मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

क्यों होती है शादी के पहले सगाई?

शादी दो विपरीत लिंगों को न केवल शारीरिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी जोड़ती है। इसमें न केवल दो व्यक्ति बल्कि दो समाज मिलते हैं। शायद इसलिए शादी को सामाजिक रूप दिया गया है।

शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बाद दो जुदा लोग एक साथ अपनी जिंदगी की शुरुआत करते हैं। जाहिर सी बात है कि बिना जान-पहचान के जिंदगी की गाड़ी पटरी पर चलाना आसान काम नहीं है।
जब दो समाज या समुदाय शादी के पवित्र बंधन के कारण एक होते हैं तो उनमें बहुत से वैचारिक या सैद्धान्तिक मतभेद होते हैं। दोनों के रीति-रिवाज काफी अलग होते हैं। दोनों की धार्मिक मान्यताओं में अंतर होता है।
अगर उन्हें एक-दूसरे को समझने का पर्याप्त समय न मिले तो यह अंतर या मतभेद और गहरे हो सकते हैं। ऐसे में तो शादी की सामाजिक मान्यता पर ही प्रश्रचिन्ह लग सकते हैं।
इस अप्रिय स्थिति से बचने के लिए ही शादी के पहले सगाई करवाने की प्रथा है। सगाई से शादी होने तक का समय एक-दूसरे को समझने तथा उनकी मान्यताओं को स्वीकार करने का होता है।
यही वह समय होता है जब भावी दम्पत्ति आपस में सामन्जस्य स्थापित कर भावी जीवन की शुरुआत के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से ढ़ृढ़ होते हैं।
सगाई के पीछे एक और मान्यता है कि इससे भावी दम्पत्ति एक-दूसरे को जान सकते हैं, आपस में संवाद स्थापित कर भावी जीवन की बेहतरी के लिए प्रेरणा ले सकते हैं। इसलिए शादी से पहले सगाई करवाने की प्रथा है।

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