चिंगी एक चुलबुली लड़की थी। बातूनी इतनी थी कि सभी उससे बचकर निकल जाते थे। गर्मी की छुट्टियाँ लगी तो चिंगी अपनी माँ के साथ रेल से मामा के यहाँ चली। माँ और चिंगी रेल की महिला बोगी में चढ़े। रेल की इस बोगी में महिलाएँ छोटे बच्चों के साथ यात्रा कर सकती हैं। इस बोगी में पुरूषों को बैठने की अनुमति नहीं रहती है। महिला बोगी में ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं थी। ट्रेन जब चली तो चिंगी ने बोगी में बैठी एक आंटी से बातचीत शुरू की। माँ ने चिंगी को कहा कि बेटा आंटी को परेशान नहीं करते पर चिंगी की तरह ही आंटी भी बातूनी थी और दोनों की जोड़ी खूब जमी। बातों ही बातों में इटारसी जंक्शन आ गया।
इटारसी से एक औरत बुर्का पहने ट्रेन में चढ़ी। औरत बिना किसी से कुछ बोले धप्प से थोड़ी जगह करके बैठ गई। चिंगी और आंटी की बातचीत चल रही थी। चिंगी और आंटी में बातों की टक्कर चल रही थी पर आंटी थक गई और उन्हें नींद आने लगी। चिंगी की माँ को बातों में ज्यादा रूचि रहती नहीं थी उन्होंने एक पुरानी मैगजीन निकाली और पढ़ने लगी। अब जब चिंगी की सहेली बनी आंटी सो गई तो चिंगी बात किससे करे। उसने देखा कि अब कौन नहीं सो रहा है।
बोगी में बाकी सभी कुछ न कुछ काम कर रहे थे बस वह बुर्का पहने चढ़ी महिला ही चुप बैठी थी। चिंगी ने सोचा क्यों न इससे ही बातचीत की जाए। आखिर किसी से तो बातचीत करना ही थी। चिंगी ने उन्हें नमस्ते करके बात शुरू की। पर बुर्के वाली महिला ने कोई जवाब नहीं दिया। चिंगी ने आगे बात बढ़ाई पर कोई जवाब नहीं। पर बातूनी चिंगी इतनी जल्दी कहाँ मानने वाली थी। उसने फिर से बात शुरू की। पर इस बार भी कोई जवाब नहीं। चिंगी को लगा कि यह तो चुनौती है। उसने बात आगे बढ़ाई पर फिर कोई जवाब नहीं।
इसी बीच चिंगी ने महिला के हाथ पर बँधी घड़ी देखी और खुद ही चुप हो गई। थोड़ी देर बाद जब अगला स्टॉप आया तो चिंगी ने माँ को कान में कुछ बताया। माँ और चिंगी स्टॉप पर उतरे और थोड़ी देर में वापस लौट आए। दोनों बोगी में आकर बैठे ही थे कि जीआरपी पुलिस पीछे आई और उसने महिला को पकड़ लिया। बुर्का उठाते ही मालूम हुआ कि वह तो एक खतरनाक बदमाश था जो बुर्का पहनकर ट्रेन से सफर कर रहा था। चिंगी को महिला की कलाई पर जेन्ट्स घड़ी देखकर शक हुआ था।
पुलिस ने चिंगी को धन्यवाद दिया। माँ को अपनी बातूनी चिंगी पर गर्व हुआ। फिर तो ट्रेन में सभी को चिंगी ने अपनी बहादुरी के और भी किस्से सुनाए और कुछ घंटे बाद उनका स्टेशन आ गया। महीना भर बाद बदमाश को पकड़वाने के लिए चिंगी को इनाम भी ला।
इटारसी से एक औरत बुर्का पहने ट्रेन में चढ़ी। औरत बिना किसी से कुछ बोले धप्प से थोड़ी जगह करके बैठ गई। चिंगी और आंटी की बातचीत चल रही थी। चिंगी और आंटी में बातों की टक्कर चल रही थी पर आंटी थक गई और उन्हें नींद आने लगी। चिंगी की माँ को बातों में ज्यादा रूचि रहती नहीं थी उन्होंने एक पुरानी मैगजीन निकाली और पढ़ने लगी। अब जब चिंगी की सहेली बनी आंटी सो गई तो चिंगी बात किससे करे। उसने देखा कि अब कौन नहीं सो रहा है।
बोगी में बाकी सभी कुछ न कुछ काम कर रहे थे बस वह बुर्का पहने चढ़ी महिला ही चुप बैठी थी। चिंगी ने सोचा क्यों न इससे ही बातचीत की जाए। आखिर किसी से तो बातचीत करना ही थी। चिंगी ने उन्हें नमस्ते करके बात शुरू की। पर बुर्के वाली महिला ने कोई जवाब नहीं दिया। चिंगी ने आगे बात बढ़ाई पर कोई जवाब नहीं। पर बातूनी चिंगी इतनी जल्दी कहाँ मानने वाली थी। उसने फिर से बात शुरू की। पर इस बार भी कोई जवाब नहीं। चिंगी को लगा कि यह तो चुनौती है। उसने बात आगे बढ़ाई पर फिर कोई जवाब नहीं।
इसी बीच चिंगी ने महिला के हाथ पर बँधी घड़ी देखी और खुद ही चुप हो गई। थोड़ी देर बाद जब अगला स्टॉप आया तो चिंगी ने माँ को कान में कुछ बताया। माँ और चिंगी स्टॉप पर उतरे और थोड़ी देर में वापस लौट आए। दोनों बोगी में आकर बैठे ही थे कि जीआरपी पुलिस पीछे आई और उसने महिला को पकड़ लिया। बुर्का उठाते ही मालूम हुआ कि वह तो एक खतरनाक बदमाश था जो बुर्का पहनकर ट्रेन से सफर कर रहा था। चिंगी को महिला की कलाई पर जेन्ट्स घड़ी देखकर शक हुआ था।
पुलिस ने चिंगी को धन्यवाद दिया। माँ को अपनी बातूनी चिंगी पर गर्व हुआ। फिर तो ट्रेन में सभी को चिंगी ने अपनी बहादुरी के और भी किस्से सुनाए और कुछ घंटे बाद उनका स्टेशन आ गया। महीना भर बाद बदमाश को पकड़वाने के लिए चिंगी को इनाम भी ला।
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