागने) का प्रण लेती है- पति से छल कपट, झूठ और दुव्र्यवहार और दूसरे की निंदा। मान्यता है कि विरहाग्रि में तप कर गौरी इसी दिन शिव से मिली थी।
इस दिन पार्वती की सवारी निकालने की भी परम्परा है। इसी तिथि को स्वर्णगौरी व्रत भी किया जाता है। व्रत में 16 सूत का धागा बना कर उसमें 16 गांठ लगा कर उसके बीच मिट्टी से गौरी की प्रतिमा बना कर स्थापित की जाती है तथा विधिविधान से पूजा की जाती है।
सावन मास में शिव आराधना का विशेष फल मिलता है। इस संबंध में धर्म शास्त्रों में भी कई उल्लेख मिलते हैं। इस महीने में भक्त अलग-अलग माध्यमों से शिव भक्ति में डूब जाते हैं। सावन में प्रकृति की छटा भी देखते ही बनती है। रिमझिम बारिश, झूले और इनके साथ ही शिव की भक्ति, सावन के महीने को पूरी तरह धर्ममय बना देती है।
अपने पाठकों को शिव तथा सावन से संबंधित रोचक जानकारियां देने के उद्देश्य से हमने विशेष उत्सव पेज तैयार किया है, जिसमें आप पाएंगे- शिव से जुड़े तांत्रिक उपाय, ज्योतिष निदान, कथाएं, रोचक बातें, प्रमुख मंदिरों की जानकारी, विभिन्न अवतार, कावड़ यात्रा की जानकारी, नित्य पूजा करने की विधि, पूजन मंत्र, सावन का धार्मिक तथा मनोवैज्ञानिक पक्ष आदि।
शिव तथा सावन से जुड़ी यह सामग्री आपके जीवन में भक्ति, ऊर्जा तथा उत्साह का संचार करेंगी। यह सामग्री आप पाएंगे सिर्फ उत्सव पेज पर।
शिव पूजा के पीड़ानाशक ज्योतिष उपाय
शिव के प्रिय मास सावन में किया गया शिव पूजन, व्रत और उपवास बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में शिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। इसलिए सावन माह का ज्योतिष विज्ञान में भी बहुत महत्व बताया गया है। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में सावन माह में शिव पूजा के द्वारा अनेक ग्रह दोष और उनकी पीड़ाओं से मुक्ति के उपाय बताए गए हैं। जिसमें हर राशि के व्यक्ति के लिए भगवान शिव की उपासना और पूजा के विशेष उपाय बताए गए हैं। जिनका शिव आराधना के समय पालन करने पर हर कोई मनचाहा फल पा सकता है। वैसे सभी राशि के लोग शिव पूजा किसी भी विधि से कर सकते हैं। लेकिन यहां बताए जा रहे शिव पूजा के विशेष उपाय ज्यादा प्रभावकारी माने जाते हैं।
सावन में हर राशि का व्यक्ति शिव पूजन से पहले काले तिल जल में मिलाकर स्नान करे। शिव पूजा में कनेर, मौलसिरी और बेलपत्र जरुर चढ़ावें। इसके अलावा जानते हैं कि किस राशि के व्यक्ति को किस पूजा सामग्री से शिव पूजा अधिक शुभ फल देती है।
मेष - इस राशि के व्यक्ति जल में गुड़ मिलाकर शिव का अभिषेक करें। शक्कर या गुड़ की मीठी रोटी बनाकर शिव को भोग लगाएं। लाल चंदन व कनेर के फूल चढ़ावें।
वृष- इस राशि के लोगों के लिए दही से शिव का अभिषेक शुभ फल देता है। इसके अलावा चावल, सफेद चंदन, सफेद फूल और अक्षत यानि चावल चढ़ावें।
मिथुन - इस राशि का व्यक्ति गन्ने के रस से शिव अभिषेक करे। अन्य पूजा सामग्री में मूंग, दूर्वा और कुशा भी अर्पित करें।
कर्क - इस राशि के शिवभक्त घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। साथ ही कच्चा दूध, सफेद आंकड़े का फूल और शंखपुष्पी भी चढ़ावें। सिंह - सिंह राशि के व्यक्ति गुड़ के जल से शिव अभिषेक करें। वह गुड़ और चावल से बनी खीर का भोग शिव को लगाएं। गेहूं और मंदार के फूल भी चढ़ाएं।
कन्या - इस राशि के व्यक्ति गन्ने के रस से शिवलिंग का अभिषेक करें। शिव को भांग, दुर्वा व पान चढ़ाएं।
तुला - इस राशि के जातक इत्र या सुगंधित तेल से शिव का अभिषेक करें और दही, शहद और श्रीखंड का प्रसाद चढ़ाएं। सफेद फूल भी पूजा में शिव को अर्पित करें।
वृश्चिक - पंचामृत से शिव का अभिषेक वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शीघ्र फल देने वाला माना जाता है। साथ ही लाल फूल भी शिव को जरुर चढ़ाएं।
धनु - इस राशि के जातक दूध में हल्दी मिलाकर शिव का अभिषेक करे। भगवान को चने के आटे और मिश्री से मिठाई तैयार कर भोग लगाएं। पीले या गेंदे के फूल पूजा में अर्पित करें।
मकर - नारियल के पानी से शिव का अभिषेक मकर राशि के जातकों को विशेष फल देता है। साथ ही उड़द की दाल से तैयार मिष्ठान्न का भगवान को भोग लगाएं। नीले कमल का फूल भी भगवान का चढ़ाएं।
कुंभ - इस राशि के व्यक्ति को तिल के तेल से अभिषेक करना चाहिए। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं और शमी के फूल से पूजा में अर्पित करें। यह शनि पीड़ा को भी कम करता है।
मीन - इस राशि के जातक दूध में केशर मिलाकर शिव पर चढ़ाएं। भात और दही मिलाकर भोग लगाएं। पीली सरसों और नागकेसर से शिव का चढ़ाएं।
शिव के साथ करें पार्वती की आराधना
सावन के तीसरे दिन अर्थात श्रावण कृष्ण तृतीया तिथि विशेष फलदायी होती है क्योंकि यह तिथि माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन भगवान शंकर तथा माता पार्वती के मंदिर में जाकर उन्हें भोग लगाने तथा विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। 7 दिन तक लाल वस्त्र दान करने से भगवान शिव व पार्वती प्रसन्न होते हैं।
इस दिन कजली तीज व्रत भी किया जाता है। कजली तीज को हरियाली तीज, श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को फूल-पत्तों से सजे झूले में झुलाया जाता है। चारों तरफ लोकगीतों की गूंज सुनाई देती है। कई जगह झूले बांधे जाते हैं और मेले लगाए जाते हैं। नवविवाहिताएं जब विवाह के बाद पहली बार श्रावण में पिता के घर आती है तो तीन बातों के तजने (त्यागने) का प्रण लेती है- पति से छल कपट, झूठ और दुव्र्यवहार और दूसरे की निंदा। मान्यता है कि विरहाग्रि में तप कर गौरी इसी दिन शिव से मिली थी।
इस दिन पार्वती की सवारी निकालने की भी परम्परा है। इसी तिथि को स्वर्णगौरी व्रत भी किया जाता है। व्रत में 16 सूत का धागा बना कर उसमें 16 गांठ लगा कर उसके बीच मिट्टी से गौरी की प्रतिमा बना कर स्थापित की जाती है तथा विधिविधान से पूजा की जाती है।
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