शुक्रवार, 28 जनवरी 2011

वजीर की तलाश

एक बादशाह थे, जिनका साम्राज्य दूर-दूर तक फैला हुआ था। उन्हें नए वजीर की तलाश थी। अनेक व्यक्ति वजीर बनने को आतुर थे। एक पद व कई उम्मीदवारों को देखकर बादशाह हैरत में पड़ गए कि सही वजीर का चुनाव कैसे हो? इसके लिए उन्होंने सभी उम्मीदवारों की कठिन से कठिन परीक्षा ली। तीन लोग परीक्षाओं में एकदम खरे उतरे। अब उन तीनों में से किसी एक को चुनना था।
बादशाह ने सोचा कि उन तीनों को साम्राज्य के विभिन्न सूबों में ले जाया जाए और देखा जाए कि उनका प्रजा के प्रति क्या रवैया है। बादशाह ने गौर किया कि अली नामक उम्मीदवार बड़ी कुशलता से जनता का सामना कर रहा था और उनकी परेशानियों को सुनकर उसी समय समाधान करने का प्रयत्न भी कर रहा था। उसके काम करने के तरीके से बादशाह को बेहद प्रसन्नता हुई और उन्होंने उसे ही वजीर का पद देने का मन बना लिया।
प्रजा से मिलते हुए वे आगे बढ़े तो एक जगह उन्हें कुछ गरीब बच्चे खेलते हुए नजर आए। बादशाह को देखते ही बालक उन से लिपट गए। वे धूल-मिट्टी में सने हुए थे। उनमें से एक बच्चे को बादशाह ने गोद में उठा लिया। अली को उनसे घृणा सी हुई और वह दूर ही खड़ा रहा। बादशाह ने यह देखा तो उन्होंने अली से पूछ ही लिया कि तुम दूर-दूर क्यों खड़े हो? इस पर अली बोला, 'जहांपनाह, यहां खेल रहे सभी बच्चे गंदे हैं और इनके कपड़ों से बदबू भी आ रही है। जाने कैसे आप इसे गोद में उठाए हुए हैं।'
अली की बात सुनकर बादशाह दंग रह गए और उन्होंने तुरंत अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'तुम हमारे वजीर किसी भी सूरत में नहीं बन सकते। मैं चाहता हूं कि मेरा वजीर वो हो जिसके भीतर दूसरों के लिए हमदर्दी हो, सच्चा प्यार हो। जो लोगों का दिल जीत सके।' इसके बाद उन्होंने अन्य दो उम्मीदवारों में से एक को वजीर बना दिया।

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