धर्म की दृष्टि से जीवन में चार पुरुषार्थ - धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को पाना हर मानव का लक्ष्य होना चाहिए। इससे साफ जाहिर है कि अर्थ यानि धन सफल जिंदगी के लिए कितना अहम है। व्यावहारिक जीवन में हर व्यक्ति कदम-कदम पर धन की जरूरत और अहमियत को महसूस करता है। यही कारण है कि अमीर और गरीब दोनों ही समान रुप से धन पाने की कोशिश करते देखे जाते हैं। दोनों के मन में वैभवशाली जीवन की कामना होती है।
धर्म के नजरिए से दरिद्रता का अंत आलस्य छोड़कर कर्म यानि मेहनत से ही संभव है। जब भी आप साफ मन और मजबूत इच्छाशक्ति से धन अर्जन के लिए कुछ काम करते हैं, उसका सुफल धन के रूप में जरुर मिलता है। सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास भी वहीं माना जाता है, जहां तन, मन की मलीनता नदारद होती है या परिश्रम होता है। इसलिए मेहनत को सफल बनाने और सुफल पाने के लिए धार्मिक उपाय भी किए जाते हैं। ऐसे ही शुभ फल देने वाले उपायों में एक है - वैभव लक्ष्मी पूजा।
शुक्रवार का दिन देवी पूजा का विशेष महत्व है। देवी का महालक्ष्मी रुप वैभव और ऐश्वर्य देने वाला माना गया है। इसके लिए शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी पूजा और व्रत का विधान है। वैभव लक्ष्मी पूजा और व्रत से न केवल हर स्त्री और पुरुष शाही जीवन के सपनों को पूरा कर सकता है। बल्कि इसके साथ ही संतान कामनापूर्ति, संकटमोचन, अखण्ड सौभाग्य और मनचाहा जीवनसाथी भी मिल जाता है। जानते हैं इस व्रत पूजा की आसान विधि -
- शुक्रवार को व्रत का आरंभ करें। स्वयं या किसी विद्वान ब्राह्मण से ग्यारह या इक्कीस वैभव लक्ष्मी व्रत का संकल्प लें। वैभव लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल या यानि शाम के समय करने का महत्व है। किंतु इस व्रत में सुबह से ही तन, मन से पूरी तरह पवित्रता के भाव के साथ माता लक्ष्मी का स्मरण करें।
- शाम को स्नान कर पूर्व दिशा में मुंह रखकर आसन पर बैठें।
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। जिस पर चावल की ढेरी पर जल से भरा तांबे का कलश रखें। कलश पर एक पात्र या कटोरी में सोने या चांदी का सिक्का या कोई गहना रखें। सामर्थ्य न होने पर पैसे का सिक्का भी रख सकते हैं।
- कलश के साथ ही श्रीयंत्र भी रखें। यह वैभव लक्ष्मी को प्रिय माना जाता है।
- घी का दीप जलाएं। धूपबत्ती लगाएं।
- पूजा की शुरुआत में माता लक्ष्मी के इन स्वरूपों का स्मरण करें - धन या वैभवलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, अधिलक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, संतान लक्ष्मी।
- इसके बाद लक्ष्मी स्तवन का पाठ करें।
- कलश पर पात्र में रखे हुए सिक्कों या गहने पर कुमकुम और हल्दी, अक्षत , गुलाब या लाल रंग के फूल चढाएं।
- मिठाई का भोग लगाएं। गुड़-चीनी भी चढ़ा सकते हैं।
- माता लक्ष्मी की आरती करें। ग्यारह बार श्रद्धा से मन ही मन किसी लक्ष्मी मंत्र का ध्यान करें या लक्ष्मी नाम ही जप लें।
- अंत में क्षमा और मनोकामना पूरी करने की विनती माता लक्ष्मी से करें। प्रसाद बांटे व थोड़ा प्रसाद स्वयं के लिए रखें।
- वैभव लक्ष्मी उपासना में यथासंभव उपवास रखना चाहिए और मात्र प्रसाद खाएं। ऐसा संभव न हो तो एक बार शाम को प्रसाद लेकर भोजन करें।
