द्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोज़ाना अपने गांव से 6-7 मील दूर दूसरे गांव जाती थी। एक दिन जाते-जाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उन में एक विद्यार्थी कम है। ढूंढने पर पता चला कि वह पीछे रह गया है। से एक विद्यार्थी ने पुकारा, ‘तुम वहां क्या कर रहे हो?’उस विद्यार्थी ने वहीं से उदर दिया, ‘ठहरो, मैं अभी आता हूं।’
यह कह कर उस ने धरती में गड़े एक खूटे को पकड़ा। ज़ोर से हिलाया, उखाड़ा और एक ओर फेंक दिया फिर टोली में आ मिला।’उसके एक साथी ने पूछा, ‘तुम ने वह खूंटा क्यों उखाड़ा? इसे तो किसी ने खेत की हद जताने के लिए गाड़ा था।’
इस पर विद्यार्थी बोला, ‘लेकिन वह बीच रास्ते में गड़ा हुआ था। चलने में रुकावट डालता था। जो खूंटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूंटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।’वह विद्यार्थी और कोई नहीं, बल्कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।
यह कह कर उस ने धरती में गड़े एक खूटे को पकड़ा। ज़ोर से हिलाया, उखाड़ा और एक ओर फेंक दिया फिर टोली में आ मिला।’उसके एक साथी ने पूछा, ‘तुम ने वह खूंटा क्यों उखाड़ा? इसे तो किसी ने खेत की हद जताने के लिए गाड़ा था।’
इस पर विद्यार्थी बोला, ‘लेकिन वह बीच रास्ते में गड़ा हुआ था। चलने में रुकावट डालता था। जो खूंटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूंटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।’वह विद्यार्थी और कोई नहीं, बल्कि लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।
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