शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010

क्यों पूजा जाता है अशोक का पेड़?


अशोक के पेड़ को पवित्र माना जाता है। शोक-दु:ख को दूर करने के कारण ही संभवत: इसे अशोक नाम की उपमा दी गई है। भगवान राम ने खुद ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी।
कामदेव के पंच पुष्प बाणों में एक अशोक भी है। कवियों ने भी इसकी महत्ता के बारे में खूब लिखा है। रावण ने सीता हरण के बाद उन्हें अशोक-वाटिका में ही रखा था। चूंकि यहां अशोक के पेड़ अधिक संख्या में थे, इसलिए इसे अशोक-वाटिका कहा गया है।
यहीं अशोक के पेड़ पर बैठकर हनुमान जी ने सीता माता के दर्शन किये थे। श्रद्धा, विश्वास, पवित्रता, शोक-निवारण आदि के परिपेक्ष्य में अशोक का गुणगान प्राचीन साहित्य में भरपूर किया गया है।
तांत्रिक रूप से अशोक आवास की उत्तर दिशा में लगाना विशेष मंगलकारी माना जाता है तथा अशोक के पत्ते घर में रखने से शांति रहती है।
बौद्ध धर्म और साहित्य में भी अशोक के पेड़ को बड़ा पवित्र माना जाता है। कहते हैं कि अशोक के पेड़ के नीचे कई वर्षों तक गौतम बुद्ध ने तपस्या की थी।
अशोक का पेड़ शीतलता प्रदान करता है, इसी कारण आयुर्वेद में भी इसका उपयोग किया जाता है।अपनी इन्हीं विशेषताओं और धार्मिक महत्व को कारण अशोक के पेड़ को पवित्र मानकर पूजा जाता है।

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