- बाद मे कटोरी में रखा गहना या सिक्का तिजोरी या देवालय में रखें। कलश का जल तुलसी के पौधों में डालें। अक्षत पंछियों को चुगने के लिए डालें।
धर्म के नजरिए से दरिद्रता का अंत आलस्य छोड़कर कर्म यानि मेहनत से ही संभव है। जब भी आप साफ मन और मजबूत इच्छाशक्ति से धन अर्जन के लिए कुछ काम करते हैं, उसका सुफल धन के रूप में जरुर मिलता है। सुख-समृद्धि और लक्ष्मी का वास भी वहीं माना जाता है, जहां तन, मन की मलीनता नदारद होती है या परिश्रम होता है। इसलिए मेहनत को सफल बनाने और सुफल पाने के लिए धार्मिक उपाय भी किए जाते हैं। ऐसे ही शुभ फल देने वाले उपायों में एक है - वैभव लक्ष्मी पूजा।
शुक्रवार का दिन देवी पूजा का विशेष महत्व है। देवी का महालक्ष्मी रुप वैभव और ऐश्वर्य देने वाला माना गया है। इसके लिए शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी पूजा और व्रत का विधान है। वैभव लक्ष्मी पूजा और व्रत से न केवल हर स्त्री और पुरुष शाही जीवन के सपनों को पूरा कर सकता है। बल्कि इसके साथ ही संतान कामनापूर्ति, संकटमोचन, अखण्ड सौभाग्य और मनचाहा जीवनसाथी भी मिल जाता है। जानते हैं इस व्रत पूजा की आसान विधि -
- शुक्रवार को व्रत का आरंभ करें। स्वयं या किसी विद्वान ब्राह्मण से ग्यारह या इक्कीस वैभव लक्ष्मी व्रत का संकल्प लें। वैभव लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल या यानि शाम के समय करने का महत्व है। किंतु इस व्रत में सुबह से ही तन, मन से पूरी तरह पवित्रता के भाव के साथ माता लक्ष्मी का स्मरण करें।
- शाम को स्नान कर पूर्व दिशा में मुंह रखकर आसन पर बैठें।
- एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं। जिस पर चावल की ढेरी पर जल से भरा तांबे का कलश रखें। कलश पर एक पात्र या कटोरी में सोने या चांदी का सिक्का या कोई गहना रखें। सामर्थ्य न होने पर पैसे का सिक्का भी रख सकते हैं।
- कलश के साथ ही श्रीयंत्र भी रखें। यह वैभव लक्ष्मी को प्रिय माना जाता है।
- घी का दीप जलाएं। धूपबत्ती लगाएं।
- पूजा की शुरुआत में माता लक्ष्मी के इन स्वरूपों का स्मरण करें - धन या वैभवलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, अधिलक्ष्मी, विजयालक्ष्मी, ऐश्वर्यलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, संतान लक्ष्मी।
- इसके बाद लक्ष्मी स्तवन का पाठ करें।
- कलश पर पात्र में रखे हुए सिक्कों या गहने पर कुमकुम और हल्दी, अक्षत , गुलाब या लाल रंग के फूल चढाएं।
- मिठाई का भोग लगाएं। गुड़-चीनी भी चढ़ा सकते हैं।
- माता लक्ष्मी की आरती करें। ग्यारह बार श्रद्धा से मन ही मन किसी लक्ष्मी मंत्र का ध्यान करें या लक्ष्मी नाम ही जप लें।
- अंत में क्षमा और मनोकामना पूरी करने की विनती माता लक्ष्मी से करें। प्रसाद बांटे व थोड़ा प्रसाद स्वयं के लिए रखें।
- वैभव लक्ष्मी उपासना में यथासंभव उपवास रखना चाहिए और मात्र प्रसाद खाएं। ऐसा संभव न हो तो एक बार शाम को प्रसाद लेकर भोजन करें।
- बाद मे कटोरी में रखा गहना या सिक्का तिजोरी या देवालय में रखें। कलश का जल तुलसी के पौधों में डालें। अक्षत पंछियों को चुगने के लिए डालें।
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