मंगलवार, 10 अगस्त 2010

यह है कालसर्प दोष शांति का अचूक काल

सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी (इस वर्ष १४ अगस्त) नाग पूजा का विशेष काल है। यह घड़ी ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से भी बहुत अहम मानी जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के देवता शेषनाग हैं। इसलिए जन्म कुण्डली में राहु और केतु की विशेष स्थिति से बनने वाले कालसर्प योग की शांति के लिए यह दिन बहुत शुभ फल देने वाला माना जाता है।

कालसर्प योग का बुरा प्रभाव जीवन में अनेक तरह से पीड़ा और हर कार्य में बाधा पहुंचाता है। इसलिए अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में कालसर्प दोष हो तो इसकी शांति के लिए नागपंचमी का दिन नहीं चूकना चाहिए।
नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष शांति के लिए नाग और शिव की विशेष पूजा और उपासना जीवन में आ रही शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों और बाधाओं को दूर कर सुखी और शांत जीवन की राह आसान बनाती है।
नागपंचमी पर्व पर कालसर्प योग, उसके अलग-अलग रुप, फल और दूर करने के उपायों पर विशेष लेख पढ़े इसी साईट पर आने वाले दिनों में -

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