एक गांव में गुरु अपने शिष्य के साथ स्कूल जा रहे थे। थोड़ी दूर जाने के बाद अचानक वह रुक गए और पगडंडी का रास्ता छोड़ कर खेत के बीच से जाने लगे। उन्हें ऐसा करते देख शिष्य ने पूछा, 'क्या हुआ गुरु जी?' गुरु बोले, 'बेटा, सामने से जो आदमी आ रहा है, उसके कारण मुझे रास्ता बदलना पड़ा।' वह रास्ता बहुत लंबा और खराब था। किसी तरह गुरु और शिष्य काफी देर से स्कूल पहुंचे।
स्कूल पहुंचने पर शिष्य ने पूछा, 'गुरु जी, क्या आप उस आदमी से डरते हो, इसलिए रास्ता बदल दिया?' गुरु ने कहा, 'नहीं, मैंने डर कर रास्ता नहीं बदला। वह व्यक्ति तो बहुत नेक दिल का है। मगर उसमें एक कमी है। उसकी जितनी आमदनी है उससे ज्यादा उसका खर्च है। इसलिए वह परेशान रहता है और लोगों से झूठ बोल कर उधार लेता रहता है।
कई साल पहले उसने मुझसे भी यह कह कर कुछ रुपये उधार लिए थे कि दो दिनों में वापस कर दूंगा। मगर आज तक नहीं लौटाया और लौटा भी नहीं पाएगा। मगर जब कभी अचानक उससे सामना होता है तो आदतन वह झूठ बोलता है और कहता है, गुरु जी, बस दो दिन की और मोहलत दे दीजिए। आज भी वह मुझसे मिलता तो यही कहता। मैं उसकी और कुछ मदद तो नहीं कर सकता, लेकिन उसे झूठ बोलने से तो रोक ही सकता हूं। रास्ता बदलने से तकलीफ तो हुई मगर मेरे कारण उसे एक बार फिर झूठ तो नहीं बोलना पड़ा। हो सकता है धीरे-धीरे उसमें पूरी तरह सुधार हो जाए।'
स्कूल पहुंचने पर शिष्य ने पूछा, 'गुरु जी, क्या आप उस आदमी से डरते हो, इसलिए रास्ता बदल दिया?' गुरु ने कहा, 'नहीं, मैंने डर कर रास्ता नहीं बदला। वह व्यक्ति तो बहुत नेक दिल का है। मगर उसमें एक कमी है। उसकी जितनी आमदनी है उससे ज्यादा उसका खर्च है। इसलिए वह परेशान रहता है और लोगों से झूठ बोल कर उधार लेता रहता है।
कई साल पहले उसने मुझसे भी यह कह कर कुछ रुपये उधार लिए थे कि दो दिनों में वापस कर दूंगा। मगर आज तक नहीं लौटाया और लौटा भी नहीं पाएगा। मगर जब कभी अचानक उससे सामना होता है तो आदतन वह झूठ बोलता है और कहता है, गुरु जी, बस दो दिन की और मोहलत दे दीजिए। आज भी वह मुझसे मिलता तो यही कहता। मैं उसकी और कुछ मदद तो नहीं कर सकता, लेकिन उसे झूठ बोलने से तो रोक ही सकता हूं। रास्ता बदलने से तकलीफ तो हुई मगर मेरे कारण उसे एक बार फिर झूठ तो नहीं बोलना पड़ा। हो सकता है धीरे-धीरे उसमें पूरी तरह सुधार हो जाए।'
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